Thursday, March 18, 2010
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष
पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाईके सभरवाल प्रतिकूल मीडिया रिपोर्टो की वजह से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नहीं बन पाए। गृह मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा, हालांकि मानवाधिकार संरक्षण कानून, 1993 के प्रावधानों के अनुसार पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरसी लाहोटी तथा वाईके सभरवाल दोनों इस पद के योग्य थे। लाहोटी ने व्यस्तता के कारण पेशकश ठुकरा दी जबकि सभरवाल के नाम पर प्रतिकूल रिपोर्टो की वजह से इस अत्यधिक संवेदनशील पद के लिए विचार नहीं किया गया। मंत्रालय की मानवाधिकार शाखा ने बताया, न्यायमूर्ति सभरवाल के बारे में मीडिया तथा अन्य जगह से मिली प्रतिकूल रिपोर्ट के कारण यह महसूस किया गया कि इस पद की पेशकश उन्हें नहीं की जाय। पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र बाबू के 31 मई को अवकाश ग्रहण करने के बाद एक जून 2009 से यह पद रिक्त है। मंत्रालय ने एक अन्य जवाब में बताया कि नई नियुक्ति तक इस पद के लिए न्यायमूर्ति जीपी माथुर तथा आयोग के एक सदस्य को अधिकृत किया गया है। मानवाधिकार संरक्षण कानून 1993 के तहत कोई अवकाशप्राप्त मुख्य न्यायाधीश 70 साल की उम्र तक इस पद के लिए योग्य है
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