गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 में हुए गुजरात दंगों की जांच कर रहे नानावती आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा है कि वो इस मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पूछताछ के लिए बुलाएंगे या नहीं.
मुख्य न्यायाधीश एसजे मुखोपाध्याय और न्यायाधीश अखिल कुरैशी ने दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रही स्वयंसेवी संस्था जनसंघर्ष मंच की एक अपील पर सुनवाई के दौरान सरकार से यह जानकारी मांगी.
अदालत ने सरकारी वकील से कहा है कि वो इस मामले में नानावती आयोग से जानकारी मांग कर एक अप्रैल तक अदालत को बताए.
सितंबर 2009 में नानावती आयोग ने कहा था कि वो इस मामले में फिलहाल मुख्यमंत्री मोदी से पूछताछ नहीं करेगी. कोर्ट ने जानना चाहा है कि यह नानावती आयोग का अंतिम फ़ैसला है या नहीं.
आयोग ने जनसंघर्ष मंच के एक आवेदन पर ही यह बात कही थी. आयोग ने मंच के आवेदन के बारे में कहा था कि इसमें बहुत ही ग़लत धारणाओं के साथ आरोप लगाए गए हैं.
जनसंघर्ष मंच ने हाई कोर्ट में अपील करते हुए कहा था कि आयोग के इस फै़सले को ख़ारिज करने की मांग की थी. इस मामले में जनसंघर्ष मंच ने गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री गोरधन ज़दाफिया, स्वास्थ्य मंत्री अशोक भट्ट और जोन फाइव के डीसीपी आरजे सवानी से पूछताछ की भी मांग की थी लेकिन आयोग ने यह याचिका ही निरस्त कर दी थी.
पिछले साल न्यायाधीश केएस झवेरी की एक सदस्यीय खंडपीठ ने जनसंघर्ष मंच की याचिका यह कहते हुए ख़ारिज कर दी थी कि आयोग का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है और आयोग को अभी भी मोदी को पूछताछ के लिए बुलाने का अधिकार है.
इसके बाद जनसंघर्ष मंच ने डिवीजन बेंच के समक्ष अपील की और आयोग के फै़सले को निरस्त करने तथ मुख्यमंत्री मोदी समेत अन्य लोगों को पूछताछ के लिए बुलाने की अपील की. इसी याचिका पर अब हाई कोर्ट ने सरकारी वकील से कहा है कि वो नानावती आयोग से जानकारी लेकर स्थिति स्पष्ट करे.
नानावती आयोग ने पिछले महीने दंगों की जांच की रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी थी जिसमें कहा गया था कि इस मामले में सभी सबूत जमा किए गए हैं और बयान रिकार्ड हो चुके हैं. अब बस रिपोर्ट लिखनी बाकी है जिसमें तीन से चार महीने लग सकते हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने गुलबर्ग सोसायटी दंगा मामले में मुख्यमंत्री मोदी को सम्मन जारी किए थे लेकिन मोदी पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे थे
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