Thursday, March 18, 2010

बीपीएल सूची का दायरा

 अल्पसंख्यकों को सीधे बीपीएल सूची में शामिल करने की केंद्र की मुहिम को झटका लगा है। ज्यादातर बड़े राज्यों ने केंद्र के इस मसौदे पर टिप्पणी तक नहीं भेजी है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की सूची का दायरा बढ़ाने के लिए मनरेगा में 100 दिन काम करने वाले को भी शामिल किया जा सकता है। भूमिहीनों ग्रामीणों को बीपीएल में रखने के प्रस्ताव को पहले ही मान लिया गया है। बीपीएल सूची तैयार करने के तरीके सुझाने वाली सक्सेना कमेटी की सिफारिशें पेश हो चुकी हैं, जिसमें उन्होंने अल्पसंख्यकों को अनुसूचित जाति व जनजाति के माफिक बीपीएल मान लेने की सिफारिश की है। इसे लेकर कई राज्य नाक-भौं सिकोड़ रहे हैं। कुछ राज्यों ने तो इस सिफारिश के आधार पर भेजे केंद्र के मसौदे पर टिप्पणी करना भी मुनासिब नहीं समझा है। गरीबों को चिन्हित करने और बीपीएल के दायरे को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ समिति ने कई और महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। इन्हीं मसौदों पर ग्रामीण विकास मंत्रालय की समीक्षा बैठक में पहले अलग-अलग और फिर संयुक्त रूप से राज्यों के अधिकारियों से लंबी चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार अल्पसंख्यकों के मसले पर ज्यादातर राज्यों के अधिकारियों ने इसे राजनीतिक बताकर अपना पल्ला छुड़ा लिया। असम, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, केरल, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश ने तो अपनी टिप्पणी भेज दी है। बाकी राज्यों ने अभी इस पर अपनी राय भेजना मुनासिब नहीं समझा है।

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