Saturday, March 13, 2010
हरिपुर में रूस के सहयोग से प्रस्तावित परमाणु संयंत्र
पश्चिम बंगाल के हरिपुर में रूस के सहयोग से प्रस्तावित परमाणु संयंत्र का ममता बनर्जी ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। एक तरफ जहां हैदराबाद हाउस में पुतिन मनमोहन सिंह के साथ परमाणु ऊर्जा सहयोग पर सहमति बनाकर बंगाल में नाभिकीय ऊर्जा रिएक्टर के लिए मार्ग खोल रहे थे, वहीं दीदी सरकार को इससे दूर रहने के लिए आगाह कर रही थीं। ममता का कहना है कि अगर सरकार इस पर आगे बढ़ी तो वह एक और नंदीग्राम होने से नहीं रोक सकती। उनके अनुसार, खेती योग्य जमीन जाने से किसानों में विरोध पनपना शुरू होगा। उन्होंने अभी से ही आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है। तृणमूल नेता प्रधानमंत्री से बातचीत कर इस संयंत्र को रोकने की दरख्वास्त करेंगी। वहीं हरिपुर के सांसद सुबिंदो अधिकारी ने भी शुक्रवार को कहा, किसानों को परियोजना कतई भी स्वीकार्य नहीं है। उनका आरोप है कि परमाणु ऊर्जा विभाग की तरफ से इस स्थान का ना तो सर्वेक्षण हुआ है और ना ही उनकी शिकायत को वह गंभीरता से ले रहा है। हरिपुर में प्रस्तावित इस परमाणु परियोजना में रूस ने दिलचस्पी दिखाई है और सरकार पर इसे आगे बढ़ाने का दबाव भी है। रूस भारत में तकरीबन 15000 मेगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता तक संयंत्र का विकास करना चाहता है। इसमें हरिपुर को काफी अहम माना जा रहा है। वहीं वामपंथियों ने हरिपुर पर उठ रहे विवाद को और तूल देने की राजनीति शुरू कर दी है। हरिपुर की वजह से ममता और कांग्रेस में टकराव हो जाए माकपा की रणनीति यही है
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