tag:blogger.com,1999:blog-89623430212689155912024-03-09T03:38:30.057+05:30आद्यतनArvindhttp://www.blogger.com/profile/11254274359387092629noreply@blogger.comBlogger121125tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-56884567684140780912014-09-04T22:34:00.000+05:302014-09-04T22:34:06.059+05:30दो तरह के जज<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">नैतिकता की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह कहां और कब से लागू हो कोई भी तय कर सकता है और जो इसका हिसाब करने निकलेगा वो गणित में फेल होकर केमिस्ट्री में टॉपर बनके निकलेगा। राज्यपाल कौन बनेगा और कैसे हटेगा ये दो वक्त है जब पता चलता है कि राज्यपाल भी होते हैं। संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा के जो मॉडल होते हैं वो अस्थायी मनमाने और सरकार सापेक्षिक होते हैं। सत्ता पक्ष के लिए कुछ और विपक्ष के लिए कुछ।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;"> पूर्व चीफ जस्टिस पी सदाशिवम राज्यपाल भी बनने जा रहे हैं। भले ही दिल्ली में लोग बयानों में उलझे हैं कि किसी चीफ जस्टिस को राज्यपाल बनना चाहिए या नहीं। कांग्रेस ने ही चीफ जस्टिस दिवंगत रंगनाथ मिश्रा को राज्यसभा का सांसद बनाया था चीफ जस्टिस तमाम आयोगों के अध्यक्ष बनते रहे हैं। कानून सुधार पर सरकार की बनाई कमेटियों के अध्यक्ष बन सकते हैं तो राज्यपाल क्यों नहीं।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">1997 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज जस्टिस फातिमा बीबी को भी तमिलनाडू का गवर्नर बनाया गया था। जब सेना प्रमुख, गृह सचिव, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, जस्टिस राज्यपाल बन सकते हैं तो चीफ जस्टिस क्यों नहीं। परंपरा नहीं थी तो क्या बन नहीं सकती है।</span><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">कांग्रेस एनसीपीसीपीआई तमाम दलों के आरोप कि अमित शाह को ज़मानत देने के कारण उन्हें पद से नवाज़ा गया है। क्या वाकई दूर तक टिकते हैं।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">जिसका जवाब देते हुए सदाशिवम ने कहा कि किसे पता था कि अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष बन जाएंगे। हमने मेरिट के आधार पर फैसला किया और उन्हें कोई क्लिन चिट नहीं दी है। तुलसीराम प्रजापति केस में जो दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी, उसे रद्द किया गया था। दो-दो एफआईआर संभव नहीं है। सोहराबुद्दीन केस को महाराष्ट्र मैंने शिफ्ट किया था। उसी फैसले में अदालत ने सीबीआई को शाह के खिलाफ पूरक चार्जशीट दायर करने की अनुमति भी दी थी। वैसे मैंने तो कई दलों के मामले में फैसला दिया है। मेरे खिलाफ इस तरह की बातें दुखद हैं।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">सदाशिवम ने कहा कि अगर मैं इस प्रस्ताव को मना कर दूंगा तो गांव में खेती करनी पड़ेगी। यह भी ठीक है, खेती करने से बचना हो तो राज्यपाल बन जाना चाहिए।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">इस अप्रैल में रिटायर होने के वक्त ही पी सदाशिवम ने अगर उन्हें कोई संवैधानिक पद मिला तो स्वीकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा था कि जज के तौर पर हमें तनख्वाह तो सरकार से ही मिलती है तो क्या हम सरकार का फेवर करते हैं। जजों को रिटायरमेंट के बाद पद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। अगर सहमति से फैसला हो तो मैं लोकपाल भी बनने के लिए तैयार हूं। वैसे सदाशिवम के फैसले के कारण ही नरेंद्र मोदी को नोमिनेशन पेपर में पत्नी का नाम लिखना पड़ा था। फिर भी कांग्रेस नेता</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">आनंद शर्मा ने कहा कि देश में कई पूर्व चीफ जस्टिस मौजूद हैं। सिर्फ इन्हें ही क्यों चुना गया। पहले कभी चीफ जस्टिस को राज्यपाल नहीं बनाया गया है।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">दो मुख्य न्यायाधीश उप-राष्ट्रपति भी बने हैं। कोई साज़िश नज़र आती है। उन्होंने प्रधानमंत्री और अमित शाह को खुश करने के लिए ज़रूर कुछ किया होगा। बीजेपी बताए कि उसने जजों को रिटायरमेंट के बाद पद न देने का अपना स्टैंड क्यों बदला।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">दरअसल समस्या यही है। गूगल दौर में तुरंत का तुरंत सबका खतिहान निकल आता है। कांग्रेस बीजेपी सबका। 2012 में अपनी पार्टी के लीगल सेल के एक कांफ्रेंस में अरुण जेटली का भाषण प्रासंगिक हो गया है। जिसमें वे कह रहे हैं कि जजों में रिटायरमेंट के बाद पद लेने की जो होड़ है उससे न्यायपालिका की निष्पक्षता पर असर पड़ रहा है। न्यायिक फैसलों के ज़रिये रिटायरमेंट के बाद के पद बनाए जा रहे हैं। जजों का कायर्काल तय किया जाए और उनका पेंशन उनके आखिरी वेतन के बराबर हो।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">जेटली की बात का समर्थन तब के पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी किया और कहा कि रिटायरमेंट के बाद जजों को दो साल तक के लिए कोई पद नहीं देना चाहिए। वर्ना सरकार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोर्ट को प्रभावित कर सकती है और इस देश में स्वतंत्र निष्पक्ष न्यायपालिका का सपना कभी पूरा नहीं हो सकेगा। गडकरी ने कहा कि मैं यह बात ज़िम्मेदारी से कहता हूं कि रिटायर होने से पहले सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के लिए तय हो जाता है कि कौन सा आयोग किसको मिलेगा।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">समस्या यही है। दोनों ने इतनी ज़िम्मेदारी से यह बात कह दी कि अब उसी बात की जवाबदेही पूछी जा रही है। आखिर विपक्ष में रहते हुए कही गईं इन अच्छी बातों का सत्ता में आने पर कुछ तो इस्तेमाल होना चाहिए। जेटली के बयान का यह अंश बीजेपी का पीछा कर रहा है कि जजों में बैलेट बाक्स का अनुसरण करने की जो प्रवृत्ति है, उससे बचने की ज़रूरत है। इतना ही नहीं, जब फरवरी 2013 में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन रिटायर्ड जस्टिस काटजू ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की आलोचना की, तब जेटली ने जवाब दिया था कि अभी भी ट्राइब्यूनल अर्ध-न्यायिक पदों का सिस्टम चलता आ रहा है जो इन रिटायर्ड जजों से भरा जाता है। सेवानिवृत जजों को याद रखना चाहिए कि ल्युटियन दिल्ली के बंगले का किराया राजनीतिक तरफदारी से नहीं बल्कि राजनीतिक तटस्थता से तय होना चाहिए।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">दो तरह के जज होते हैं। एक जो कानून जानते हैं और दूसरे जो कानून मंत्री को जानते हैं। जेटली का यह अमर वाक्य क्या सदाशिवम पर भी लागू होता है। या वो तीसरे प्रकार के जज हैं जो किसी को नहीं जानते फिर भी राज्यपाल बन जाते हैं। क्या चीफ जस्टिस ने वाकई पद की गरिमा कम की है। </span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-22959960900552140692014-08-16T13:13:00.005+05:302014-08-16T13:13:49.957+05:30प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 68वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिया गया भाषण <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मेरे प्यारे देशवासियो,</strong><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">आज देश और दुनिया में फैले हुए सभी हिन्दुस्तानी आज़ादी का पर्व मना रहे हैं। इस आज़ादी के पावन पर्व पर प्यारे देशवासियों को भारत के प्रधान सेवक की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मैं आपके बीच प्रधान मंत्री के रूप में नहीं, प्रधान सेवक के रूप में उपस्थित हूँ। देश की आज़ादी की जंग कितने वर्षों तक लड़ी गई, कितनी पीढ़ियाँ खप गईं, अनगिनत लोगों ने बलिदान दिए, जवानी खपा दी, जेल में ज़िन्दगी गुज़ार दी। देश की आज़ादी के लिए मर-मिटने वाले समर्पित उन सभी आज़ादी के सिपाहियों को मैं शत-शत वंदन करता हूँ, नमन करता हूँ।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">आज़ादी के इस पावन पर्व पर भारत के कोटि-कोटि जनों को भी मैं प्रणाम करता हूँ और आज़ादी की जंग के लिए जिन्होंने कुर्बानियां दीं, उनका पुण्य स्मरण करते हुए आज़ादी के इस पावन पर्व पर मां भारती के कल्याण के लिए हमारे देश के गरीब, पीड़ित, दलित, शोषित, समाज के पिछड़े हुए सभी लोगों के कल्याण का, उनके लिए कुछ न कुछ कर गुज़रने का संकल्प करने का पर्व है।</span><br />
<div align="center" style="clear: both; font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">
<div style="font-size: 14px; font-weight: bold; padding-bottom: 5px;">
<span style="font-size: 16.799999237060547px; text-align: left;">मेरे प्यारे देशवासियो, राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रीय चरित्र को निखारने का एक अवसर होता है। राष्ट्रीय पर्व से प्रेरणा ले करके भारत के राष्ट्रीय चरित्र, जन-जन का चरित्र जितना अधिक निखरे, जितना अधिक राष्ट्र के लिए समर्पित हो, सारे कार्यकलाप राष्ट्रहित की कसौटी पर कसे जाएँ, अगर उस प्रकार का जीवन जीने का हम संकल्प करते हैं, तो आज़ादी का पर्व भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का एक प्रेरणा पर्व बन सकता है।</span></div>
</div>
<span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मेरे प्यारे देशवासियो, यह देश राजनेताओं ने नहीं बनाया है, यह देश शासकों ने नहीं बनाया है, यह देश सरकारों ने भी नहीं बनाया है, यह देश हमारे किसानों ने बनाया है, हमारे मजदूरों ने बनाया है, हमारी माताओं और बहनों ने बनाया है, हमारे नौजवानों ने बनाया है, हमारे देश के ऋषियों ने, मुनियों ने, आचार्यों ने, शिक्षकों ने, वैज्ञानिकों ने, समाजसेवकों ने, पीढ़ी दर पीढ़ी कोटि-कोटि जनों की तपस्या से आज राष्ट्र यहाँ पहुँचा है। देश के लिए जीवन भर साधना करने वाली ये सभी पीढ़ियां, सभी महानुभाव अभिनन्दन के अधिकारी हैं। यह भारत के संविधान की शोभा है, भारत के संविधान का सामर्थ्य है कि एक छोटे से नगर के गरीब परिवार के एक बालक ने आज लाल किले की प्राचीर पर भारत के तिरंगे झण्डे के सामने सिर झुकाने का सौभाग्य प्राप्त किया। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है, यह भारत के संविधान रचयिताओं की हमें दी हुई अनमोल सौगात है। मैं भारत के संविधान के निर्माताओं को इस पर नमन करता हूँ।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो एवं बहनो, आज़ादी के बाद देश आज जहां पहुंचा है, उसमें इस देश के सभी प्रधान मंत्रियों का योगदान है, इस देश की सभी सरकारों का योगदान है, इस देश के सभी राज्यों की सरकारों का भी योगदान है। मैं वर्तमान भारत को उस ऊँचाई पर ले जाने का प्रयास करने वाली सभी पूर्व सरकारों को, सभी पूर्व प्रधान मंत्रियों को, उनके सभी कामों को, जिनके कारण राष्ट्र का गौरव बढ़ा है, उन सबके प्रति इस पल आदर का भाव व्यक्त करना चाहता हूँ, मैं आभार की अभिव्यक्ति करना चाहता हूं। यह देश पुरातन सांस्कृतिक धरोहर की उस नींव पर खड़ा है, जहाँ पर वेदकाल में हमें एक ही मंत्र सुनाया जाता है, जो हमारी कार्य संस्कृति का परिचय है, हम सीखते आए हैं, पुनर्स्मरण करते आए हैं- "संगच्छध्वम् संवदध्वम् सं वो मनांसि जानताम्।" हम साथ चलें, मिलकर चलें, मिलकर सोचें, मिलकर संकल्प करें और मिल करके हम देश को आगे बढ़ाएँ। इस मूल मंत्र को ले करके सवा सौ करोड़ देशवासियों ने देश को आगे बढ़ाया है। कल ही नई सरकार की प्रथम संसद के सत्र का समापन हुआ। मैं आज गर्व से कहता हूं कि संसद का सत्र हमारी सोच की पहचान है, हमारे इरादों की अभिव्यक्ति है। हम बहुमत के बल पर चलने वाले लोग नहीं हैं, हम बहुमत के बल पर आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं। हम सहमति के मजबूत धरातल पर आगे बढ़ना चाहते हैं। "संगच्छध्वम्" और इसलिए इस पूरे संसद के कार्यकाल को देश ने देखा होगा। सभी दलों को साथ लेकर, विपक्ष को जोड़ कर, कंधे से कंधा मिलाकर चलने में हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है और उसका यश सिर्फ प्रधान मंत्री को नहीं जाता है, उसका यश सिर्फ सरकार में बैठे हुए लोगों को नहीं जाता है, उसका यश प्रतिपक्ष को भी जाता है, प्रतिपक्ष के सभी नेताओं को भी जाता है, प्रतिपक्ष के सभी सांसदों को भी जाता है और लाल किले की प्राचीर से, गर्व के साथ, मैं इन सभी सांसदों का अभिवादन करता हूं। सभी राजनीतिक दलों का भी अभिवादन करता हूं, जहां सहमति के मजबूत धरातल पर राष्ट्र को आगे ले जाने के महत्वपूर्ण निर्णयों को कर-करके हमने कल संसद के सत्र का समापन किया।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, मैं दिल्ली के लिए आउटसाइडर हूं, मैं दिल्ली की दुनिया का इंसान नहीं हूं। मैं यहां के राज-काज को भी नहीं जानता। यहां की एलीट क्लास से तो मैं बहुत अछूता रहा हूं, लेकिन एक बाहर के व्यक्ति ने, एक आउटसाइडर ने दिल्ली आ करके पिछले दो महीने में, एक इनसाइडर व्यू लिया, तो मैं चौंक गया! यह मंच राजनीति का नहीं है, राष्ट्रनीति का मंच है और इसलिए मेरी बात को राजनीति के तराजू से न तोला जाए। मैंने पहले ही कहा है, मैं सभी पूर्व प्रधान मंत्रियों, पूर्व सरकारों का अभिवादन करता हूं, जिन्होंने देश को यहां तक पहुंचाया। मैं बात कुछ और करने जा रहा हूं और इसलिए इसको राजनीति के तराजू से न तोला जाए। मैंने जब दिल्ली आ करके एक इनसाइडर व्यू देखा, तो मैंने अनुभव किया, मैं चौंक गया। ऐसा लगा जैसे एक सरकार के अंदर भी दर्जनों अलग-अलग सरकारें चल रही हैं। हरेक की जैसे अपनी-अपनी जागीरें बनी हुई हैं। मुझे बिखराव नज़र आया, मुझे टकराव नज़र आया। एक डिपार्टमेंट दूसरे डिपार्टमेंट से भिड़ रहा है और यहां तक भिड़ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खट-खटाकर एक ही सरकार के दो डिपार्टमेंट आपस में लड़ाई लड़ रहे हैं। यह बिखराव, यह टकराव, एक ही देश के लोग! हम देश को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं? और इसलिए मैंने कोशिश प्रारम्भ की है, उन दीवारों को गिराने की, मैंने कोशिश प्रारम्भ की है कि सरकार एक असेम्बल्ड एन्टिटी नहीं, लेकिन एक ऑर्गेनिक युनिटी बने, ऑर्गेनिक एन्टिटी बने। एकरस हो सरकार - एक लक्ष्य, एक मन, एक दिशा, एक गति, एक मति - इस मुक़ाम पर हम देश को चलाने का संकल्प करें। हम चल सकते हैं। इन दिनों अखबारों में चर्चा चलती है कि मोदी जी की सरकार आ गई, अफसर लोग समय पर ऑफिस जाते हैं, समय पर ऑफिस खुल जाते हैं, लोग पहुंच जाते हैं। मैं देख रहा था, हिन्दुस्तान के नैशनल न्यूज़पेपर कहे जाएं, टीवी मीडिया कहा जाए, प्रमुख रूप से ये खबरें छप रही थीं। सरकार के मुखिया के नाते तो मुझे आनन्द आ सकता है कि देखो भाई, सब समय पर चलना शुरू हो गया, सफाई होने लगी, लेकिन मुझे आनन्द नहीं आ रहा था, मुझे पीड़ा हो रही थी। वह बात मैं आज पब्लिक में कहना चाहता हूं। इसलिए कहना चाहता हूं कि इस देश में सरकारी अफसर समय पर दफ्तर जाएं, यह कोई न्यूज़ होती है क्या? और अगर वह न्यूज़ बनती है, तो हम कितने नीचे गए हैं, कितने गिरे हैं, इसका वह सबूत बन जाती है और इसलिए भाइयो-बहनो, सरकारें कैसे चली हैं? आज वैश्विक स्पर्धा में कोटि-कोटि भारतीयों के सपनों को साकार करना होगा तो यह "होती है", "चलती है", से देश नहीं चल सकता। जन-सामान्य की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए, शासन व्यवस्था नाम का जो पुर्जा है, जो मशीन है, उसको और धारदार बनाना है, और तेज़ बनाना है, और गतिशील बनाना है और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं और मैं आपको विश्वास देता हूं, मेरे देशवासियो, इतने कम समय से दिल्ली के बाहर से आया हूं, लेकिन मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि सरकार में बैठे हुए लोगों का सामर्थ्य बहुत है - चपरासी से लेकर कैबिनेट सेक्रेटरी तक हर कोई सामर्थ्यवान है, हरेक की एक शक्ति है, उसका अनुभव है। मैं उस शक्ति को जगाना चाहता हूं, मैं उस शक्ति को जोड़ना चाहता हूं और उस शक्ति के माध्यम से राष्ट्र कल्याण की गति को तेज करना चाहता हूं और मैं करके रहूंगा। यह हम पाकर रहेंगे, हम करके रहेंगे, यह मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं और यह मैं 16 मई को नहीं कह सकता था, लेकिन आज दो-ढाई महीने के अनुभव के बाद, मैं 15 अगस्त को तिरंगे झंडे के साक्ष्य से कह रहा हूं, यह संभव है, यह होकर रहेगा।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, क्या देश के हमारे जिन महापुरुषों ने आज़ादी दिलाई, क्या उनके सपनों का भारत बनाने के लिए हमारा भी कोई कर्तव्य है या नहीं है, हमारा भी कोई राष्ट्रीय चरित्र है या नहीं है? उस पर गंभीरता से सोचने का समय आ गया है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, कोई मुझे बताए कि हम जो भी कर रहे हैं दिन भर, शाम को कभी अपने आपसे पूछा कि मेरे इस काम के कारण मेरे देश के गरीब से गरीब का भला हुआ या नहीं हुआ, मेरे देश के हितों की रक्षा हुई या नहीं हुई, मेरे देश के कल्याण के काम में आया या नहीं आया? क्या सवा सौ करोड़ देशवासियों का यह मंत्र नहीं होना चाहिए कि जीवन का हर कदम देशहित में होगा? दुर्भाग्य कैसा है? आज देश में एक ऐसा माहौल बना हुआ है कि किसी के पास कोई भी काम लेकर जाओ, तो कहता है, "इसमें मेरा क्या"? वहीं से शुरू करता है, "इसमें मेरा क्या" और जब उसको पता चलेगा कि इसमें उसका कुछ नहीं है, तो तुरन्त बोलता है, "तो फिर मुझे क्या"? "ये मेरा क्या" और "मुझे क्या", इस दायरे से हमें बाहर आना है। हर चीज़ अपने लिए नहीं होती है। कुछ चीज़ें देश के लिए भी हुआ करती हैं और इसलिए हमारे राष्ट्रीय चरित्र को हमें निखारना है। "मेरा क्या", "मुझे क्या", उससे ऊपर उठकर "देशहित के हर काम के लिए मैं आया हूं, मैं आगे हूं", यह भाव हमें जगाना है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, आज जब हम बलात्कार की घटनाओं की खबरें सुनते हैं, तो हमारा माथा शर्म से झुक जाता है। लोग अलग-अलग तर्क देते हैं, हर कोई मनोवैज्ञानिक बनकर अपने बयान देता है, लेकिन भाइयो-बहनो, मैं आज इस मंच से मैं उन माताओं और उनके पिताओं से पूछना चाहता हूं, हर मां-बाप से पूछना चाहता हूं कि आपके घर में बेटी 10 साल की होती है, 12 साल की होती है, मां और बाप चौकन्ने रहते हैं, हर बात पूछते हैं कि कहां जा रही हो, कब आओगी, पहुंचने के बाद फोन करना। बेटी को तो सैकड़ों सवाल मां-बाप पूछते हैं, लेकिन क्या कभी मां-बाप ने अपने बेटे को पूछने की हिम्मत की है कि कहां जा रहे हो, क्यों जा रहे हो, कौन दोस्त है? आखिर बलात्कार करने वाला किसी न किसी का बेटा तो है। उसके भी तो कोई न कोई मां-बाप हैं। क्या मां-बाप के नाते, हमने अपने बेटे को पूछा कि तुम क्या कर रहे हो, कहां जा रहे हो? अगर हर मां-बाप तय करे कि हमने बेटियों पर जितने बंधन डाले हैं, कभी बेटों पर भी डाल करके देखो तो सही, उसे कभी पूछो तो सही।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, कानून अपना काम करेगा, कठोरता से करेगा, लेकिन समाज के नाते भी, हर मां-बाप के नाते हमारा दायित्व है। कोई मुझे कहे, यह जो बंदूक कंधे पर उठाकर निर्दोषों को मौत के घाट उतारने वाले लोग कोई माओवादी होंगे, कोई आतंकवादी होंगे, वे किसी न किसी के तो बेटे हैं। मैं उन मां-बाप से पूछना चाहता हूं कि अपने बेटे से कभी इस रास्ते पर जाने से पहले पूछा था आपने? हर मां-बाप जिम्मेवारी ले, इस गलत रास्ते पर गया हुआ आपका बेटा निर्दोषों की जान लेने पर उतारू है। न वह अपना भला कर पा रहा है, न परिवार का भला कर पा रहा है और न ही देश का भला कर पा रहा है और मैं हिंसा के रास्ते पर गए हुए, उन नौजवानों से कहना चाहता हूं कि आप जो भी आज हैं, कुछ न कुछ तो भारतमाता ने आपको दिया है, तब पहुंचे हैं। आप जो भी हैं, आपके मां-बाप ने आपको कुछ तो दिया है, तब हैं। मैं आपसे पूछना चाहता हूं, कंधे पर बंदूक ले करके आप धरती को लाल तो कर सकते हो, लेकिन कभी सोचो, अगर कंधे पर हल होगा, तो धरती पर हरियाली होगी, कितनी प्यारी लगेगी। कब तक हम इस धरती को लहूलुहान करते रहेंगे? और हमने पाया क्या है? हिंसा के रास्ते ने हमें कुछ नहीं दिया है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, मैं पिछले दिनों नेपाल गया था। मैंने नेपाल में सार्वजनिक रूप से पूरे विश्व को आकर्षित करने वाली एक बात कही थी। एक ज़माना था, सम्राट अशोक जिन्होंने युद्ध का रास्ता लिया था, लेकिन हिंसा को देख करके युद्ध छोड़, बुद्ध के रास्ते पर चले गए। मैं देख रहा हूं कि नेपाल में कोई एक समय था, जब नौजवान हिंसा के रास्ते पर चल पड़े थे, लेकिन आज वही नौजवान संविधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्हीं के साथ जुड़े लोग संविधान के निर्माण में लगे हैं और मैंने कहा था, शस्त्र छोड़कर शास्त्र के रास्ते पर चलने का अगर नेपाल एक उत्तम उदाहरण देता है, तो विश्व में हिंसा के रास्ते पर गए हुए नौजवानों को वापस आने की प्रेरणा दे सकता है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, बुद्ध की भूमि, नेपाल अगर संदेश दे सकती है, तो क्या भारत की भूमि दुनिया को संदेश नहीं दे सकती है? और इसलिए समय की मांग है, हम हिंसा का रास्ता छोड़ें, भाईचारे के रास्ते पर चलें।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, सदियों से किसी न किसी कारणवश साम्प्रदायिक तनाव से हम गुज़र रहे हैं, देश विभाजन तक हम पहुंच गए। आज़ादी के बाद भी कभी जातिवाद का ज़हर, कभी सम्पद्रायवाद का ज़हर, ये पापाचार कब तक चलेगा? किसका भला होता है? बहुत लड़ लिया, बहुत लोगों को काट लिया, बहुत लोगों को मार दिया। भाइयो-बहनो, एक बार पीछे मुड़कर देखिए, किसी ने कुछ नहीं पाया है। सिवाय भारत मां के अंगों पर दाग लगाने के हमने कुछ नहीं किया है और इसलिए, मैं देश के उन लोगों का आह्वान करता हूं कि जातिवाद का ज़हर हो, सम्प्रदायवाद का ज़हर हो, आतंकवाद का ज़हर हो, ऊंच-नीच का भाव हो, यह देश को आगे बढ़ाने में रुकावट है। एक बार मन में तय करो, दस साल के लिए मोरेटोरियम तय करो, दस साल तक इन तनावों से हम मुक्त समाज की ओर जाना चाहते हैं और आप देखिए, शांति, एकता, सद्भावना, भाईचारा हमें आगे बढ़ने में कितनी ताकत देता है, एक बार देखो।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मेरे देशवासियो, मेरे शब्दों पर भरोसा कीजिए, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। अब तक किए हुए पापों को, उस रास्ते को छोड़ें, सद्भावना, भाईचारे का रास्ता अपनाएं और हम देश को आगे ले जाने का संकल्प करें। मुझे विश्वास है कि हम इसको कर सकते हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ रहा है, आधुनिकता का हमारे मन में एक भाव जगता है, पर हम करते क्या हैं? क्या कभी सोचा है कि आज हमारे देश में सेक्स रेशियो का क्या हाल है? 1 हजार लड़कों पर 940 बेटियाँ पैदा होती हैं। समाज में यह असंतुलन कौन पैदा कर रहा है? ईश्वर तो नहीं कर रहा है। मैं उन डॉक्टरों से अनुरोध करना चाहता हूं कि अपनी तिजोरी भरने के लिए किसी माँ के गर्भ में पल रही बेटी को मत मारिए। मैं उन माताओं, बहनों से कहता हूं कि आप बेटे की आस में बेटियों को बलि मत चढ़ाइए। कभी-कभी माँ-बाप को लगता है कि बेटा होगा, तो बुढ़ापे में काम आएगा। मैं सामाजिक जीवन में काम करने वाला इंसान हूं। मैंने ऐसे परिवार देखे हैं कि पाँच बेटे हों, पाँचों के पास बंगले हों, घर में दस-दस गाड़ियाँ हों, लेकिन बूढ़े माँ-बाप ओल्ड एज होम में रहते हैं, वृद्धाश्रम में रहते हैं। मैंने ऐसे परिवार देखे हैं। मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं, जहाँ संतान के रूप में अकेली बेटी हो, वह बेटी अपने सपनों की बलि चढ़ाती है, शादी नहीं करती और बूढ़े माँ-बाप की सेवा के लिए अपने जीवन को खपा देती है। यह असमानता, माँ के गर्भ में बेटियों की हत्या, इस 21वीं सदी के मानव का मन कितना कलुषित, कलंकित, कितना दाग भरा है, उसका प्रदर्शन कर रहा है। हमें इससे मुक्ति लेनी होगी और यही तो आज़ादी के पर्व का हमारे लिए संदेश है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">अभी राष्ट्रमंडल खेल हुए हैं। भारत के खिलाड़ियों ने भारत को गौरव दिलाया है। हमारे करीब 64 खिलाड़ी जीते हैं। हमारे 64 खिलाड़ी मेडल लेकर आए हैं, लेकिन उनमें 29 बेटियाँ हैं। इस पर गर्व करें और उन बेटियों के लिए ताली बजाएं। भारत की आन-बान-शान में हमारी बेटियों का भी योगदान है, हम इसको स्वीकार करें और उन्हें भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ लेकर चलें, तो सामाजिक जीवन में जो बुराइयाँ आई हैं, हम उन बुराइयों से मुक्ति पा सकते हैं। इसलिए भाइयो-बहनो, एक सामाजिक चरित्र के नाते, एक राष्ट्रीय चरित्र के नाते हमें उस दिशा में जाना है। भाइयो-बहनो, देश को आगे बढ़ाना है, तो विकास - एक ही रास्ता है। सुशासन - एक ही रास्ता है। देश को आगे ले जाने के लिए ये ही दो पटरियाँ हैं - गुड गवर्नेंस एंड डेवलपमेंट, उन्हीं को लेकर हम आगे चल सकते हैं। उन्हीं को लेकर चलने का इरादा लेकर हम चलना चाहते हैं। मैं जब गुड गवर्नेंस की बात करता हूँ, तब आप मुझे बताइए कि कोई प्राइवेट में नौकरी करता है, अगर आप उसको पूछोगे, तो वह कहता है कि मैं जॉब करता हूँ, लेकिन जो सरकार में नौकरी करता है, उसको पूछोगे, तो वह कहता है कि मैं सर्विस करता हूँ। दोनों कमाते हैं, लेकिन एक के लिए जॉब है और एक के लिए सर्विस है। मैं सरकारी सेवा में लगे सभी भाइयों और बहनों से प्रश्न पूछता हूँ कि क्या कहीं यह 'सर्विस' शब्द, उसने अपनी ताकत खो तो नहीं दी है, अपनी पहचान खो तो नहीं दी है? सरकारी सेवा में जुड़े हुए लोग 'जॉब' नहीं कर रहे हैं, 'सेवा' कर रहे हैं, 'सर्विस' कर रहे हैं। इसलिए इस भाव को पुनर्जीवित करना, एक राष्ट्रीय चरित्र के रूप में इसको हमें आगे ले जाना, उस दिशा में हमें आगे बढ़ना है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, क्या देश के नागरिकों को राष्ट्र के कल्याण के लिए कदम उठाना चाहिए या नहीं उठाना चाहिए? आप कल्पना कीजिए, सवा सौ करोड़ देशवासी एक कदम चलें, तो यह देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाएगा। लोकतंत्र, यह सिर्फ सरकार चुनने का सीमित मायना नहीं है। लोकतंत्र में सवा सौ करोड़ नागरिक और सरकार कंधे से कंधा मिला कर देश की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए काम करें, यह लोकतंत्र का मायना है। हमें जन-भागीदारी करनी है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ आगे बढ़ना है। हमें जनता को जोड़कर आगे बढ़ना है। उसे जोड़ने में आगे बढ़ने के लिए, आप मुझे बताइए कि आज हमारा किसान आत्महत्या क्यों करता है? वह साहूकार से कर्ज़ लेता है, कर्ज़ दे नहीं सकता है, मर जाता है। बेटी की शादी है, गरीब आदमी साहूकार से कर्ज़ लेता है, कर्ज़ वापस दे नहीं पाता है, जीवन भर मुसीबतों से गुज़रता है। मेरे उन गरीब परिवारों की रक्षा कौन करेगा?</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, इस आज़ादी के पर्व पर मैं एक योजना को आगे बढ़ाने का संकल्प करने के लिए आपके पास आया हूँ - 'प्रधान मंत्री जनधन योजना'। इस 'प्रधान मंत्री जनधन योजना' के माध्यम से हम देश के गरीब से गरीब लोगों को बैंक अकाउंट की सुविधा से जोड़ना चाहते हैं। आज करोड़ों-करोड़ परिवार हैं, जिनके पास मोबाइल फोन तो हैं, लेकिन बैंक अकाउंट नहीं हैं। यह स्थिति हमें बदलनी है। देश के आर्थिक संसाधन गरीब के काम आएँ, इसकी शुरुआत यहीं से होती है। यही तो है, जो खिड़की खोलता है। इसलिए 'प्रधान मंत्री जनधन योजना' के तहत जो अकाउंट खुलेगा, उसको डेबिट कार्ड दिया जाएगा। उस डेबिट कार्ड के साथ हर गरीब परिवार को एक लाख रुपए का बीमा सुनिश्चित कर दिया जाएगा, ताकि अगर उसके जीवन में कोई संकट आया, तो उसके परिवारजनों को एक लाख रुपए का बीमा मिल सकता है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">इयो-बहनो, यह देश नौजवानों का देश है। 65 प्रतिशत देश की जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा नौजवान देश है। क्या हमने कभी इसका फायदा उठाने के लिए सोचा है? आज दुनिया को स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत है। आज भारत को भी स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत है। कभी-कभार हम अच्छा ड्राइवर ढूँढ़ते हैं, नहीं मिलता है, प्लम्बर ढूँढ़ते हैं, नहीं मिलता है, अच्छा कुक चाहिए, नहीं मिलता है। नौजवान हैं, बेरोजगार हैं, लेकिन हमें जैसा चाहिए, वैसा नौजवान मिलता नहीं है। देश के विकास को यदि आगे बढ़ाना है, तो 'स्किल डेवलपमेंट' और 'स्किल्ड इंडिया' यह हमारा मिशन है। हिन्दुस्तान के कोटि-कोटि नौजवान स्किल सीखें, हुनर सीखें, उसके लिए पूरे देश में जाल होना चाहिए और घिसी-पिटी व्यवस्थाओं से नहीं, उनको वह स्किल मिले, जो उन्हें आधुनिक भारत बनाने में काम आए। वे दुनिया के किसी भी देश में जाएँ, तो उनके हुनर की सराहना हो और हम दो प्रकार के विकास को लेकर चलना चाहते हैं। मैं ऐसे नौजवानों को भी तैयार करना चाहता हूँ, जो जॉब क्रिएटर हों और जो जॉब क्रिएट करने का सामर्थ्य नहीं रखते, संयोग नहीं है, वे विश्व के किसी भी कोने में जाकर आँख में आँख मिला करके अपने बाहुबल के द्वारा, अपनी उँगलियों के हुनर के द्वारा, अपने कौशल्य के द्वारा विश्व का हृदय जीत सकें, ऐसे नौजवानों का सामर्थ्य हम तैयार करना चाहते हैं। भाइयो-बहनो, स्किल डेवलपमेंट को बहुत तेज़ी से आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर मैं यह करना चाहता हूं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, विश्व बदल चुका है। मेरे प्यारे देशवासियो, विश्व बदल चुका है। अब भारत अलग-थलग, अकेला एक कोने में बैठकर अपना भविष्य तय नहीं कर सकता। विश्व की आर्थिक व्यवस्थाएँ बदल चुकी हैं और इसलिए हम लोगों को भी उसी रूप में सोचना होगा। सरकार ने अभी कई फैसले लिए हैं, बजट में कुछ घोषणाएँ की हैं और मैं विश्व का आह्वान करता हूँ, विश्व में पहुँचे हुए भारतवासियों का भी आह्वान करता हूँ कि आज अगर हमें नौजवानों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देना है, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देना पड़ेगा। इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट की जो स्थिति है, उसमें संतुलन पैदा करना हो, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर बल देना होगा। हमारे नौजवानों की जो विद्या है, सामर्थ्य है, उसको अगर काम में लाना है, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग की ओर जाना पड़ेगा और इसके लिए हिन्दुस्तान की भी पूरी ताकत लगेगी, लेकिन विश्व की शक्तियों को भी हम निमंत्रण देते हैं। इसलिए मैं आज लाल किले की प्राचीर से विश्व भर में लोगों से कहना चाहता हूँ, "कम, मेक इन इंडिया," "आइए, हिन्दुस्तान में निर्माण कीजिए।" दुनिया के किसी भी देश में जाकर बेचिए, लेकिन निर्माण यहाँ कीजिए, मैन्युफैक्चर यहाँ कीजिए। हमारे पास स्किल है, टेलेंट है, डिसिप्लिन है, कुछ कर गुज़रने का इरादा है। हम विश्व को एक सानुकूल अवसर देना चाहते हैं कि आइए, "कम, मेक इन इंडिया" और हम विश्व को कहें, इलेक्ट्रिकल से ले करके इलेक्ट्रॉनिक्स तक "कम, मेक इन इंडिया", केमिकल्स से ले करके फार्मास्युटिकल्स तक "कम, मेक इन इंडिया", ऑटोमोबाइल्स से ले करके ऐग्रो वैल्यू एडीशन तक "कम, मेक इन इंडिया", पेपर हो या प्लास्टिक "कम, मेक इन इंडिया", सैटेलाइट हो या सबमेरीन "कम, मेक इन इंडिया"। ताकत है हमारे देश में! आइए, मैं निमंत्रण देता हूं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, मैं देश के नौजवानों का भी एक आवाहन करना चाहता हूं, विशेष करके उद्योग क्षेत्र में लगे हुए छोटे-छोटे लोगों का आवाहन करना चाहता हूं। मैं देश के टेक्निकल एजुकेशन से जुड़े हुए नौजवानों का आवाहन करना चाहता हूं। जैसे मैं विश्व से कहता हूं "कम, मेक इन इंडिया", मैं देश के नौजवानों को कहता हूं - हमारा सपना होना चाहिए कि दुनिया के हर कोने में यह बात पहुंचनी चाहिए, "मेड इन इंडिया"। यह हमारा सपना होना चाहिए। क्या मेरे देश के नौजवानों को देश-सेवा करने के लिए सिर्फ भगत सिंह की तरह फांसी पर लटकना ही अनिवार्य है? भाइयो-बहनो, लालबहादुर शास्त्री जी ने "जय जवान, जय किसान" एक साथ मंत्र दिया था। जवान, जो सीमा पर अपना सिर दे देता है, उसी की बराबरी में "जय जवान" कहा था। क्यों? क्योंकि अन्न के भंडार भर करके मेरा किसान भारत मां की उतनी ही सेवा करता है, जैसे जवान भारत मां की रक्षा करता है। यह भी देश सेवा है। अन्न के भंडार भरना, यह भी किसान की सबसे बड़ी देश सेवा है और तभी तो लालबहादुर शास्त्री ने "जय जवान, जय किसान" कहा था।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, मैं नौजवानों से कहना चाहता हूं, आपके रहते हुए छोटी-मोटी चीज़ें हमें दुनिया से इम्पोर्ट क्यों करनी पड़ें? क्या मेरे देश के नौजवान यह तय कर सकते हैं, वे ज़रा रिसर्च करें, ढूंढ़ें कि भारत कितने प्रकार की चीज़ों को इम्पोर्ट करता है और वे फैसला करें कि मैं अपने छोटे-छोटे काम के द्वारा, उद्योग के द्वारा, मेरा छोटा ही कारखाना क्यों न हो, लेकिन मेरे देश में इम्पोर्ट होने वाली कम से कम एक चीज़ मैं ऐसी बनाऊंगा कि मेरे देश को कभी इम्पोर्ट न करना पड़े। इतना ही नहीं, मेरा देश एक्सपोर्ट करने की स्थिति में आए। अगर हिन्दुस्तान के लाखों नौजवान एक-एक आइटम ले करके बैठ जाएं, तो भारत दुनिया में एक्सपोर्ट करने वाला देश बन सकता है और इसलिए मेरा आग्रह है, नौजवानों से विशेष करके, छोटे-मोटे उद्योगकारों से - दो बातों में कॉम्प्रोमाइज़ न करें, एक ज़ीरो डिफेक्ट, दूसरा ज़ीरो इफेक्ट। हम वह मैन्युफैक्चरिंग करें, जिसमें ज़ीरो डिफेक्ट हो, ताकि दुनिया के बाज़ार से वह कभी वापस न आए और हम वह मैन्युफैक्चरिंग करें, जिससे ज़ीरो इफेक्ट हो, पर्यावरण पर इसका कोई नेगेटिव इफेक्ट न हो। ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट के साथ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का सपना ले करके अगर हम आगे चलते हैं, तो मुझे विश्वास है, मेरे भाइयो-बहनो, कि जिस काम को ले करके हम चल रहे हैं, उस काम को पूरा करेंगे।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, पूरे विश्व में हमारे देश के नौजवानों ने भारत की पहचान को बदल दिया है। विश्व भारत को क्या जानता था? ज्यादा नहीं, अभी 25-30 साल पहले तक दुनिया के कई कोने ऐसे थे जो हिन्दुस्तान के लिए यही सोचते थे कि ये तो "सपेरों का देश" है। ये सांप का खेल करने वाला देश है, काले जादू वाला देश है। भारत की सच्ची पहचान दुनिया तक पहुंची नहीं थी, लेकिन भाइयो-बहनो, हमारे 20-22-23 साल के नौजवान, जिन्होंने कम्प्यूटर पर अंगुलियां घुमाते-घुमाते दुनिया को चकित कर दिया। विश्व में भारत की एक नई पहचान बनाने का रास्ता हमारे आई.टी. प्रोफेशन के नौजवानों ने कर दिया। अगर यह ताकत हमारे देश में है, तो क्या देश के लिए हम कुछ सोच सकते हैं? इसलिए हमारा सपना "डिजिटल इंडिया" है। जब मैं "डिजिटल इंडिया" कहता हूं, तब ये बड़े लोगों की बात नहीं है, यह गरीब के लिए है। अगर ब्रॉडबेंड कनेक्टिविटी से हिन्दुस्तान के गांव जुड़ते हैं और गांव के आखिरी छोर के स्कूल में अगर हम लॉन्ग डिस्टेंस एजुकेशन दे सकते हैं, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारे उन गांवों के बच्चों को कितनी अच्छी शिक्षा मिलेगी। जहां डाक्टर नहीं पहुंच पाते, अगर हम टेलिमेडिसिन का नेटवर्क खड़ा करें, तो वहां पर बैठे हुए गरीब व्यक्ति को भी, किस प्रकार की दवाई की दिशा में जाना है, उसका स्पष्ट मार्गदर्शन मिल सकता है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">सामान्य मानव की रोजमर्रा की चीज़ें - आपके हाथ में मोबाइल फोन है, हिन्दुस्तान के नागरिकों के पास बहुत बड़ी तादाद में मोबाइल कनेक्टिविटी है, लेकिन क्या इस मोबाइल गवर्नेंस की तरफ हम जा सकते हैं? अपने मोबाइल से गरीब आदमी बैंक अकाउंट ऑपरेट करे, वह सरकार से अपनी चीज़ें मांग सके, वह अपनी अर्ज़ी पेश करे, अपना सारा कारोबार चलते-चलते मोबाइल गवर्नेंस के द्वारा कर सके और यह अगर करना है, तो हमें 'डिजिटल इंडिया' की ओर जाना है। और 'डिजिटल इंडिया' की तरफ जाना है, तो इसके साथ हमारा यह भी सपना है, हम आज बहुत बड़ी मात्रा में विदेशों से इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ इम्पोर्ट करते हैं। आपको हैरानी होगी भाइयो-बहनो, ये टीवी, ये मोबाइल फोन, ये आईपैड, ये जो इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ हम लाते हैं, देश के लिए पेट्रोलियम पदार्थों को लाना अनिवार्य है, डीज़ल और पेट्रोल लाते हैं, तेल लाते हैं। उसके बाद इम्पोर्ट में दूसरे नम्बर पर हमारी इलैक्ट्रॉनिक गुड्ज़ हैं। अगर हम 'डिजिटल इंडिया' का सपना ले करके इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ के मैन्युफैक्चर के लिए चल पड़ें और हम कम से कम स्वनिर्भर बन जाएं, तो देश की तिजोरी को कितना बड़ा लाभ हो सकता है और इसलिए हम इस 'डिजिटल इंडिया' को ले करके जब आगे चलना चाहते हैं, तब ई-गवर्नेंस। ई-गवर्नेंस ईजी गवर्नेंस है, इफेक्टिव गवर्नेंस है और इकोनॉमिकल गवर्नेंस है। ई-गवर्नेंस के माध्यम से गुड गवर्नेंस की ओर जाने का रास्ता है। एक जमाना था, कहा जाता था कि रेलवे देश को जोड़ती है । ऐसा कहा जाता था। मैं कहता हूं कि आज आईटी देश के जन-जन को जोड़ने की ताकत रखती है और इसलिए हम 'डिजिटल इंडिया' के माध्यम से आईटी के धरातल पर यूनिटी के मंत्र को साकार करना चाहते हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, अगर हम इन चीजों को ले करके चलते हैं, तो मुझे विश्वास है कि 'डिजिटल इंडिया' विश्व की बराबरी करने की एक ताकत के साथ खड़ा हो जाएगा, हमारे नौजवानों में वह सामर्थ्य है, यह उनको वह अवसर दे रहा है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, हम टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहते हैं। टूरिज्म से गरीब से गरीब व्यक्ति को रोजगार मिलता है। चना बेचने वाला भी कमाता है, ऑटो-रिक्शा वाला भी कमाता है, पकौड़े बेचने वाला भी कमाता है और एक चाय बेचने वाला भी कमाता है। जब चाय बेचने वाले की बात आती है, तो मुझे ज़रा अपनापन महसूस होता है। टूरिज्म के कारण गरीब से गरीब व्यक्ति को रोज़गार मिलता है। लेकिन टूरिज्म के अंदर बढ़ावा देने में भी और एक राष्ट्रीय चरित्र के रूप में भी हमारे सामने सबसे बड़ी रुकावट है हमारे चारों तरफ दिखाई दे रही गंदगी । क्या आज़ादी के बाद, आज़ादी के इतने सालों के बाद, जब हम 21 वीं सदी के डेढ़ दशक के दरवाजे पर खड़े हैं, तब क्या अब भी हम गंदगी में जीना चाहते हैं? मैंने यहाँ सरकार में आकर पहला काम सफाई का शुरू किया है। लोगों को आश्चर्य हुआ कि क्या यह प्रधान मंत्री का काम है? लोगों को लगता होगा कि यह प्रधान मंत्री के लिए छोटा काम होगा, मेरे लिए बहुत बड़ा काम है। सफाई करना बहुत बड़ा काम है। क्या हमारा देश स्वच्छ नहीं हो सकता है? अगर सवा सौ करोड़ देशवासी तय कर लें कि मैं कभी गंदगी नहीं करूंगा तो दुनिया की कौन-सी ताकत है, जो हमारे शहर, गाँव को आकर गंदा कर सके? क्या हम इतना-सा संकल्प नहीं कर सकते हैं?</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, 2019 में महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती आ रही है। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती हम कैसे मनाएँ? महात्मा गाँधी, जिन्होंने हमें आज़ादी दी, जिन्होंने इतने बड़े देश को दुनिया के अंदर इतना सम्मान दिलाया, उन महात्मा गाँधी को हम क्या दें? भाइयो-बहनो, महात्मा गाँधी को सबसे प्रिय थी - सफाई, स्वच्छता। क्या हम तय करें कि सन् 2019 में जब हम महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मनाएँगे, तो हमारा गाँव, हमारा शहर, हमारी गली, हमारा मोहल्ला, हमारे स्कूल, हमारे मंदिर, हमारे अस्पताल, सभी क्षेत्रों में हम गंदगी का नामोनिशान नहीं रहने देंगे? यह सरकार से नहीं होता है, जन-भागीदारी से होता है, इसलिए यह काम हम सबको मिल कर करना है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं। क्या कभी हमारे मन को पीड़ा हुई कि आज भी हमारी माताओं और बहनों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है? डिग्निटी ऑफ विमेन, क्या यह हम सबका दायित्व नहीं है? बेचारी गाँव की माँ-बहनें अँधेरे का इंतजार करती हैं, जब तक अँधेरा नहीं आता है, वे शौच के लिए नहीं जा पाती हैं। उसके शरीर को कितनी पीड़ा होती होगी, कितनी बीमारियों की जड़ें उसमें से शुरू होती होंगी! क्या हमारी माँ-बहनों की इज्ज़त के लिए हम कम-से-कम शौचालय का प्रबन्ध नहीं कर सकते हैं? भाइयो-बहनो, किसी को लगेगा कि 15 अगस्त का इतना बड़ा महोत्सव बहुत बड़ी-बड़ी बातें करने का अवसर होता है। भाइयो-बहनो, बड़ी बातों का महत्व है, घोषणाओं का भी महत्व है, लेकिन कभी-कभी घोषणाएँ एषणाएँ जगाती हैं और जब घोषणाएँ परिपूर्ण नहीं होती हैं, तब समाज निराशा की गर्त में डूब जाता है। इसलिए हम उन बातों के ही कहने के पक्षधर हैं, जिनको हम अपने देखते-देखते पूरा कर पाएँ। भाइयो-बहनो, इसलिए मैं कहता हूँ कि आपको लगता होगा कि क्या लाल किले से सफाई की बात करना, लाल किले से टॉयलेट की बात बताना, यह कैसा प्रधान मंत्री है? भाइयो-बहनो, मैं नहीं जानता हूँ कि मेरी कैसी आलोचना होगी, इसे कैसे लिया जाएगा, लेकिन मैं मन से मानता हूँ। मैं गरीब परिवार से आया हूँ, मैंने गरीबी देखी है और गरीब को इज़् ज़त मिले, इसकी शुरूआत यहीं से होती है। इसलिए 'स्वच्छ भारत' का एक अभियान इसी 2 अक्टूबर से मुझे आरम्भ करना है और चार साल के भीतर-भीतर हम इस काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं। एक काम तो मैं आज ही शुरू करना चाहता हूँ और वह है- हिन्दुस्तान के सभी स्कूलों में टॉयलेट हो, बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट हो, तभी तो हमारी बच्चियाँ स्कूल छोड़ कर भागेंगी नहीं। हमारे सांसद जो एमपीलैड फंड का उपयोग कर रहे हैं, मैं उनसे आग्रह करता हूँ कि एक साल के लिए आपका धन स्कूलों में टॉयलेट बनाने के लिए खर्च कीजिए। सरकार अपना बजट टॉयलेट बनाने में खर्च करे। मैं देश के कॉरपोरेट सेक्टर्स का भी आह्वान करना चाहता हूँ कि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत आप जो खर्च कर रहे हैं, उसमें आप स्कूलों में टॉयलेट बनाने को प्राथमिकता दीजिए। सरकार के साथ मिलकर, राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक साल के भीतर-भीतर यह काम हो जाए और जब हम अगले 15 अगस्त को यहाँ खड़े हों, तब इस विश्वास के साथ खड़े हों कि अब हिन्दुस्तान का ऐसा कोई स्कूल नहीं है, जहाँ बच्चे एवं बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट का निर्माण होना बाकी है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, अगर हम सपने लेकर चलते हैं तो सपने पूरे भी होते हैं। मैं आज एक विशेष बात और कहना चाहता हूँ। भाइयो-बहनो, देशहित की चर्चा करना और देशहित के विचारों को देना, इसका अपना महत्व है। हमारे सांसद, वे कुछ करना भी चाहते हैं, लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिलता है। वे अपनी बात बता सकते हैं, सरकार को चिट्ठी लिख सकते हैं, आंदोलन कर सकते हैं, मेमोरेंडम दे सकते हैं, लेकिन फिर भी, खुद को कुछ करने का अवसर मिलता नहीं है। मैं एक नए विचार को लेकर आज आपके पास आया हूं। हमारे देश में प्रधान मंत्री के नाम पर कई योजनाएं चल रही हैं, कई नेताओं के नाम पर ढेर सारी योजनाएं चल रही हैं, लेकिन मैं आज सांसद के नाम पर एक योजना घोषित करता हूं - "सांसद आदर्श ग्राम योजना"। हम कुछ पैरामीटर्स तय करेंगे और मैं सांसदों से आग्रह करता हूं कि वे अपने इलाके में तीन हजार से पांच हजार के बीच का कोई भी गांव पसंद कर लें और कुछ पैरामीटर्स तय हों - वहां के स्थल, काल, परिस्थिति के अनुसार, वहां की शिक्षा, वहां का स्वास्थ्य, वहां की सफाई, वहां के गांव का वह माहौल, गांव में ग्रीनरी, गांव का मेलजोल, कई पैरामीटर्स हम तय करेंगे और हर सांसद 2016 तक अपने इलाके में एक गांव को आदर्श गांव बनाए। इतना तो कर सकते हैं न भाई! करना चाहिए न! देश बनाना है तो गांव से शुरू करें। एक आदर्श गांव बनाएं और मैं 2016 का टाइम इसलिए देता हूं कि नयी योजना है, लागू करने में, योजना बनाने में कभी समय लगता है और 2016 के बाद, जब 2019 में वह चुनाव के लिए जाए, उसके पहले और दो गांवों को करे और 2019 के बाद हर सांसद, 5 साल के कार्यकाल में कम से कम 5 आदर्श गांव अपने इलाके में बनाए। जो शहरी क्षेत्र के एम.पीज़ हैं, उनसे भी मेरा आवाहन है कि वे भी एक गांव पसंद करें। जो राज्य सभा के एम.पीज़ हैं, उनसे भी मेरा आग्रह है, वे भी एक गांव पसंद करें।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">हिन्दुस्तान के हर जिले में, अगर हम एक आदर्श गांव बनाकर देते हैं, तो सभी अगल-बगल के गांवों को खुद उस दिशा में जाने का मन कर जाएगा। एक मॉडल गांव बना करके देखें, व्यवस्थाओं से भरा हुआ गांव बनाकर देखें। 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती है। मैं 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती पर एक "सांसद आदर्श ग्राम योजना" का कम्प्लीट ब्ल्यूप्रिंट सभी सांसदों के सामने रख दूंगा, सभी राज्य सरकारों के सामने रख दूंगा और मैं राज्य सरकारों से भी आग्रह करता हूं कि आप भी इस योजना के माध्यम से, अपने राज्य में जो अनुकूलता हो, वैसे सभी विधायकों के लिए एक आदर्श ग्राम बनाने का संकल्प करिए। आप कल्पना कर सकते हैं, देश के सभी विधायक एक आदर्श ग्राम बनाएं, सभी सांसद एक आदर्श ग्राम बनाएं। देखते ही देखते हिन्दुस्तान के हर ब्लॉक में एक आदर्श ग्राम तैयार हो जाएगा, जो हमें गांव की सुख-सुविधा में बदलाव लाने के लिए प्रेरणा दे सकता है, हमें नई दिशा दे सकता है और इसलिए इस "सांसद आदर्श ग्राम योजना" के तहत हम आगे बढ़ना चाहते हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, जब से हमारी सरकार बनी है, तब से अखबारों में, टी.वी. में एक चर्चा चल रही है कि प्लानिंग कमीशन का क्या होगा? मैं समझता हूं कि जिस समय प्लानिंग कमीशन का जन्म हुआ, योजना आयोग का जन्म हुआ, उस समय की जो स्थितियाँ थीं, उस समय की जो आवश्यकताएँ थीं, उनके आधार पर उसकी रचना की गई। इन पिछले वर्षों में योजना आयोग ने अपने तरीके से राष्ट्र के विकास में उचित योगदान दिया है। मैं इसका आदर करता हूं, गौरव करता हूं, सम्मान करता हूं, सत्कार करता हूं, लेकिन अब देश की अंदरूनी स्थिति भी बदली हुई है, वैश्विक परिवेश भी बदला हुआ है, आर्थिक गतिविधि का केंद्र सरकारें नहीं रही हैं, उसका दायरा बहुत फैल चुका है। राज्य सरकारें विकास के केन्द्र में आ रही हैं और मैं इसको अच्छी निशानी मानता हूँ। अगर भारत को आगे ले जाना है, तो यह राज्यों को आगे ले जाकर ही होने वाला है। भारत के फेडेरल स्ट्रक्चर की अहमियत पिछले 60 साल में जितनी थी, उससे ज्यादा आज के युग में है। हमारे संघीय ढाँचे को मजबूत बनाना, हमारे संघीय ढाँचे को चेतनवंत बनाना, हमारे संघीय ढाँचे को विकास की धरोहर के रूप में काम लेना, मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री की एक टीम का फॉर्मेशन हो, केन्द्र और राज्य की एक टीम हो, एक टीम बनकर आगे चले, तो इस काम को अब प्लानिंग कमीशन के नए रंग-रूप से सोचना पड़ेगा। इसलिए लाल किले की इस प्राचीर से एक बहुत बड़ी चली आ रही पुरानी व्यवस्था में उसका कायाकल्प भी करने की जरूरत है, उसमें बहुत बदलाव करने की आवश्यकता है। कभी-कभी पुराने घर की रिपेयरिंग में खर्चा ज्यादा होता है लेकिन संतोष नहीं होता है। फिर मन करता है, अच्छा है, एक नया ही घर बना लें और इसलिए बहुत ही कम समय के भीतर योजना आयोग के स्थान पर, एक क्रिएटिव थिंकिंग के साथ राष्ट्र को आगे ले जाने की दिशा, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की दिशा, संसाधनों का ऑप्टिमम युटिलाइजेशन, प्राकृतिक संसाधनों का ऑप्टिमम युटिलाइजेशन, देश की युवा शक्ति के सामर्थ्य का उपयोग, राज्य सरकारों की आगे बढ़ने की इच्छाओं को बल देना, राज्य सरकारों को ताकतवर बनाना, संघीय ढाँचे को ताकतवर बनाना, एक ऐसे नये रंग-रूप के साथ, नये शरीर, नयी आत्मा के साथ, नयी सोच के साथ, नयी दिशा के साथ, नये विश्वास के साथ, एक नये इंस्टीट्यूशन का हम निर्माण करेंगे और बहुत ही जल्द योजना आयोग की जगह पर यह नया इंस्टीट्यूट काम करे, उस दिशा में हम आगे बढ़ने वाले हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, आज 15 अगस्त महर्षि अरविंद का भी जन्म जयंती का पर्व है। महर्षि अरविंद ने एक क्रांतिकारी से निकल कर योग गुरु की अवस्था को प्राप्त किया था। उन्होंने भारत के भाग्य के लिए कहा था कि "मुझे विश्वास है, भारत की दैविक शक्ति, भारत की आध्यात्मिक विरासत विश्व कल्याण के लिए अहम भूमिका निभाएगी"। इस प्रकार के भाव महर्षि अरविन्द ने व्यक्त किए थे। मेरी महापुरुषों की बातों में बड़ी श्रद्धा है। मेरी त्यागी, तपस्वी ऋषियों और मुनियों की बातों में बड़ी श्रद्धा है और इसलिए मुझे आज लाल किले की प्राचीर से स्वामी विवेकानन्द जी के वे शब्द याद आ रहे हैं जब स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था, "मैं मेरी आँखों के सामने देख रहा हूँ।" विवेकानन्द जी के शब्द थे - "मैं मेरी आँखों के सामने देख रहा हूँ कि फिर एक बार मेरी भारतमाता जाग उठी है, मेरी भारतमाता जगद्गुरु के स्थान पर विराजमान होगी, हर भारतीय मानवता के कल्याण के काम आएगा, भारत की यह विरासत विश्व के कल्याण के लिए काम आएगी।" ये शब्द स्वामी विवेकानन्द जी ने अपने तरीके से कहे थे। भाइयो-बहनो, विवेकानन्द जी के शब्द कभी असत्य नहीं हो सकते। स्वामी विवेकानन्द जी के शब्द, भारत को जगद्गुरु देखने का उनका सपना, उनकी दीर्घदृष्टि, उस सपने को पूरा करना हम लोगों का कर्तव्य है। दुनिया का यह सामर्थ्यवान देश, प्रकृति से हरा-भरा देश, नौजवानों का देश, आने वाले दिनों में विश्व के लिए बहुत कुछ कर सकता है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, लोग विदेश की नीतियों के संबंध में चर्चा करते हैं। मैं यह साफ मानता हूं कि भारत की विदेश नीति के कई आयाम हो सकते हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण बात है, जिस पर मैं अपना ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं कि हम आज़ादी की जैसे लड़ाई लड़े, मिल-जुलकर लड़े थे, तब तो हम अलग नहीं थे, हम साथ-साथ थे। कौन सी सरकार हमारे साथ थी? कौन से शस्त्र हमारे पास थे? एक गांधी थे, सरदार थे और लक्षावती स्वातंत्र्य सेनानी थे और इतनी बड़ी सल्तनत थी। उस सल्तनत के सामने हम आज़ादी की जंग जीते या नहीं जीते? विदेशी ताकतों को परास्त किया या नहीं किया? भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया या नहीं किया? हमीं तो थे, हमारे ही तो पूर्वज थे, जिन्होंने यह सामर्थ्य दिखाई थी। समय की मांग है, सत्ता के बिना, शासन के बिना, शस्त्र के बिना, साधनों के बिना भी इतनी बड़ी सल्तनत को हटाने का काम अगर हिंदुस्तान की जनता कर सकती है, तो भाइयो-बहनो, हम क्या गरीबी को हटा नहीं सकते? क्या हम गरीबी को परास्त नहीं कर सकते हैं? क्या हम गरीबी के खिलाफ लड़ाई जीत नहीं सकते हैं? मेरे सवा सौ करोड़ प्यारे देशवासियो, आओ! आओ, हम संकल्प करें, हम गरीबी को परास्त करें, हम विजयश्री को प्राप्त करें। भारत से गरीबी का उन्मूलन हो, उन सपनों को लेकर हम चलें और पड़ोसी देशों के पास भी यही तो समस्या है! क्यों न हम सार्क देशों के सभी साथी दोस्त मिल करके गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने की योजना बनाएं? हम मिल करके लड़ाई लड़ें, गरीबी को परास्त करें। एक बार देखें तो सही, मरने-मारने की दुनिया को छोड़ करके जीवित रहने का आनंद क्या होता है! यही तो भूमि है, जहां सिद्दार्थ के जीवन की घटना घटी थी। एक पंछी को एक भाई ने तीर मार दिया और एक दूसरे भाई ने तीर निकाल करके बचा लिया। मां के पास गए - पंछी किसका, हंस किसका? मां से पूछा, मारने वाले का या बचाने वाले का? मां ने कहा, बचाने वाले का। मारने वाले से बचाने वाले की ताकत ज्यादा होती है और वही तो आगे जा करके बुद्ध बन जाता है। वही तो आगे जा करके बुद्ध बन जाता है और इसलिए, मैं पड़ोस के देशों से मिल-जुल करके गरीबी के खिलाफ लड़ाई को लड़ने के लिए सहयोग चाहता हूं, सहयोग करना चाहता हूं और हम मिल करके, सार्क देश मिल करके, हम दुनिया में अपनी अहमियत खड़ी कर सकते हैं, हम दुनिया में एक ताकत बनकर उभर सकते हैं। आवश्यकता है, हम मिल-जुल करके चलें, गरीबी से लड़ाई जीतने का सपना ले करके चलें, कंधे से कंधा मिला करके चलें। मैं भूटान गया, नेपाल गया, सार्क देशों के सभी महानुभाव शपथ समारोह में आए, एक बहुत अच्छी शुभ शुरुआत हुई है। तो निश्चित रूप से अच्छे परिणाम मिलेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है और देश और दुनिया में भारत की यह सोच, हम देशवासियों का भला करना चाहते हैं और विश्व के कल्याण में काम आ सकें, हिन्दुस्तान ऐसा हाथ फहराना चाहता है। इन सपनों को ले करके, पूरा करके, आगे बढ़ने का हम प्रयास कर रहे हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, आज 15 अगस्त को हम देश के लिए कुछ न कुछ करने का संकल्प ले करके चलेंगे। हम देश के लिए काम आएं, देश को आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर चलेंगे और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं भाइयो-बहनो, मैं मेरी सरकार के साथियों को भी कहता हूं, अगर आप 12 घंटे काम करोगे, तो मैं 13 घंटे करूंगा। अगर आप 14 घंटे कर्म करोगे, तो मैं 15 घंटे करूंगा। क्यों? क्योंकि मैं प्रधान मंत्री नहीं, प्रधान सेवक के रूप में आपके बीच आया हूं। मैं शासक के रूप में नहीं, सेवक के रूप में सरकार लेकर आया हूं। भाइयो-बहनो, मैं विश्वास दिलाता हूं कि इस देश की एक नियति है, विश्व कल्याण की नियति है, यह विवेकानन्द जी ने कहा था। इस नियति को पूर्ण करने के लिए भारत का जन्म हुआ है, इस हिन्दुस्तान का जन्म हुआ है। इसकी परिपूर्ति के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों को तन-मन से मिलकर राष्ट्र के कल्याण के लिए आगे बढ़ना है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मैं फिर एक बार देश के सुरक्षा बलों, देश के अर्द्ध सैनिक बलों, देश की सभी सिक्योरिटी फोर्सेज़ को, मां-भारती की रक्षा के लिए, उनकी तपस्या, त्याग, उनके बलिदान पर गौरव करता हूं। मैं देशवासियों को कहता हूं, "राष्ट्रयाम् जाग्रयाम् वयम्", "Eternal vigilance is the price of liberty". हम जागते रहें, सेना जाग रही है, हम भी जागते रहें और देश नए कदम की ओर आगे बढ़ता रहे, इसी एक संकल्प के साथ हमें आगे बढ़ना है। सभी मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए -</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">वंदे मातरम्, वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!</span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-25078236298820136212014-08-16T13:13:00.003+05:302014-08-16T13:13:35.871+05:30प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 68वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिया गया भाषण <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मेरे प्यारे देशवासियो,</strong><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">आज देश और दुनिया में फैले हुए सभी हिन्दुस्तानी आज़ादी का पर्व मना रहे हैं। इस आज़ादी के पावन पर्व पर प्यारे देशवासियों को भारत के प्रधान सेवक की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मैं आपके बीच प्रधान मंत्री के रूप में नहीं, प्रधान सेवक के रूप में उपस्थित हूँ। देश की आज़ादी की जंग कितने वर्षों तक लड़ी गई, कितनी पीढ़ियाँ खप गईं, अनगिनत लोगों ने बलिदान दिए, जवानी खपा दी, जेल में ज़िन्दगी गुज़ार दी। देश की आज़ादी के लिए मर-मिटने वाले समर्पित उन सभी आज़ादी के सिपाहियों को मैं शत-शत वंदन करता हूँ, नमन करता हूँ।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">आज़ादी के इस पावन पर्व पर भारत के कोटि-कोटि जनों को भी मैं प्रणाम करता हूँ और आज़ादी की जंग के लिए जिन्होंने कुर्बानियां दीं, उनका पुण्य स्मरण करते हुए आज़ादी के इस पावन पर्व पर मां भारती के कल्याण के लिए हमारे देश के गरीब, पीड़ित, दलित, शोषित, समाज के पिछड़े हुए सभी लोगों के कल्याण का, उनके लिए कुछ न कुछ कर गुज़रने का संकल्प करने का पर्व है।</span><br />
<div align="center" style="clear: both; font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">
<div style="font-size: 14px; font-weight: bold; padding-bottom: 5px;">
<span style="font-size: 16.799999237060547px; text-align: left;">मेरे प्यारे देशवासियो, राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रीय चरित्र को निखारने का एक अवसर होता है। राष्ट्रीय पर्व से प्रेरणा ले करके भारत के राष्ट्रीय चरित्र, जन-जन का चरित्र जितना अधिक निखरे, जितना अधिक राष्ट्र के लिए समर्पित हो, सारे कार्यकलाप राष्ट्रहित की कसौटी पर कसे जाएँ, अगर उस प्रकार का जीवन जीने का हम संकल्प करते हैं, तो आज़ादी का पर्व भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का एक प्रेरणा पर्व बन सकता है।</span></div>
</div>
<span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मेरे प्यारे देशवासियो, यह देश राजनेताओं ने नहीं बनाया है, यह देश शासकों ने नहीं बनाया है, यह देश सरकारों ने भी नहीं बनाया है, यह देश हमारे किसानों ने बनाया है, हमारे मजदूरों ने बनाया है, हमारी माताओं और बहनों ने बनाया है, हमारे नौजवानों ने बनाया है, हमारे देश के ऋषियों ने, मुनियों ने, आचार्यों ने, शिक्षकों ने, वैज्ञानिकों ने, समाजसेवकों ने, पीढ़ी दर पीढ़ी कोटि-कोटि जनों की तपस्या से आज राष्ट्र यहाँ पहुँचा है। देश के लिए जीवन भर साधना करने वाली ये सभी पीढ़ियां, सभी महानुभाव अभिनन्दन के अधिकारी हैं। यह भारत के संविधान की शोभा है, भारत के संविधान का सामर्थ्य है कि एक छोटे से नगर के गरीब परिवार के एक बालक ने आज लाल किले की प्राचीर पर भारत के तिरंगे झण्डे के सामने सिर झुकाने का सौभाग्य प्राप्त किया। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है, यह भारत के संविधान रचयिताओं की हमें दी हुई अनमोल सौगात है। मैं भारत के संविधान के निर्माताओं को इस पर नमन करता हूँ।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो एवं बहनो, आज़ादी के बाद देश आज जहां पहुंचा है, उसमें इस देश के सभी प्रधान मंत्रियों का योगदान है, इस देश की सभी सरकारों का योगदान है, इस देश के सभी राज्यों की सरकारों का भी योगदान है। मैं वर्तमान भारत को उस ऊँचाई पर ले जाने का प्रयास करने वाली सभी पूर्व सरकारों को, सभी पूर्व प्रधान मंत्रियों को, उनके सभी कामों को, जिनके कारण राष्ट्र का गौरव बढ़ा है, उन सबके प्रति इस पल आदर का भाव व्यक्त करना चाहता हूँ, मैं आभार की अभिव्यक्ति करना चाहता हूं। यह देश पुरातन सांस्कृतिक धरोहर की उस नींव पर खड़ा है, जहाँ पर वेदकाल में हमें एक ही मंत्र सुनाया जाता है, जो हमारी कार्य संस्कृति का परिचय है, हम सीखते आए हैं, पुनर्स्मरण करते आए हैं- "संगच्छध्वम् संवदध्वम् सं वो मनांसि जानताम्।" हम साथ चलें, मिलकर चलें, मिलकर सोचें, मिलकर संकल्प करें और मिल करके हम देश को आगे बढ़ाएँ। इस मूल मंत्र को ले करके सवा सौ करोड़ देशवासियों ने देश को आगे बढ़ाया है। कल ही नई सरकार की प्रथम संसद के सत्र का समापन हुआ। मैं आज गर्व से कहता हूं कि संसद का सत्र हमारी सोच की पहचान है, हमारे इरादों की अभिव्यक्ति है। हम बहुमत के बल पर चलने वाले लोग नहीं हैं, हम बहुमत के बल पर आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं। हम सहमति के मजबूत धरातल पर आगे बढ़ना चाहते हैं। "संगच्छध्वम्" और इसलिए इस पूरे संसद के कार्यकाल को देश ने देखा होगा। सभी दलों को साथ लेकर, विपक्ष को जोड़ कर, कंधे से कंधा मिलाकर चलने में हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है और उसका यश सिर्फ प्रधान मंत्री को नहीं जाता है, उसका यश सिर्फ सरकार में बैठे हुए लोगों को नहीं जाता है, उसका यश प्रतिपक्ष को भी जाता है, प्रतिपक्ष के सभी नेताओं को भी जाता है, प्रतिपक्ष के सभी सांसदों को भी जाता है और लाल किले की प्राचीर से, गर्व के साथ, मैं इन सभी सांसदों का अभिवादन करता हूं। सभी राजनीतिक दलों का भी अभिवादन करता हूं, जहां सहमति के मजबूत धरातल पर राष्ट्र को आगे ले जाने के महत्वपूर्ण निर्णयों को कर-करके हमने कल संसद के सत्र का समापन किया।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, मैं दिल्ली के लिए आउटसाइडर हूं, मैं दिल्ली की दुनिया का इंसान नहीं हूं। मैं यहां के राज-काज को भी नहीं जानता। यहां की एलीट क्लास से तो मैं बहुत अछूता रहा हूं, लेकिन एक बाहर के व्यक्ति ने, एक आउटसाइडर ने दिल्ली आ करके पिछले दो महीने में, एक इनसाइडर व्यू लिया, तो मैं चौंक गया! यह मंच राजनीति का नहीं है, राष्ट्रनीति का मंच है और इसलिए मेरी बात को राजनीति के तराजू से न तोला जाए। मैंने पहले ही कहा है, मैं सभी पूर्व प्रधान मंत्रियों, पूर्व सरकारों का अभिवादन करता हूं, जिन्होंने देश को यहां तक पहुंचाया। मैं बात कुछ और करने जा रहा हूं और इसलिए इसको राजनीति के तराजू से न तोला जाए। मैंने जब दिल्ली आ करके एक इनसाइडर व्यू देखा, तो मैंने अनुभव किया, मैं चौंक गया। ऐसा लगा जैसे एक सरकार के अंदर भी दर्जनों अलग-अलग सरकारें चल रही हैं। हरेक की जैसे अपनी-अपनी जागीरें बनी हुई हैं। मुझे बिखराव नज़र आया, मुझे टकराव नज़र आया। एक डिपार्टमेंट दूसरे डिपार्टमेंट से भिड़ रहा है और यहां तक भिड़ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खट-खटाकर एक ही सरकार के दो डिपार्टमेंट आपस में लड़ाई लड़ रहे हैं। यह बिखराव, यह टकराव, एक ही देश के लोग! हम देश को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं? और इसलिए मैंने कोशिश प्रारम्भ की है, उन दीवारों को गिराने की, मैंने कोशिश प्रारम्भ की है कि सरकार एक असेम्बल्ड एन्टिटी नहीं, लेकिन एक ऑर्गेनिक युनिटी बने, ऑर्गेनिक एन्टिटी बने। एकरस हो सरकार - एक लक्ष्य, एक मन, एक दिशा, एक गति, एक मति - इस मुक़ाम पर हम देश को चलाने का संकल्प करें। हम चल सकते हैं। इन दिनों अखबारों में चर्चा चलती है कि मोदी जी की सरकार आ गई, अफसर लोग समय पर ऑफिस जाते हैं, समय पर ऑफिस खुल जाते हैं, लोग पहुंच जाते हैं। मैं देख रहा था, हिन्दुस्तान के नैशनल न्यूज़पेपर कहे जाएं, टीवी मीडिया कहा जाए, प्रमुख रूप से ये खबरें छप रही थीं। सरकार के मुखिया के नाते तो मुझे आनन्द आ सकता है कि देखो भाई, सब समय पर चलना शुरू हो गया, सफाई होने लगी, लेकिन मुझे आनन्द नहीं आ रहा था, मुझे पीड़ा हो रही थी। वह बात मैं आज पब्लिक में कहना चाहता हूं। इसलिए कहना चाहता हूं कि इस देश में सरकारी अफसर समय पर दफ्तर जाएं, यह कोई न्यूज़ होती है क्या? और अगर वह न्यूज़ बनती है, तो हम कितने नीचे गए हैं, कितने गिरे हैं, इसका वह सबूत बन जाती है और इसलिए भाइयो-बहनो, सरकारें कैसे चली हैं? आज वैश्विक स्पर्धा में कोटि-कोटि भारतीयों के सपनों को साकार करना होगा तो यह "होती है", "चलती है", से देश नहीं चल सकता। जन-सामान्य की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए, शासन व्यवस्था नाम का जो पुर्जा है, जो मशीन है, उसको और धारदार बनाना है, और तेज़ बनाना है, और गतिशील बनाना है और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं और मैं आपको विश्वास देता हूं, मेरे देशवासियो, इतने कम समय से दिल्ली के बाहर से आया हूं, लेकिन मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि सरकार में बैठे हुए लोगों का सामर्थ्य बहुत है - चपरासी से लेकर कैबिनेट सेक्रेटरी तक हर कोई सामर्थ्यवान है, हरेक की एक शक्ति है, उसका अनुभव है। मैं उस शक्ति को जगाना चाहता हूं, मैं उस शक्ति को जोड़ना चाहता हूं और उस शक्ति के माध्यम से राष्ट्र कल्याण की गति को तेज करना चाहता हूं और मैं करके रहूंगा। यह हम पाकर रहेंगे, हम करके रहेंगे, यह मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं और यह मैं 16 मई को नहीं कह सकता था, लेकिन आज दो-ढाई महीने के अनुभव के बाद, मैं 15 अगस्त को तिरंगे झंडे के साक्ष्य से कह रहा हूं, यह संभव है, यह होकर रहेगा।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, क्या देश के हमारे जिन महापुरुषों ने आज़ादी दिलाई, क्या उनके सपनों का भारत बनाने के लिए हमारा भी कोई कर्तव्य है या नहीं है, हमारा भी कोई राष्ट्रीय चरित्र है या नहीं है? उस पर गंभीरता से सोचने का समय आ गया है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, कोई मुझे बताए कि हम जो भी कर रहे हैं दिन भर, शाम को कभी अपने आपसे पूछा कि मेरे इस काम के कारण मेरे देश के गरीब से गरीब का भला हुआ या नहीं हुआ, मेरे देश के हितों की रक्षा हुई या नहीं हुई, मेरे देश के कल्याण के काम में आया या नहीं आया? क्या सवा सौ करोड़ देशवासियों का यह मंत्र नहीं होना चाहिए कि जीवन का हर कदम देशहित में होगा? दुर्भाग्य कैसा है? आज देश में एक ऐसा माहौल बना हुआ है कि किसी के पास कोई भी काम लेकर जाओ, तो कहता है, "इसमें मेरा क्या"? वहीं से शुरू करता है, "इसमें मेरा क्या" और जब उसको पता चलेगा कि इसमें उसका कुछ नहीं है, तो तुरन्त बोलता है, "तो फिर मुझे क्या"? "ये मेरा क्या" और "मुझे क्या", इस दायरे से हमें बाहर आना है। हर चीज़ अपने लिए नहीं होती है। कुछ चीज़ें देश के लिए भी हुआ करती हैं और इसलिए हमारे राष्ट्रीय चरित्र को हमें निखारना है। "मेरा क्या", "मुझे क्या", उससे ऊपर उठकर "देशहित के हर काम के लिए मैं आया हूं, मैं आगे हूं", यह भाव हमें जगाना है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, आज जब हम बलात्कार की घटनाओं की खबरें सुनते हैं, तो हमारा माथा शर्म से झुक जाता है। लोग अलग-अलग तर्क देते हैं, हर कोई मनोवैज्ञानिक बनकर अपने बयान देता है, लेकिन भाइयो-बहनो, मैं आज इस मंच से मैं उन माताओं और उनके पिताओं से पूछना चाहता हूं, हर मां-बाप से पूछना चाहता हूं कि आपके घर में बेटी 10 साल की होती है, 12 साल की होती है, मां और बाप चौकन्ने रहते हैं, हर बात पूछते हैं कि कहां जा रही हो, कब आओगी, पहुंचने के बाद फोन करना। बेटी को तो सैकड़ों सवाल मां-बाप पूछते हैं, लेकिन क्या कभी मां-बाप ने अपने बेटे को पूछने की हिम्मत की है कि कहां जा रहे हो, क्यों जा रहे हो, कौन दोस्त है? आखिर बलात्कार करने वाला किसी न किसी का बेटा तो है। उसके भी तो कोई न कोई मां-बाप हैं। क्या मां-बाप के नाते, हमने अपने बेटे को पूछा कि तुम क्या कर रहे हो, कहां जा रहे हो? अगर हर मां-बाप तय करे कि हमने बेटियों पर जितने बंधन डाले हैं, कभी बेटों पर भी डाल करके देखो तो सही, उसे कभी पूछो तो सही।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, कानून अपना काम करेगा, कठोरता से करेगा, लेकिन समाज के नाते भी, हर मां-बाप के नाते हमारा दायित्व है। कोई मुझे कहे, यह जो बंदूक कंधे पर उठाकर निर्दोषों को मौत के घाट उतारने वाले लोग कोई माओवादी होंगे, कोई आतंकवादी होंगे, वे किसी न किसी के तो बेटे हैं। मैं उन मां-बाप से पूछना चाहता हूं कि अपने बेटे से कभी इस रास्ते पर जाने से पहले पूछा था आपने? हर मां-बाप जिम्मेवारी ले, इस गलत रास्ते पर गया हुआ आपका बेटा निर्दोषों की जान लेने पर उतारू है। न वह अपना भला कर पा रहा है, न परिवार का भला कर पा रहा है और न ही देश का भला कर पा रहा है और मैं हिंसा के रास्ते पर गए हुए, उन नौजवानों से कहना चाहता हूं कि आप जो भी आज हैं, कुछ न कुछ तो भारतमाता ने आपको दिया है, तब पहुंचे हैं। आप जो भी हैं, आपके मां-बाप ने आपको कुछ तो दिया है, तब हैं। मैं आपसे पूछना चाहता हूं, कंधे पर बंदूक ले करके आप धरती को लाल तो कर सकते हो, लेकिन कभी सोचो, अगर कंधे पर हल होगा, तो धरती पर हरियाली होगी, कितनी प्यारी लगेगी। कब तक हम इस धरती को लहूलुहान करते रहेंगे? और हमने पाया क्या है? हिंसा के रास्ते ने हमें कुछ नहीं दिया है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, मैं पिछले दिनों नेपाल गया था। मैंने नेपाल में सार्वजनिक रूप से पूरे विश्व को आकर्षित करने वाली एक बात कही थी। एक ज़माना था, सम्राट अशोक जिन्होंने युद्ध का रास्ता लिया था, लेकिन हिंसा को देख करके युद्ध छोड़, बुद्ध के रास्ते पर चले गए। मैं देख रहा हूं कि नेपाल में कोई एक समय था, जब नौजवान हिंसा के रास्ते पर चल पड़े थे, लेकिन आज वही नौजवान संविधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्हीं के साथ जुड़े लोग संविधान के निर्माण में लगे हैं और मैंने कहा था, शस्त्र छोड़कर शास्त्र के रास्ते पर चलने का अगर नेपाल एक उत्तम उदाहरण देता है, तो विश्व में हिंसा के रास्ते पर गए हुए नौजवानों को वापस आने की प्रेरणा दे सकता है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, बुद्ध की भूमि, नेपाल अगर संदेश दे सकती है, तो क्या भारत की भूमि दुनिया को संदेश नहीं दे सकती है? और इसलिए समय की मांग है, हम हिंसा का रास्ता छोड़ें, भाईचारे के रास्ते पर चलें।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, सदियों से किसी न किसी कारणवश साम्प्रदायिक तनाव से हम गुज़र रहे हैं, देश विभाजन तक हम पहुंच गए। आज़ादी के बाद भी कभी जातिवाद का ज़हर, कभी सम्पद्रायवाद का ज़हर, ये पापाचार कब तक चलेगा? किसका भला होता है? बहुत लड़ लिया, बहुत लोगों को काट लिया, बहुत लोगों को मार दिया। भाइयो-बहनो, एक बार पीछे मुड़कर देखिए, किसी ने कुछ नहीं पाया है। सिवाय भारत मां के अंगों पर दाग लगाने के हमने कुछ नहीं किया है और इसलिए, मैं देश के उन लोगों का आह्वान करता हूं कि जातिवाद का ज़हर हो, सम्प्रदायवाद का ज़हर हो, आतंकवाद का ज़हर हो, ऊंच-नीच का भाव हो, यह देश को आगे बढ़ाने में रुकावट है। एक बार मन में तय करो, दस साल के लिए मोरेटोरियम तय करो, दस साल तक इन तनावों से हम मुक्त समाज की ओर जाना चाहते हैं और आप देखिए, शांति, एकता, सद्भावना, भाईचारा हमें आगे बढ़ने में कितनी ताकत देता है, एक बार देखो।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मेरे देशवासियो, मेरे शब्दों पर भरोसा कीजिए, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। अब तक किए हुए पापों को, उस रास्ते को छोड़ें, सद्भावना, भाईचारे का रास्ता अपनाएं और हम देश को आगे ले जाने का संकल्प करें। मुझे विश्वास है कि हम इसको कर सकते हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ रहा है, आधुनिकता का हमारे मन में एक भाव जगता है, पर हम करते क्या हैं? क्या कभी सोचा है कि आज हमारे देश में सेक्स रेशियो का क्या हाल है? 1 हजार लड़कों पर 940 बेटियाँ पैदा होती हैं। समाज में यह असंतुलन कौन पैदा कर रहा है? ईश्वर तो नहीं कर रहा है। मैं उन डॉक्टरों से अनुरोध करना चाहता हूं कि अपनी तिजोरी भरने के लिए किसी माँ के गर्भ में पल रही बेटी को मत मारिए। मैं उन माताओं, बहनों से कहता हूं कि आप बेटे की आस में बेटियों को बलि मत चढ़ाइए। कभी-कभी माँ-बाप को लगता है कि बेटा होगा, तो बुढ़ापे में काम आएगा। मैं सामाजिक जीवन में काम करने वाला इंसान हूं। मैंने ऐसे परिवार देखे हैं कि पाँच बेटे हों, पाँचों के पास बंगले हों, घर में दस-दस गाड़ियाँ हों, लेकिन बूढ़े माँ-बाप ओल्ड एज होम में रहते हैं, वृद्धाश्रम में रहते हैं। मैंने ऐसे परिवार देखे हैं। मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं, जहाँ संतान के रूप में अकेली बेटी हो, वह बेटी अपने सपनों की बलि चढ़ाती है, शादी नहीं करती और बूढ़े माँ-बाप की सेवा के लिए अपने जीवन को खपा देती है। यह असमानता, माँ के गर्भ में बेटियों की हत्या, इस 21वीं सदी के मानव का मन कितना कलुषित, कलंकित, कितना दाग भरा है, उसका प्रदर्शन कर रहा है। हमें इससे मुक्ति लेनी होगी और यही तो आज़ादी के पर्व का हमारे लिए संदेश है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">अभी राष्ट्रमंडल खेल हुए हैं। भारत के खिलाड़ियों ने भारत को गौरव दिलाया है। हमारे करीब 64 खिलाड़ी जीते हैं। हमारे 64 खिलाड़ी मेडल लेकर आए हैं, लेकिन उनमें 29 बेटियाँ हैं। इस पर गर्व करें और उन बेटियों के लिए ताली बजाएं। भारत की आन-बान-शान में हमारी बेटियों का भी योगदान है, हम इसको स्वीकार करें और उन्हें भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ लेकर चलें, तो सामाजिक जीवन में जो बुराइयाँ आई हैं, हम उन बुराइयों से मुक्ति पा सकते हैं। इसलिए भाइयो-बहनो, एक सामाजिक चरित्र के नाते, एक राष्ट्रीय चरित्र के नाते हमें उस दिशा में जाना है। भाइयो-बहनो, देश को आगे बढ़ाना है, तो विकास - एक ही रास्ता है। सुशासन - एक ही रास्ता है। देश को आगे ले जाने के लिए ये ही दो पटरियाँ हैं - गुड गवर्नेंस एंड डेवलपमेंट, उन्हीं को लेकर हम आगे चल सकते हैं। उन्हीं को लेकर चलने का इरादा लेकर हम चलना चाहते हैं। मैं जब गुड गवर्नेंस की बात करता हूँ, तब आप मुझे बताइए कि कोई प्राइवेट में नौकरी करता है, अगर आप उसको पूछोगे, तो वह कहता है कि मैं जॉब करता हूँ, लेकिन जो सरकार में नौकरी करता है, उसको पूछोगे, तो वह कहता है कि मैं सर्विस करता हूँ। दोनों कमाते हैं, लेकिन एक के लिए जॉब है और एक के लिए सर्विस है। मैं सरकारी सेवा में लगे सभी भाइयों और बहनों से प्रश्न पूछता हूँ कि क्या कहीं यह 'सर्विस' शब्द, उसने अपनी ताकत खो तो नहीं दी है, अपनी पहचान खो तो नहीं दी है? सरकारी सेवा में जुड़े हुए लोग 'जॉब' नहीं कर रहे हैं, 'सेवा' कर रहे हैं, 'सर्विस' कर रहे हैं। इसलिए इस भाव को पुनर्जीवित करना, एक राष्ट्रीय चरित्र के रूप में इसको हमें आगे ले जाना, उस दिशा में हमें आगे बढ़ना है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, क्या देश के नागरिकों को राष्ट्र के कल्याण के लिए कदम उठाना चाहिए या नहीं उठाना चाहिए? आप कल्पना कीजिए, सवा सौ करोड़ देशवासी एक कदम चलें, तो यह देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाएगा। लोकतंत्र, यह सिर्फ सरकार चुनने का सीमित मायना नहीं है। लोकतंत्र में सवा सौ करोड़ नागरिक और सरकार कंधे से कंधा मिला कर देश की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए काम करें, यह लोकतंत्र का मायना है। हमें जन-भागीदारी करनी है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ आगे बढ़ना है। हमें जनता को जोड़कर आगे बढ़ना है। उसे जोड़ने में आगे बढ़ने के लिए, आप मुझे बताइए कि आज हमारा किसान आत्महत्या क्यों करता है? वह साहूकार से कर्ज़ लेता है, कर्ज़ दे नहीं सकता है, मर जाता है। बेटी की शादी है, गरीब आदमी साहूकार से कर्ज़ लेता है, कर्ज़ वापस दे नहीं पाता है, जीवन भर मुसीबतों से गुज़रता है। मेरे उन गरीब परिवारों की रक्षा कौन करेगा?</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, इस आज़ादी के पर्व पर मैं एक योजना को आगे बढ़ाने का संकल्प करने के लिए आपके पास आया हूँ - 'प्रधान मंत्री जनधन योजना'। इस 'प्रधान मंत्री जनधन योजना' के माध्यम से हम देश के गरीब से गरीब लोगों को बैंक अकाउंट की सुविधा से जोड़ना चाहते हैं। आज करोड़ों-करोड़ परिवार हैं, जिनके पास मोबाइल फोन तो हैं, लेकिन बैंक अकाउंट नहीं हैं। यह स्थिति हमें बदलनी है। देश के आर्थिक संसाधन गरीब के काम आएँ, इसकी शुरुआत यहीं से होती है। यही तो है, जो खिड़की खोलता है। इसलिए 'प्रधान मंत्री जनधन योजना' के तहत जो अकाउंट खुलेगा, उसको डेबिट कार्ड दिया जाएगा। उस डेबिट कार्ड के साथ हर गरीब परिवार को एक लाख रुपए का बीमा सुनिश्चित कर दिया जाएगा, ताकि अगर उसके जीवन में कोई संकट आया, तो उसके परिवारजनों को एक लाख रुपए का बीमा मिल सकता है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">इयो-बहनो, यह देश नौजवानों का देश है। 65 प्रतिशत देश की जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा नौजवान देश है। क्या हमने कभी इसका फायदा उठाने के लिए सोचा है? आज दुनिया को स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत है। आज भारत को भी स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत है। कभी-कभार हम अच्छा ड्राइवर ढूँढ़ते हैं, नहीं मिलता है, प्लम्बर ढूँढ़ते हैं, नहीं मिलता है, अच्छा कुक चाहिए, नहीं मिलता है। नौजवान हैं, बेरोजगार हैं, लेकिन हमें जैसा चाहिए, वैसा नौजवान मिलता नहीं है। देश के विकास को यदि आगे बढ़ाना है, तो 'स्किल डेवलपमेंट' और 'स्किल्ड इंडिया' यह हमारा मिशन है। हिन्दुस्तान के कोटि-कोटि नौजवान स्किल सीखें, हुनर सीखें, उसके लिए पूरे देश में जाल होना चाहिए और घिसी-पिटी व्यवस्थाओं से नहीं, उनको वह स्किल मिले, जो उन्हें आधुनिक भारत बनाने में काम आए। वे दुनिया के किसी भी देश में जाएँ, तो उनके हुनर की सराहना हो और हम दो प्रकार के विकास को लेकर चलना चाहते हैं। मैं ऐसे नौजवानों को भी तैयार करना चाहता हूँ, जो जॉब क्रिएटर हों और जो जॉब क्रिएट करने का सामर्थ्य नहीं रखते, संयोग नहीं है, वे विश्व के किसी भी कोने में जाकर आँख में आँख मिला करके अपने बाहुबल के द्वारा, अपनी उँगलियों के हुनर के द्वारा, अपने कौशल्य के द्वारा विश्व का हृदय जीत सकें, ऐसे नौजवानों का सामर्थ्य हम तैयार करना चाहते हैं। भाइयो-बहनो, स्किल डेवलपमेंट को बहुत तेज़ी से आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर मैं यह करना चाहता हूं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, विश्व बदल चुका है। मेरे प्यारे देशवासियो, विश्व बदल चुका है। अब भारत अलग-थलग, अकेला एक कोने में बैठकर अपना भविष्य तय नहीं कर सकता। विश्व की आर्थिक व्यवस्थाएँ बदल चुकी हैं और इसलिए हम लोगों को भी उसी रूप में सोचना होगा। सरकार ने अभी कई फैसले लिए हैं, बजट में कुछ घोषणाएँ की हैं और मैं विश्व का आह्वान करता हूँ, विश्व में पहुँचे हुए भारतवासियों का भी आह्वान करता हूँ कि आज अगर हमें नौजवानों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देना है, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देना पड़ेगा। इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट की जो स्थिति है, उसमें संतुलन पैदा करना हो, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर बल देना होगा। हमारे नौजवानों की जो विद्या है, सामर्थ्य है, उसको अगर काम में लाना है, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग की ओर जाना पड़ेगा और इसके लिए हिन्दुस्तान की भी पूरी ताकत लगेगी, लेकिन विश्व की शक्तियों को भी हम निमंत्रण देते हैं। इसलिए मैं आज लाल किले की प्राचीर से विश्व भर में लोगों से कहना चाहता हूँ, "कम, मेक इन इंडिया," "आइए, हिन्दुस्तान में निर्माण कीजिए।" दुनिया के किसी भी देश में जाकर बेचिए, लेकिन निर्माण यहाँ कीजिए, मैन्युफैक्चर यहाँ कीजिए। हमारे पास स्किल है, टेलेंट है, डिसिप्लिन है, कुछ कर गुज़रने का इरादा है। हम विश्व को एक सानुकूल अवसर देना चाहते हैं कि आइए, "कम, मेक इन इंडिया" और हम विश्व को कहें, इलेक्ट्रिकल से ले करके इलेक्ट्रॉनिक्स तक "कम, मेक इन इंडिया", केमिकल्स से ले करके फार्मास्युटिकल्स तक "कम, मेक इन इंडिया", ऑटोमोबाइल्स से ले करके ऐग्रो वैल्यू एडीशन तक "कम, मेक इन इंडिया", पेपर हो या प्लास्टिक "कम, मेक इन इंडिया", सैटेलाइट हो या सबमेरीन "कम, मेक इन इंडिया"। ताकत है हमारे देश में! आइए, मैं निमंत्रण देता हूं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, मैं देश के नौजवानों का भी एक आवाहन करना चाहता हूं, विशेष करके उद्योग क्षेत्र में लगे हुए छोटे-छोटे लोगों का आवाहन करना चाहता हूं। मैं देश के टेक्निकल एजुकेशन से जुड़े हुए नौजवानों का आवाहन करना चाहता हूं। जैसे मैं विश्व से कहता हूं "कम, मेक इन इंडिया", मैं देश के नौजवानों को कहता हूं - हमारा सपना होना चाहिए कि दुनिया के हर कोने में यह बात पहुंचनी चाहिए, "मेड इन इंडिया"। यह हमारा सपना होना चाहिए। क्या मेरे देश के नौजवानों को देश-सेवा करने के लिए सिर्फ भगत सिंह की तरह फांसी पर लटकना ही अनिवार्य है? भाइयो-बहनो, लालबहादुर शास्त्री जी ने "जय जवान, जय किसान" एक साथ मंत्र दिया था। जवान, जो सीमा पर अपना सिर दे देता है, उसी की बराबरी में "जय जवान" कहा था। क्यों? क्योंकि अन्न के भंडार भर करके मेरा किसान भारत मां की उतनी ही सेवा करता है, जैसे जवान भारत मां की रक्षा करता है। यह भी देश सेवा है। अन्न के भंडार भरना, यह भी किसान की सबसे बड़ी देश सेवा है और तभी तो लालबहादुर शास्त्री ने "जय जवान, जय किसान" कहा था।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, मैं नौजवानों से कहना चाहता हूं, आपके रहते हुए छोटी-मोटी चीज़ें हमें दुनिया से इम्पोर्ट क्यों करनी पड़ें? क्या मेरे देश के नौजवान यह तय कर सकते हैं, वे ज़रा रिसर्च करें, ढूंढ़ें कि भारत कितने प्रकार की चीज़ों को इम्पोर्ट करता है और वे फैसला करें कि मैं अपने छोटे-छोटे काम के द्वारा, उद्योग के द्वारा, मेरा छोटा ही कारखाना क्यों न हो, लेकिन मेरे देश में इम्पोर्ट होने वाली कम से कम एक चीज़ मैं ऐसी बनाऊंगा कि मेरे देश को कभी इम्पोर्ट न करना पड़े। इतना ही नहीं, मेरा देश एक्सपोर्ट करने की स्थिति में आए। अगर हिन्दुस्तान के लाखों नौजवान एक-एक आइटम ले करके बैठ जाएं, तो भारत दुनिया में एक्सपोर्ट करने वाला देश बन सकता है और इसलिए मेरा आग्रह है, नौजवानों से विशेष करके, छोटे-मोटे उद्योगकारों से - दो बातों में कॉम्प्रोमाइज़ न करें, एक ज़ीरो डिफेक्ट, दूसरा ज़ीरो इफेक्ट। हम वह मैन्युफैक्चरिंग करें, जिसमें ज़ीरो डिफेक्ट हो, ताकि दुनिया के बाज़ार से वह कभी वापस न आए और हम वह मैन्युफैक्चरिंग करें, जिससे ज़ीरो इफेक्ट हो, पर्यावरण पर इसका कोई नेगेटिव इफेक्ट न हो। ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट के साथ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का सपना ले करके अगर हम आगे चलते हैं, तो मुझे विश्वास है, मेरे भाइयो-बहनो, कि जिस काम को ले करके हम चल रहे हैं, उस काम को पूरा करेंगे।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, पूरे विश्व में हमारे देश के नौजवानों ने भारत की पहचान को बदल दिया है। विश्व भारत को क्या जानता था? ज्यादा नहीं, अभी 25-30 साल पहले तक दुनिया के कई कोने ऐसे थे जो हिन्दुस्तान के लिए यही सोचते थे कि ये तो "सपेरों का देश" है। ये सांप का खेल करने वाला देश है, काले जादू वाला देश है। भारत की सच्ची पहचान दुनिया तक पहुंची नहीं थी, लेकिन भाइयो-बहनो, हमारे 20-22-23 साल के नौजवान, जिन्होंने कम्प्यूटर पर अंगुलियां घुमाते-घुमाते दुनिया को चकित कर दिया। विश्व में भारत की एक नई पहचान बनाने का रास्ता हमारे आई.टी. प्रोफेशन के नौजवानों ने कर दिया। अगर यह ताकत हमारे देश में है, तो क्या देश के लिए हम कुछ सोच सकते हैं? इसलिए हमारा सपना "डिजिटल इंडिया" है। जब मैं "डिजिटल इंडिया" कहता हूं, तब ये बड़े लोगों की बात नहीं है, यह गरीब के लिए है। अगर ब्रॉडबेंड कनेक्टिविटी से हिन्दुस्तान के गांव जुड़ते हैं और गांव के आखिरी छोर के स्कूल में अगर हम लॉन्ग डिस्टेंस एजुकेशन दे सकते हैं, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारे उन गांवों के बच्चों को कितनी अच्छी शिक्षा मिलेगी। जहां डाक्टर नहीं पहुंच पाते, अगर हम टेलिमेडिसिन का नेटवर्क खड़ा करें, तो वहां पर बैठे हुए गरीब व्यक्ति को भी, किस प्रकार की दवाई की दिशा में जाना है, उसका स्पष्ट मार्गदर्शन मिल सकता है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">सामान्य मानव की रोजमर्रा की चीज़ें - आपके हाथ में मोबाइल फोन है, हिन्दुस्तान के नागरिकों के पास बहुत बड़ी तादाद में मोबाइल कनेक्टिविटी है, लेकिन क्या इस मोबाइल गवर्नेंस की तरफ हम जा सकते हैं? अपने मोबाइल से गरीब आदमी बैंक अकाउंट ऑपरेट करे, वह सरकार से अपनी चीज़ें मांग सके, वह अपनी अर्ज़ी पेश करे, अपना सारा कारोबार चलते-चलते मोबाइल गवर्नेंस के द्वारा कर सके और यह अगर करना है, तो हमें 'डिजिटल इंडिया' की ओर जाना है। और 'डिजिटल इंडिया' की तरफ जाना है, तो इसके साथ हमारा यह भी सपना है, हम आज बहुत बड़ी मात्रा में विदेशों से इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ इम्पोर्ट करते हैं। आपको हैरानी होगी भाइयो-बहनो, ये टीवी, ये मोबाइल फोन, ये आईपैड, ये जो इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ हम लाते हैं, देश के लिए पेट्रोलियम पदार्थों को लाना अनिवार्य है, डीज़ल और पेट्रोल लाते हैं, तेल लाते हैं। उसके बाद इम्पोर्ट में दूसरे नम्बर पर हमारी इलैक्ट्रॉनिक गुड्ज़ हैं। अगर हम 'डिजिटल इंडिया' का सपना ले करके इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ के मैन्युफैक्चर के लिए चल पड़ें और हम कम से कम स्वनिर्भर बन जाएं, तो देश की तिजोरी को कितना बड़ा लाभ हो सकता है और इसलिए हम इस 'डिजिटल इंडिया' को ले करके जब आगे चलना चाहते हैं, तब ई-गवर्नेंस। ई-गवर्नेंस ईजी गवर्नेंस है, इफेक्टिव गवर्नेंस है और इकोनॉमिकल गवर्नेंस है। ई-गवर्नेंस के माध्यम से गुड गवर्नेंस की ओर जाने का रास्ता है। एक जमाना था, कहा जाता था कि रेलवे देश को जोड़ती है । ऐसा कहा जाता था। मैं कहता हूं कि आज आईटी देश के जन-जन को जोड़ने की ताकत रखती है और इसलिए हम 'डिजिटल इंडिया' के माध्यम से आईटी के धरातल पर यूनिटी के मंत्र को साकार करना चाहते हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, अगर हम इन चीजों को ले करके चलते हैं, तो मुझे विश्वास है कि 'डिजिटल इंडिया' विश्व की बराबरी करने की एक ताकत के साथ खड़ा हो जाएगा, हमारे नौजवानों में वह सामर्थ्य है, यह उनको वह अवसर दे रहा है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, हम टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहते हैं। टूरिज्म से गरीब से गरीब व्यक्ति को रोजगार मिलता है। चना बेचने वाला भी कमाता है, ऑटो-रिक्शा वाला भी कमाता है, पकौड़े बेचने वाला भी कमाता है और एक चाय बेचने वाला भी कमाता है। जब चाय बेचने वाले की बात आती है, तो मुझे ज़रा अपनापन महसूस होता है। टूरिज्म के कारण गरीब से गरीब व्यक्ति को रोज़गार मिलता है। लेकिन टूरिज्म के अंदर बढ़ावा देने में भी और एक राष्ट्रीय चरित्र के रूप में भी हमारे सामने सबसे बड़ी रुकावट है हमारे चारों तरफ दिखाई दे रही गंदगी । क्या आज़ादी के बाद, आज़ादी के इतने सालों के बाद, जब हम 21 वीं सदी के डेढ़ दशक के दरवाजे पर खड़े हैं, तब क्या अब भी हम गंदगी में जीना चाहते हैं? मैंने यहाँ सरकार में आकर पहला काम सफाई का शुरू किया है। लोगों को आश्चर्य हुआ कि क्या यह प्रधान मंत्री का काम है? लोगों को लगता होगा कि यह प्रधान मंत्री के लिए छोटा काम होगा, मेरे लिए बहुत बड़ा काम है। सफाई करना बहुत बड़ा काम है। क्या हमारा देश स्वच्छ नहीं हो सकता है? अगर सवा सौ करोड़ देशवासी तय कर लें कि मैं कभी गंदगी नहीं करूंगा तो दुनिया की कौन-सी ताकत है, जो हमारे शहर, गाँव को आकर गंदा कर सके? क्या हम इतना-सा संकल्प नहीं कर सकते हैं?</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, 2019 में महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती आ रही है। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती हम कैसे मनाएँ? महात्मा गाँधी, जिन्होंने हमें आज़ादी दी, जिन्होंने इतने बड़े देश को दुनिया के अंदर इतना सम्मान दिलाया, उन महात्मा गाँधी को हम क्या दें? भाइयो-बहनो, महात्मा गाँधी को सबसे प्रिय थी - सफाई, स्वच्छता। क्या हम तय करें कि सन् 2019 में जब हम महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मनाएँगे, तो हमारा गाँव, हमारा शहर, हमारी गली, हमारा मोहल्ला, हमारे स्कूल, हमारे मंदिर, हमारे अस्पताल, सभी क्षेत्रों में हम गंदगी का नामोनिशान नहीं रहने देंगे? यह सरकार से नहीं होता है, जन-भागीदारी से होता है, इसलिए यह काम हम सबको मिल कर करना है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं। क्या कभी हमारे मन को पीड़ा हुई कि आज भी हमारी माताओं और बहनों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है? डिग्निटी ऑफ विमेन, क्या यह हम सबका दायित्व नहीं है? बेचारी गाँव की माँ-बहनें अँधेरे का इंतजार करती हैं, जब तक अँधेरा नहीं आता है, वे शौच के लिए नहीं जा पाती हैं। उसके शरीर को कितनी पीड़ा होती होगी, कितनी बीमारियों की जड़ें उसमें से शुरू होती होंगी! क्या हमारी माँ-बहनों की इज्ज़त के लिए हम कम-से-कम शौचालय का प्रबन्ध नहीं कर सकते हैं? भाइयो-बहनो, किसी को लगेगा कि 15 अगस्त का इतना बड़ा महोत्सव बहुत बड़ी-बड़ी बातें करने का अवसर होता है। भाइयो-बहनो, बड़ी बातों का महत्व है, घोषणाओं का भी महत्व है, लेकिन कभी-कभी घोषणाएँ एषणाएँ जगाती हैं और जब घोषणाएँ परिपूर्ण नहीं होती हैं, तब समाज निराशा की गर्त में डूब जाता है। इसलिए हम उन बातों के ही कहने के पक्षधर हैं, जिनको हम अपने देखते-देखते पूरा कर पाएँ। भाइयो-बहनो, इसलिए मैं कहता हूँ कि आपको लगता होगा कि क्या लाल किले से सफाई की बात करना, लाल किले से टॉयलेट की बात बताना, यह कैसा प्रधान मंत्री है? भाइयो-बहनो, मैं नहीं जानता हूँ कि मेरी कैसी आलोचना होगी, इसे कैसे लिया जाएगा, लेकिन मैं मन से मानता हूँ। मैं गरीब परिवार से आया हूँ, मैंने गरीबी देखी है और गरीब को इज़् ज़त मिले, इसकी शुरूआत यहीं से होती है। इसलिए 'स्वच्छ भारत' का एक अभियान इसी 2 अक्टूबर से मुझे आरम्भ करना है और चार साल के भीतर-भीतर हम इस काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं। एक काम तो मैं आज ही शुरू करना चाहता हूँ और वह है- हिन्दुस्तान के सभी स्कूलों में टॉयलेट हो, बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट हो, तभी तो हमारी बच्चियाँ स्कूल छोड़ कर भागेंगी नहीं। हमारे सांसद जो एमपीलैड फंड का उपयोग कर रहे हैं, मैं उनसे आग्रह करता हूँ कि एक साल के लिए आपका धन स्कूलों में टॉयलेट बनाने के लिए खर्च कीजिए। सरकार अपना बजट टॉयलेट बनाने में खर्च करे। मैं देश के कॉरपोरेट सेक्टर्स का भी आह्वान करना चाहता हूँ कि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत आप जो खर्च कर रहे हैं, उसमें आप स्कूलों में टॉयलेट बनाने को प्राथमिकता दीजिए। सरकार के साथ मिलकर, राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक साल के भीतर-भीतर यह काम हो जाए और जब हम अगले 15 अगस्त को यहाँ खड़े हों, तब इस विश्वास के साथ खड़े हों कि अब हिन्दुस्तान का ऐसा कोई स्कूल नहीं है, जहाँ बच्चे एवं बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट का निर्माण होना बाकी है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, अगर हम सपने लेकर चलते हैं तो सपने पूरे भी होते हैं। मैं आज एक विशेष बात और कहना चाहता हूँ। भाइयो-बहनो, देशहित की चर्चा करना और देशहित के विचारों को देना, इसका अपना महत्व है। हमारे सांसद, वे कुछ करना भी चाहते हैं, लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिलता है। वे अपनी बात बता सकते हैं, सरकार को चिट्ठी लिख सकते हैं, आंदोलन कर सकते हैं, मेमोरेंडम दे सकते हैं, लेकिन फिर भी, खुद को कुछ करने का अवसर मिलता नहीं है। मैं एक नए विचार को लेकर आज आपके पास आया हूं। हमारे देश में प्रधान मंत्री के नाम पर कई योजनाएं चल रही हैं, कई नेताओं के नाम पर ढेर सारी योजनाएं चल रही हैं, लेकिन मैं आज सांसद के नाम पर एक योजना घोषित करता हूं - "सांसद आदर्श ग्राम योजना"। हम कुछ पैरामीटर्स तय करेंगे और मैं सांसदों से आग्रह करता हूं कि वे अपने इलाके में तीन हजार से पांच हजार के बीच का कोई भी गांव पसंद कर लें और कुछ पैरामीटर्स तय हों - वहां के स्थल, काल, परिस्थिति के अनुसार, वहां की शिक्षा, वहां का स्वास्थ्य, वहां की सफाई, वहां के गांव का वह माहौल, गांव में ग्रीनरी, गांव का मेलजोल, कई पैरामीटर्स हम तय करेंगे और हर सांसद 2016 तक अपने इलाके में एक गांव को आदर्श गांव बनाए। इतना तो कर सकते हैं न भाई! करना चाहिए न! देश बनाना है तो गांव से शुरू करें। एक आदर्श गांव बनाएं और मैं 2016 का टाइम इसलिए देता हूं कि नयी योजना है, लागू करने में, योजना बनाने में कभी समय लगता है और 2016 के बाद, जब 2019 में वह चुनाव के लिए जाए, उसके पहले और दो गांवों को करे और 2019 के बाद हर सांसद, 5 साल के कार्यकाल में कम से कम 5 आदर्श गांव अपने इलाके में बनाए। जो शहरी क्षेत्र के एम.पीज़ हैं, उनसे भी मेरा आवाहन है कि वे भी एक गांव पसंद करें। जो राज्य सभा के एम.पीज़ हैं, उनसे भी मेरा आग्रह है, वे भी एक गांव पसंद करें।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">हिन्दुस्तान के हर जिले में, अगर हम एक आदर्श गांव बनाकर देते हैं, तो सभी अगल-बगल के गांवों को खुद उस दिशा में जाने का मन कर जाएगा। एक मॉडल गांव बना करके देखें, व्यवस्थाओं से भरा हुआ गांव बनाकर देखें। 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती है। मैं 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती पर एक "सांसद आदर्श ग्राम योजना" का कम्प्लीट ब्ल्यूप्रिंट सभी सांसदों के सामने रख दूंगा, सभी राज्य सरकारों के सामने रख दूंगा और मैं राज्य सरकारों से भी आग्रह करता हूं कि आप भी इस योजना के माध्यम से, अपने राज्य में जो अनुकूलता हो, वैसे सभी विधायकों के लिए एक आदर्श ग्राम बनाने का संकल्प करिए। आप कल्पना कर सकते हैं, देश के सभी विधायक एक आदर्श ग्राम बनाएं, सभी सांसद एक आदर्श ग्राम बनाएं। देखते ही देखते हिन्दुस्तान के हर ब्लॉक में एक आदर्श ग्राम तैयार हो जाएगा, जो हमें गांव की सुख-सुविधा में बदलाव लाने के लिए प्रेरणा दे सकता है, हमें नई दिशा दे सकता है और इसलिए इस "सांसद आदर्श ग्राम योजना" के तहत हम आगे बढ़ना चाहते हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, जब से हमारी सरकार बनी है, तब से अखबारों में, टी.वी. में एक चर्चा चल रही है कि प्लानिंग कमीशन का क्या होगा? मैं समझता हूं कि जिस समय प्लानिंग कमीशन का जन्म हुआ, योजना आयोग का जन्म हुआ, उस समय की जो स्थितियाँ थीं, उस समय की जो आवश्यकताएँ थीं, उनके आधार पर उसकी रचना की गई। इन पिछले वर्षों में योजना आयोग ने अपने तरीके से राष्ट्र के विकास में उचित योगदान दिया है। मैं इसका आदर करता हूं, गौरव करता हूं, सम्मान करता हूं, सत्कार करता हूं, लेकिन अब देश की अंदरूनी स्थिति भी बदली हुई है, वैश्विक परिवेश भी बदला हुआ है, आर्थिक गतिविधि का केंद्र सरकारें नहीं रही हैं, उसका दायरा बहुत फैल चुका है। राज्य सरकारें विकास के केन्द्र में आ रही हैं और मैं इसको अच्छी निशानी मानता हूँ। अगर भारत को आगे ले जाना है, तो यह राज्यों को आगे ले जाकर ही होने वाला है। भारत के फेडेरल स्ट्रक्चर की अहमियत पिछले 60 साल में जितनी थी, उससे ज्यादा आज के युग में है। हमारे संघीय ढाँचे को मजबूत बनाना, हमारे संघीय ढाँचे को चेतनवंत बनाना, हमारे संघीय ढाँचे को विकास की धरोहर के रूप में काम लेना, मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री की एक टीम का फॉर्मेशन हो, केन्द्र और राज्य की एक टीम हो, एक टीम बनकर आगे चले, तो इस काम को अब प्लानिंग कमीशन के नए रंग-रूप से सोचना पड़ेगा। इसलिए लाल किले की इस प्राचीर से एक बहुत बड़ी चली आ रही पुरानी व्यवस्था में उसका कायाकल्प भी करने की जरूरत है, उसमें बहुत बदलाव करने की आवश्यकता है। कभी-कभी पुराने घर की रिपेयरिंग में खर्चा ज्यादा होता है लेकिन संतोष नहीं होता है। फिर मन करता है, अच्छा है, एक नया ही घर बना लें और इसलिए बहुत ही कम समय के भीतर योजना आयोग के स्थान पर, एक क्रिएटिव थिंकिंग के साथ राष्ट्र को आगे ले जाने की दिशा, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की दिशा, संसाधनों का ऑप्टिमम युटिलाइजेशन, प्राकृतिक संसाधनों का ऑप्टिमम युटिलाइजेशन, देश की युवा शक्ति के सामर्थ्य का उपयोग, राज्य सरकारों की आगे बढ़ने की इच्छाओं को बल देना, राज्य सरकारों को ताकतवर बनाना, संघीय ढाँचे को ताकतवर बनाना, एक ऐसे नये रंग-रूप के साथ, नये शरीर, नयी आत्मा के साथ, नयी सोच के साथ, नयी दिशा के साथ, नये विश्वास के साथ, एक नये इंस्टीट्यूशन का हम निर्माण करेंगे और बहुत ही जल्द योजना आयोग की जगह पर यह नया इंस्टीट्यूट काम करे, उस दिशा में हम आगे बढ़ने वाले हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, आज 15 अगस्त महर्षि अरविंद का भी जन्म जयंती का पर्व है। महर्षि अरविंद ने एक क्रांतिकारी से निकल कर योग गुरु की अवस्था को प्राप्त किया था। उन्होंने भारत के भाग्य के लिए कहा था कि "मुझे विश्वास है, भारत की दैविक शक्ति, भारत की आध्यात्मिक विरासत विश्व कल्याण के लिए अहम भूमिका निभाएगी"। इस प्रकार के भाव महर्षि अरविन्द ने व्यक्त किए थे। मेरी महापुरुषों की बातों में बड़ी श्रद्धा है। मेरी त्यागी, तपस्वी ऋषियों और मुनियों की बातों में बड़ी श्रद्धा है और इसलिए मुझे आज लाल किले की प्राचीर से स्वामी विवेकानन्द जी के वे शब्द याद आ रहे हैं जब स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था, "मैं मेरी आँखों के सामने देख रहा हूँ।" विवेकानन्द जी के शब्द थे - "मैं मेरी आँखों के सामने देख रहा हूँ कि फिर एक बार मेरी भारतमाता जाग उठी है, मेरी भारतमाता जगद्गुरु के स्थान पर विराजमान होगी, हर भारतीय मानवता के कल्याण के काम आएगा, भारत की यह विरासत विश्व के कल्याण के लिए काम आएगी।" ये शब्द स्वामी विवेकानन्द जी ने अपने तरीके से कहे थे। भाइयो-बहनो, विवेकानन्द जी के शब्द कभी असत्य नहीं हो सकते। स्वामी विवेकानन्द जी के शब्द, भारत को जगद्गुरु देखने का उनका सपना, उनकी दीर्घदृष्टि, उस सपने को पूरा करना हम लोगों का कर्तव्य है। दुनिया का यह सामर्थ्यवान देश, प्रकृति से हरा-भरा देश, नौजवानों का देश, आने वाले दिनों में विश्व के लिए बहुत कुछ कर सकता है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, लोग विदेश की नीतियों के संबंध में चर्चा करते हैं। मैं यह साफ मानता हूं कि भारत की विदेश नीति के कई आयाम हो सकते हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण बात है, जिस पर मैं अपना ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं कि हम आज़ादी की जैसे लड़ाई लड़े, मिल-जुलकर लड़े थे, तब तो हम अलग नहीं थे, हम साथ-साथ थे। कौन सी सरकार हमारे साथ थी? कौन से शस्त्र हमारे पास थे? एक गांधी थे, सरदार थे और लक्षावती स्वातंत्र्य सेनानी थे और इतनी बड़ी सल्तनत थी। उस सल्तनत के सामने हम आज़ादी की जंग जीते या नहीं जीते? विदेशी ताकतों को परास्त किया या नहीं किया? भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया या नहीं किया? हमीं तो थे, हमारे ही तो पूर्वज थे, जिन्होंने यह सामर्थ्य दिखाई थी। समय की मांग है, सत्ता के बिना, शासन के बिना, शस्त्र के बिना, साधनों के बिना भी इतनी बड़ी सल्तनत को हटाने का काम अगर हिंदुस्तान की जनता कर सकती है, तो भाइयो-बहनो, हम क्या गरीबी को हटा नहीं सकते? क्या हम गरीबी को परास्त नहीं कर सकते हैं? क्या हम गरीबी के खिलाफ लड़ाई जीत नहीं सकते हैं? मेरे सवा सौ करोड़ प्यारे देशवासियो, आओ! आओ, हम संकल्प करें, हम गरीबी को परास्त करें, हम विजयश्री को प्राप्त करें। भारत से गरीबी का उन्मूलन हो, उन सपनों को लेकर हम चलें और पड़ोसी देशों के पास भी यही तो समस्या है! क्यों न हम सार्क देशों के सभी साथी दोस्त मिल करके गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने की योजना बनाएं? हम मिल करके लड़ाई लड़ें, गरीबी को परास्त करें। एक बार देखें तो सही, मरने-मारने की दुनिया को छोड़ करके जीवित रहने का आनंद क्या होता है! यही तो भूमि है, जहां सिद्दार्थ के जीवन की घटना घटी थी। एक पंछी को एक भाई ने तीर मार दिया और एक दूसरे भाई ने तीर निकाल करके बचा लिया। मां के पास गए - पंछी किसका, हंस किसका? मां से पूछा, मारने वाले का या बचाने वाले का? मां ने कहा, बचाने वाले का। मारने वाले से बचाने वाले की ताकत ज्यादा होती है और वही तो आगे जा करके बुद्ध बन जाता है। वही तो आगे जा करके बुद्ध बन जाता है और इसलिए, मैं पड़ोस के देशों से मिल-जुल करके गरीबी के खिलाफ लड़ाई को लड़ने के लिए सहयोग चाहता हूं, सहयोग करना चाहता हूं और हम मिल करके, सार्क देश मिल करके, हम दुनिया में अपनी अहमियत खड़ी कर सकते हैं, हम दुनिया में एक ताकत बनकर उभर सकते हैं। आवश्यकता है, हम मिल-जुल करके चलें, गरीबी से लड़ाई जीतने का सपना ले करके चलें, कंधे से कंधा मिला करके चलें। मैं भूटान गया, नेपाल गया, सार्क देशों के सभी महानुभाव शपथ समारोह में आए, एक बहुत अच्छी शुभ शुरुआत हुई है। तो निश्चित रूप से अच्छे परिणाम मिलेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है और देश और दुनिया में भारत की यह सोच, हम देशवासियों का भला करना चाहते हैं और विश्व के कल्याण में काम आ सकें, हिन्दुस्तान ऐसा हाथ फहराना चाहता है। इन सपनों को ले करके, पूरा करके, आगे बढ़ने का हम प्रयास कर रहे हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भाइयो-बहनो, आज 15 अगस्त को हम देश के लिए कुछ न कुछ करने का संकल्प ले करके चलेंगे। हम देश के लिए काम आएं, देश को आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर चलेंगे और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं भाइयो-बहनो, मैं मेरी सरकार के साथियों को भी कहता हूं, अगर आप 12 घंटे काम करोगे, तो मैं 13 घंटे करूंगा। अगर आप 14 घंटे कर्म करोगे, तो मैं 15 घंटे करूंगा। क्यों? क्योंकि मैं प्रधान मंत्री नहीं, प्रधान सेवक के रूप में आपके बीच आया हूं। मैं शासक के रूप में नहीं, सेवक के रूप में सरकार लेकर आया हूं। भाइयो-बहनो, मैं विश्वास दिलाता हूं कि इस देश की एक नियति है, विश्व कल्याण की नियति है, यह विवेकानन्द जी ने कहा था। इस नियति को पूर्ण करने के लिए भारत का जन्म हुआ है, इस हिन्दुस्तान का जन्म हुआ है। इसकी परिपूर्ति के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों को तन-मन से मिलकर राष्ट्र के कल्याण के लिए आगे बढ़ना है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मैं फिर एक बार देश के सुरक्षा बलों, देश के अर्द्ध सैनिक बलों, देश की सभी सिक्योरिटी फोर्सेज़ को, मां-भारती की रक्षा के लिए, उनकी तपस्या, त्याग, उनके बलिदान पर गौरव करता हूं। मैं देशवासियों को कहता हूं, "राष्ट्रयाम् जाग्रयाम् वयम्", "Eternal vigilance is the price of liberty". हम जागते रहें, सेना जाग रही है, हम भी जागते रहें और देश नए कदम की ओर आगे बढ़ता रहे, इसी एक संकल्प के साथ हमें आगे बढ़ना है। सभी मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए -</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">वंदे मातरम्, वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!</span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-14241773477111751392014-08-14T22:50:00.000+05:302014-08-14T22:50:05.635+05:30सरकारी नौकरी पाने के लिए डोप टेस्ट <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; font-family: Mangal, Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">पंजाब में सरकारी नौकरी पाने के लिए भी डोप टेस्ट करवाना होगा। मुख्यमंत्री ने इस अहम प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि इस संबंध में मौजूदा सेवा नियमों में आवश्यक उपबंध करें। - See more at: http://naidunia.jagran.com/national/in-punjab-dope-test-will-be-carried-for-govt-job-also-162442#sthash.YkGecPt3.dpuf</span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-14863265581026269982014-08-14T22:46:00.001+05:302014-08-14T22:46:21.187+05:30राष्ट्रपति का संदेश <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">प्यारे देशवासियो :</strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> हमारी स्वतंत्रता की 67वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर,मैं आपका और दुनिया भर में सभी भारतवासियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। मैं हमारी सशस्त्र सेनाओं, अर्ध-सैनिक बलों तथा आंतरिक सुरक्षा बलों के सदस्यों को विशेष बधाई देता हूं। हाल ही में ग्लासगो में संपन्न राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने वाले और सम्मान पाने वाले सभी खिलाड़ियों को भी मैं बधाई देता हूं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मित्रो :</strong><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">1.</strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> स्वतंत्रता एक उत्सव है; आजादी एक चुनौती है। आजादी के 68वें वर्ष में,हमने तीन दशकों के बाद एक उल्लेखनीय शांतिपूर्ण मतदान प्रक्रिया के द्वारा एक दल के लिए स्पष्ट बहुमत सहित एक स्थिर सरकार को चुनते हुए अपनी व्यक्तिगत तथा सामूहिक स्वतंत्रताओं की शक्ति को पुन: व्यक्त किया है। मतदाताओं द्वारा डाले जाने वाले मतों की संख्या पिछले चुनावों के 58 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 66 प्रतिशत हो जाना, हमारे लोकतंत्र की ऊर्जस्विता को दर्शाता है। इस उपलब्धि ने हमें नीतियों,परिपाटियों तथा प्रणालियों में सुधार करते हुए शासन की चुनौतियों का मुकाबला करने का अवसर प्रदान किया है जिससे हमारी जनता की व्यापक आकांक्षाओं को परिकल्पना,समर्पण, ईमानदारी, गति तथा प्रशासनिक क्षमता के साथ पूर्ण किया जा सके।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">2.</strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> शिथिल मस्तिष्क गतिविहीन प्रणालियों का सृजन करते हैं जो विकास के लिए अड़चन बन जाती हैं। भारत को शासन में ऐसे रचनात्मक चिंतन की जरूरत है जो त्वरित-गति से विकास में सहयोग दे तथा सामाजिक सौहार्द का भरोसा दिलाए। राष्ट्र को पक्षपातपूर्ण उद्वेगों से ऊपर रखना होगा। जनता सबसे पहले है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><img class="gwt-Image" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo/40281350.cms" style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">मित्रो :</strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> </span><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">3.</strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> लोकतंत्र में, जनता के कल्याण हेतु हमारे आर्थिक एवं सामाजिक संसाधनों के दक्षतापूर्ण एवं कारगर प्रबंधन के लिए शक्तियों का प्रयोग ही सुशासन कहलाता है। इस शक्ति का प्रयोग,राज्य की संस्थाओं के माध्यम से संविधान के ढांचे के तहत किया जाना होता है। समय के बीतने तथा पारितंत्र में बदलाव के साथ कुछ विकृतियां भी सामने आती हैं जिससे कुछ संस्थाएं शिथिल पड़ने लगती हैं। जब कोई संस्था उस ढंग से कार्य नहीं करती जैसी उससे अपेक्षा होती है तो हस्तक्षेप की घटनाएं दिखाई देती हैं। यद्यपि कुछ नई संस्थाओं की आवश्यकता हो सकती है परंतु इसका वास्तविक समाधान,प्रभावी सरकार के उद्देश्य को पूरा करने के लिए मौजूदा संस्थाओं को नया स्वरूप देने और उनका पुनरुद्धार करने में निहित है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">4.</strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> सुशासन वास्तव में, विधि के शासन,सहभागितापूर्ण निर्णयन,पारदर्शिता, तत्परता, जवाबदेही, साम्यता तथा समावेशिता पर पूरी तरह निर्भर होता है। इसके तहत राजनीतिक प्रक्रिया में सिविल समाज की व्यापक भागीदारी की अपेक्षा होती है। इसमें युवाओं की लोकतंत्र की संस्थाओं में सघन सहभागिता जरूरी होती है। इसमें जनता को तुरंत न्याय प्रदान करने की अपेक्षा की जाती है। मीडिया से नैतिक तथा उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा होती है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">5.</strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> हमारे जैसे आकार, विविधताओं तथा जटिलताओं वाले देश के लिए शासन के संस्कृति आधारित मॉडलों की जरूरत है। इसमें शक्ति के प्रयोग तथा उत्तरदायित्व के वहन में सभी भागीदारों का सहयोग अपेक्षित होता है। इसके लिए राज्य तथा इसके नागरिकों के बीच रचनात्मक भागीदारी की जरूरत होती है। इसमें देश के हर घर और हर गांव के दरवाजे तक तत्पर प्रशासन के पहुंचने की अपेक्षा की जाती है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">प्यारे देशवासियो :</strong><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">6. </strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">गरीबी के अभिशाप को समाप्त करना हमारे समय की निर्णायक चुनौती है। अब हमारी नीतियों को गरीबी के उन्मूलन से गरीबी के निर्मूलन की दिशा में केंद्रित होना होगा। यह अंतर केवल शब्दार्थ का नहीं है : उन्मूलन एक प्रक्रिया है जबकि निर्मूलन समयबद्ध लक्ष्य। पिछले छह दशकों में गरीबी का अनुपात 60 प्रतिशत से अधिक की पिछली दर से कम होकर30 प्रतिशत से नीचे आ चुका है। इसके बावजूद, हमारी जनता का लगभग एक तिहाई हिस्सा गरीबी की रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहा है। निर्धनता केवल आंकड़ा नहीं है। निर्धनता का चेहरा होता है और वह तब असहनीय हो जाता है जब यह बच्चे के मन पर अपने निशान छोड़ जाता है। निर्धन अब एक और पीढ़ी तक न तो इस बात का इंतजार कर सकता है और न ही करेगा कि उसे जीवन के लिए अनिवार्य—भोजन,आवास,शिक्षा तथा रोजगार तक पहुंच से वंचित रखा जाए। आर्थिक विकास से होने वाले लाभ निर्धन से निर्धनतम् व्यक्ति तक पहुंचने चाहिए।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">7. </strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">पिछले दशक के दौरान, हमारी अर्थव्यवस्था में प्रतिवर्ष7.6 प्रतिशत की औसत दर से वृद्धि हुई। हालांकि पिछले दो वर्षों के दौरान यह वृद्धि5 प्रतिशत से कम की अल्प दर पर रही परंतु मुझे वातावरण में नवीन ऊर्जा तथा आशावादिता महसूस हो रही है। पुनरुत्थान के संकेत दिखाई देने लगे हैं। हमारा बाह्य सेक्टर सशक्त हुआ है। वित्तीय स्थिति मजबूत करने के उपायों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। कभी-कभार तेजी के बावजूद, महंगाई में कमी आने लगी है। तथापि,खाद्यान्न की कीमतें अभी भी चिंता का कारण बनी हुई हैं। पिछले वर्ष खाद्यान्न के रिकार्ड उत्पादन से कृषि सेक्टर को4.7 प्रतिशत की अच्छी दर से बढ़ने में सहायता मिली। पिछले दशक में,रोजगार में लगभग प्रति वर्ष 4 प्रतिशत की औसत दर से वृद्धि हुई। विनिर्माण सेक्टर फिर से उभार पर है। हमारी अर्थव्यवस्था के7 से 8 प्रतिशत की उच्च विकास दर से बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है,जो समतापूर्ण विकास के लिए पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><img class="gwt-Image" src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo/40281452.cms" style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">प्यारे देशवासियो :</strong><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">8. </strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">अर्थव्यवस्था विकास का भौतिक हिस्सा है। शिक्षा उसका आत्मिक हिस्सा है। ठोस शिक्षा प्रणाली किसी भी प्रबुद्ध समाज का आधार होती है। हमारी शिक्षण संस्थाओं का यह परम कर्तव्य है कि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें और युवाओं के मस्तिष्क में मातृभूमि से प्रेम; सभी के लिए दया; बहुलवाद के लिए सहनशीलता; महिलाओं के लिए सम्मान; दायित्वों का निर्वाह; जीवन में ईमानदारी; आचरण में आत्मसंयम; कार्य में जिम्मेदारी तथा अनुशासन के बुनियादी सभ्यतागत मूल्यों का समावेश करें। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक हम अस्सी प्रतिशत की साक्षरता दर प्राप्त कर चुके होंगे। परंतु क्या हम यह कह पाएंगे कि हमने अच्छा नागरिक तथा सफल पेशेवर बनने के लिए, अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा कौशल प्रदान किए हैं?</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">प्यारे देशवासियो :</strong><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">9.</strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> हमारे विचार हमारे वातावरण से प्रभावित होते हैं। ''यादृशी भावना यस्य सिद्धिर्भवती तादृशी''अर्थात् ''जैसे आपके विचार होते हैं,वैसा ही फल मिलता है।''स्वच्छ वातावरण से स्वच्छ विचार उपजते हैं। स्वच्छता आत्म-सम्मान का प्रतीक है। ईसा पूर्व चौथी सदी ईसवी में मेगस्थनीज,पांचवीं सदी ईसवी में फाह्यान और सातवीं सदी ईसवी में ह्वेनसांग जैसे प्राचीन पर्यटक जब भारत आए तो उन्होंने यहां पर योजनाबद्ध बस्तियों और बेहतरीन शहरी अवसरंचनाओं सहित कुशल प्रशासनिक तंत्रों का उल्लेख किया था। अब हमें क्या हो गया है?हम अपने वातावरण को गंदगी से मुक्त क्यों नहीं रख सकते? महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ की स्मृति के सम्मान स्वरूप2019 तक भारत को स्वच्छ राष्ट्र बनाने का प्रधानमंत्री का आह्वान सराहनीय है,परंतु यह लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है जब प्रत्येक भारतीय इसे एक राष्ट्रीय मिशन बना ले। यदि हम थोड़ा सा भी ध्यान रखें तो हर सड़क,हर मार्ग, हर कार्यालय, हर घर, हर झोपड़ी,हर नदी, हर झरना और हमारे वायुमंडल का हर एक कण स्वच्छ रखा जा सकता है। हमें प्रकृति को सहेज कर रखना होगा ताकि प्रकृति भी हमें सहेजती रहे। मेरे प्यारे देशवासियो :</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">10. </strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">प्राचीन सभ्यता होने के बावजूद, भारत आधुनिक सपनों से युक्त आधुनिक राष्ट्र है। असहिष्णुता और हिंसा लोकतंत्र की मूल भावना के साथ धोखा है। जो लोग उत्तेजित करने वाले भड़काऊ जहरीले उद्गारों में विश्वास करते हैं उन्हें न तो भारत के मूल्यों की और न ही इसकी वर्तमान राजनीतिक मन:स्थिति की समझ है। भारतवासी जानते हैं कि आर्थिक या सामाजिक,किसी भी तरह की प्रगति को शांति के बिना हासिल करना कठिन है। इस अवसर पर, महान शिवाजी के उस पत्र को याद करना उपयुक्त होगा जो उन्होंने जज़िया लगाए जाने पर औरंगजेब को लिखा था। शिवाजी ने बादशाह से कहा था कि शाहजहां, जहांगीर और अकबर भी इस कर को लगा सकते थे 'परंतु उन्होंने अपने दिलों में कट्टरता को जगह नहीं दी क्योंकि उनका मानना था कि हर बड़े अथवा छोटे इन्सान को ईश्वर ने विभिन्न मतों और स्वभावों के नमूनों के रूप में बनाया है।''शिवाजी के 17वीं शताब्दी के इस पत्र में एक संदेश है,जो सार्वभौमिक है। इसे वर्तमान समय में हमारे आचरण का मार्गदर्शन करने वाला जीवंत दस्तावेज बन जाना चाहिए।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">11. </strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">हम, इस संदेश को ऐसे समय में भूलने का खतरा नहीं उठा सकते जब बढ़ते हुए अशांत अंतरराष्ट्रीय परिवेश ने हमारे क्षेत्र और उससे बाहर खतरे पैदा कर दिए हैं,जिनमें से कुछ तो पूरी तरह दिखाई दे रहे हैं और कुछ अभूतपूर्व उथलपुथल के बीच से धीरे-धीरे निकल कर बाहर आ रहे हैं। एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में कट्टरवादी लड़ाकों द्वारा धार्मिक विचारधारा पर आधारित भौगोलिक सत्ता कायम करने के लिए राष्ट्रों के नक्शों को दोबारा खींचने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत इसके दुष्परिणामों को महसूस करेगा,खासकर इसलिए क्योंकि यह उन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है जो उग्रवाद के सभी स्वरूपों को खारिज करते हैं। भारत लोकतंत्र, संतुलन, अंतर एवं अंत:धार्मिक समरसता की मिसाल है। हमें अपने पंथनिरपेक्ष स्वरूप की पूरी ताकत के साथ रक्षा करनी होगी। हमें अपनी सुरक्षा तथा विदेश नीतियों में कूटनीति की कोमलता के साथ ही फौलादी ताकत का समावेश करना होगा,इसके साथ ही समान विचारधारा वाले तथा ऐसे अन्य लोगों को भी उन भारी खतरों को पहचानने के लिए तैयार करना होगा जो उदासीनता के अंदर पनपते हैं।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">प्यारे देशवासियो :</strong><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">12. </strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">हमारा संविधान हमारी लोकतांत्रिक संस्कृति की परिणति है,जो हमारे प्राचीन मूल्यों को प्रतिबिम्बित करता है। मुझे यह देखकर कष्ट होता है कि इस महान राष्ट्रीय विरासत पर अविवेकपूर्ण ज्यादती का खतरा बढ़ता जा रहा है। स्वतंत्रता का हमारा अधिकार निरंतर पल्लवित हो रहा है और मेरी कामना है कि सदैव ऐसा रहे परंतु जनता के प्रति हमारे कर्तव्य का क्या होगा? मैं कभी-कभी सोचता हूं कि क्या हमारा लोकतंत्र बहुत अधिक शोरगुल युक्त हो गया है? क्या हम विचारशीलता एवं शांतिपूर्ण चिंतन की कला को खो चुके हैं? क्या अब समय नहीं आ गया है कि हम अपने खूबसूरत लोकतंत्र को बनाए रखने तथा मजबूती प्रदान करने वाली अपनी संस्थाओं की श्रेष्ठता और गौरव को पुन:स्थापित करें? क्या संसद को एक बार फिर से गंभीर विचार मंथन और अच्छी बहस से निर्मित कानूनों की एक महान संस्था नहीं बन जाना चाहिए? क्या हमारी अदालतों को न्याय का मंदिर नहीं बनना चाहिए? इस सब के लिए सभी भागीदारों के सामूहिक प्रयास अपेक्षित होंगे।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">13. </strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">68 वर्ष की आयु में एक देश बहुत युवा होता है। भारत के पास 21वीं सदी पर वर्चस्व कायम करने के लिए इच्छाशक्ति, ऊर्जा, बुद्धिमत्ता, मूल्य और एकता मौजूद है। गरीबी से मुक्ति की लड़ाई में विजय पाने का लक्ष्य तय किया जा चुका है; यह यात्रा केवल उनको ही विकट लगेगी जिनमें विश्वास का अभाव है। एक पुरानी कहावत है, 'सिद्धिर्भवति कर्मजा''अर्थात्, ''सफलता कर्म से ही उत्पन्न होती है।'</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">14. </strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">अब समय आ गया है कि हम कार्य में जुट जाएं।</span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-61490412488477776422014-08-14T22:42:00.000+05:302014-08-14T22:42:29.145+05:30इंडियन कबड्डी लीग<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">26 जुलाई (शनिवार) से</strong><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> आईकेएल यानी इंडियन कबड्डी लीग शुरू हो चुका है। </span><br />
<h2 style="text-align: left;">
<span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"><span style="font-weight: normal;">इंडियन कबड्डी लीग में कुल 8 टीमें हैं, जिनमें दुनिया भर के खिलाड़ी एक-दूसरे का सामना करेंगे। ये आठ टीमें हैं </span>: <span style="background-color: yellow;"><u>बंगाल वॉरियर्स बेंगलुरु बुल्स दबंग दिल्ली जयपुर पिंक पैंथर्स पटना पाइरेट्स पुनेरी पल्टन तेलुगू टाइटंस यू मुंबा</u></span></span></h2>
<h2 style="text-align: left;">
<span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">लीग के दौरान कुल 60 लीग मैच होंगे। कुल 34 दिन चलनेवाले इस मेले का सेमीफाइनल 29 अगस्त को बेंगलुरु में होगा। टीम के मालिकों में ऐक्टर अभिषेक बच्चन से लेकर बिग बाजार वाला फ्यूचर ग्रुप तक शामिल हैं, तो फिल्म स्टार सलमान खान इसका प्रचार कर रहे हैं। भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, इरान, ब्रिटेन, साउथ कोरिया, ताइवान आदि देशों के खिलाड़ी भी इसका हिस्सा हैं। आईपीएल की तरह ही कबड्डी लीग के लिए भी खिलाड़ियों की बोली लगी। इसमें सबसे ज्यादा पैसा इंडियन कबड्डी टीम के मेंबर और अर्जुन पुरस्कार विजेता राकेश कुमार को मिला। उन्हें पटना पाइरेट्स ने 12.80 लाख रुपये में खरीदा। विदेशी खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा ईरान के मुस्तफा नौदेही को 6.6 लाख रुपये में पुनेरी पल्टन ने खरीदा।</span></h2>
<strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;"> कब और कैसे शुरु हुई कबड्डी</strong><br />
<span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">माना जाता है कि कबड्डी हमारे देश का सबसे पुराना खेल है। इसकी शुरुआत कब हुई, यह कहना मुश्किल है, पर यह तय है कि काफी पुराना खेल है। माना जाता है कि कबड्डी का जन्म तमिलनाडु में हुआ। कबड्डी शब्द तमिल काई-पीडि (चलो हाथ पकड़े हैं) से बना है। पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में इसे राज्य खेल का दर्जा हासिल है। हमारे देश की मिट्टी से जुड़े इस खेल के कुल 3944 रजिस्टर्ड क्लब हैं। कबड्डी हमारे पड़ोसी बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल है। वैसे, हिंदुस्तान की कबड्डी की टीम दुनिया की बेताज बादशाह है। 1990 में पहली बार कबड्डी को एशियाई खेलों में शामिल किया गया। तब से लेकर आज तक हर बार भारत ने गोल्ड मेडल जीता है। भारत के अलावा यह खेल बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, मलयेशिया और इंडोनेशिया में भी खेला जाता है।</span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">खेल-खिलाड़ी और नियम</strong><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">कबड्डी के खेल में दोनों तरफ 7-7 खिलाड़ी होते हैं। 5-5 खिलाड़ी रिजर्व में रहते हैं। खेल का मैदान 12.5 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा होता है और दो हिस्सों में बंटा रहता है। खेल 20-20 मिनट के दो हिस्सों में खेला जाता है। अटैक करने वाली टीम का एक खिलाड़ी बिना सांस तोड़े कबड्डी... कबड्डी... कहता हुआ दूसरी तरफ जाता है। उसकी कोशिश होती है कि एक सांस में विरोधी टीम के ज्यादा-से-ज्यादा खिलाड़ियों को छुए और अपने खेमे में लौट आए। वह जितने खिलाड़ियों को छूता है, उसकी टीम को उतने ही नंबर मिलते हैं। अगर उसे विपक्ष के खिलाड़ी घेरने में कामयाब हो जाते हैं और उसकी सांस वहीं टूट जाती है तो वह खेल से बाहर हो जाता है। जिस टीम को ज्यादा नंबर मिलते हैं, वही विजयी रहती है।</span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-22175954607906285862014-08-14T19:45:00.002+05:302014-08-14T19:45:34.233+05:30भारतीय मूल के 2 गणितज्ञों को गणित का 'नोबेल'<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="txt" id="font_text" style="margin: 0px; padding: 0px;">
भारतीय मूल के दो गणितज्ञों ने गणित के क्षेत्र में प्रतिष्ठित विश्वस्तरीय पुरस्कार जीते हैं। इनमें से एक को गणित का नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले फील्ड्स मेडल से सम्मानित किया गया।</div>
<div class="txt" id="font_text" style="margin: 0px; padding: 0px;">
</div>
<div class="txt" id="font_text" style="margin: 0px; padding: 0px;">
सिओल में इंटरनेशनल मैथेमेटिकल यूनियन की मेजबानी में गणित के प्रोफेसर मंजुल भार्गव को फील्ड मेडल से सम्मानित किया गया। साल 1974 में कनाडा में जन्मे भार्गव को ज्यामिति की संख्या के लिए नए तरीके विकसित करने के लिए फील्ड मेडल दिया गया।</div>
<div class="txt" id="font_text" style="margin: 0px; padding: 0px;">
इसी समारोह में एक अन्य गणितज्ञ सुभाष खोत ने रॉल्फ नेवानलिना पुरस्कार जीता। उन्हें यह पुरस्कार यूनिक गेम्स प्रॉब्लम की परिभाषा और इसकी जटिलता का समाधान करने के लिए दिया गया । आपको बता दें कि गणितीय उपलब्धियों को पहचान देने के लिए ICM हर साल फील्ड मेडल देता है।</div>
<span itemprop="articleBody" style="color: #010101; font-family: mangal, arial;"></span><br />
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<div class="txt" id="font_text" style="padding: 0px;">
</div>
<span style="color: #010101; font-family: mangal, arial;"></span><br />
<div class="txt" id="font_text" style="margin: 0px; padding: 0px;">
वहीं रॉल्फ नेवानलिना पुरस्कार चार सालों के अंतराल पर इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ मैथेमेटिक्स के दौरान गणित में शानदार उपलब्धि के लिए दिया जाता है। फील्ड मेडल 1936 में, जबकि रॉल्फ नेवानलिना पुरस्कार की शुरूआत 1982 में हुई थी।</div>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-43053188564469271182014-08-07T07:10:00.001+05:302014-08-07T07:10:11.796+05:30चिली में एक ऐसा विशालकाय टेलिस्कोप बनाया जा रहा है जो किसी फुटबॉल स्टेडियम से भी बड़ा है.<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
http://www.bbc.co.uk/hindi/multimedia/2014/08/140801_largest_telescope_gi.shtml</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-20486058221651669922014-08-07T07:02:00.000+05:302014-08-07T07:02:23.497+05:30२0वें कॉमनवेल्थ गेन्स में भारत <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
२0वें कॉमनवेल्थ गेन्स में भारत दिल्ली का सुनहरा इतिहास तो नहीं दोहरा सका, लेकिन देश के एथलीन ने शानदार सफलता हासिल की। भारत 64 पदक के साथ पांचवें नंबर पर रहा और ये कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में चौथा सबसे अच्छा प्रदर्शन है।</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
बैडमिंटन में महिला डबल्स में सिल्वर मेडल जीतने के साथ भारत ने ग्लासगों में अपने अभियान का आखिरी मेडल जीता। ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने ही दिल्ली में गोल्ड मेडल के साथ आखिरी पदक दिलाया था। फाइनल का ये नतीजा पूरे टूर्नामेंट में दिल्ली के मुकाबले भारत के प्रदर्शन को भी दिखाता है। दिल्ली के मुकाबले भारत आधे से कम गोल्ड जीत सका। बावजूद इसके भारतीय दल ने पांचवां स्थान हासिल किया।</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
भारत ने 15 गोल्ड, 30 सिल्वर और 19 ब्रांज मेडल जीते। भारतीय दल ने शूटिंग में सबसे ज्यादा 17 पदक जीते। जिसमें 4 गोल्ड भी शामिल थे। भारतीय पहलवानों ने देश को सबसे ज्यादा 5 गोल्ड दिलाए। ओलंपिक पदक विजता सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त ने अपने नाम के मुताबिक प्रदर्शन किया। वहीं बॉक्सिंग में भारत ने 5 मेडल तो जीते, लेकिन एक भी गोल्ड न जीत पाने का मुक्केबाजों को मलाल भी है।</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
भारत की ओर से 14 खेलों में कुल 214 खिलाड़ियों ने शिरकत की, जिसमें कुछ ने अपने करिश्माई प्रदर्शन से सबको चौंका दिया। डिस्कस थ्रो में विकास गौड़ा ने 56 साल बाद भारत को एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जिताकर इतिहास रचा।</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
वहीं स्कवॉश में भी भारत ने गोल्ड जीतकर ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की। दीपिका पल्लीकल और जोशना चिनप्पा की जोड़ी ने पहली बार देश को स्कवॉश में गोल्ड दिलाया। बैडमिंटन में पी कश्यप ने मेंस सिंगल्स में 1982 के बाद भारत की झोली में गोल्ड डाला। दरअसल पिछली बार भारतीय दल ने करीब एक तिहाई मेडल जिन स्पर्धाओं में जीते थे वो ग्लासगो गेम्स में शामिल नहीं थे।</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
2010 में जहां भारतीय दल में कोच और खिलाड़ियों सहित 619 सदस्य थे, वहीं इस बार 324 लोगों का दल गया था। भारत की सबसे मजबूत दावेदारी वाले निशानेबाजी के 3 इवेंट इस बार शामिल नहीं किए गए। ग्रीको रोमन कुश्ती को इस बार शामिल नहीं किया गया था जिसमें पिछली बार भारत को 7 पदक मिले थे।</div>
<div class="txt" id="font_text" style="color: #010101; font-family: mangal, arial; padding: 0px;">
इन दोनों खेलों के अलावा तीरंदाजी और टेनिस को इस बार पूरी तरह से हटा दिया गया। ऐसे में भारत के पदकों की संख्या कम होना लाजिमी था। अगर इन सभी इवेंट को जोड़ दिया जाए तो इस बार भारत को पिछली बार की तुलना में करीब 37 पदकों का नुकसान हुआ। ऐसे में भारत के 64 पदक का प्रदर्शन भी काफी बेहतर माना जा रहा है।</div>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-35524970785209917892014-08-07T06:38:00.001+05:302014-08-15T14:53:49.780+05:30राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक 2014 <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; font-family: mangal; font-size: 14px; letter-spacing: -1px; line-height: 19px; text-align: justify; word-spacing: -0.20000000298023224px;">
<span style="color: #333333; font-family: Arial, sans-serif; letter-spacing: normal; line-height: 1.3em; text-align: left; word-spacing: 0px;">सुप्रीम कोर्ट की कॉलिजियम में मुख्य न्यायाधीश समेत सुप्रीम कोर्ट के पांच जज होते हैं। हाई कोर्ट की कॉलिजियम तीन सदस्यों पर आधारित होती है। कॉलिजियम को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों की नियुक्तियों और तबादलों का अधिकार होता है।</span><br />
गौरतलब है कि कॉलेजियम प्रणाली हटाने की 2003 में राजग 1 सरकार की कोशिशें नाकाम रही थी। उस वक्त राजग सरकार ने एक संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था लेकिन जब विधेयक स्थायी समिति के पास था उस वक्त लोकसभा भंग हो गई थी।राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक 2014 के लिए संविधान में संशोधन करना होगा।</div>
<div style="background-color: white; font-family: mangal; font-size: 14px; letter-spacing: -1px; line-height: 19px; text-align: justify; word-spacing: -0.20000000298023224px;">
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस संस्था में उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायपालिका का प्रतिनिधित्व करेंगे। प्रस्तावित छह सदस्यीय संस्था में दो प्रख्यात शख्सियतें होंगी और विधि मंत्री भी शामिल होंगे। न्यायपालिका की आशंका को दूर करने के लिए आयोग की संरचना को संवैधानिक दर्जा दिया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य की कोई भी सरकार साधारण विधेयक के जरिए इसकी संरचना में बदलाव नहीं कर सके।<br />
संविधान संशोधन विधेयक के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है।</div>
<div style="background-color: white; font-size: 14px; text-align: justify;">
<div style="font-family: mangal; letter-spacing: -1px; line-height: 19px; word-spacing: -0.20000000298023224px;">
दो प्रख्यात शख्सियतों का चयन प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता या निचले सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता करेंगे। सरकार संविधान संशोधन के साथ साथ प्रस्तावित आयोग की कार्यप्रणाली की व्याख्या के लिए दूसरा विधेयक लाएगी जो उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े संविधान के अनुच्छेद क्रमश: 124 और 217 में संशोधन करेगा। </div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="letter-spacing: -1px; line-height: 19px; text-align: left; word-spacing: -0.20000000298023224px;"><span style="font-family: mangal;"> </span></span><span style="color: #333333; font-family: Arial, sans-serif; letter-spacing: normal; line-height: 20px; text-align: left; word-spacing: 0px;">राष्ट्रीय नियुक्ति आयोग विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। </span></div>
<div style="color: #333333; font-family: Arial, sans-serif; letter-spacing: normal; line-height: 20px; margin-bottom: 5px; text-align: left; word-spacing: 0px;">
प्रक्रिया के मुताबिक, संविधान संशोधन विधेयक को अब सभी राज्यों को भेजा जाएगा और राज्य विधायिकाओं में से 50 फीसद से इस पर मंजूरी लेनी पड़ेगी। यह प्रक्रिया आठ महीने तक चल सकती है। राज्यों से मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। संविधान संशोधन विधेयक के जरिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक के तहत सुप्रीम कोर्ट व देश के अन्य 24 हाई कोर्टों के जजों की नियुक्ति की जाएगी। </div>
<div style="font-family: mangal; letter-spacing: -1px; line-height: 19px; word-spacing: -0.20000000298023224px;">
<span style="color: #333333; font-family: Arial, sans-serif; letter-spacing: normal; line-height: 1.3em; text-align: left; word-spacing: 0px;">इस नए विधेयक में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए छह सदस्यीय आयोग के गठन का प्रावधान है। इसके सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, दो अन्य वरिष्ठ जज, दो जानी मानी हस्तियां और केंद्रीय कानून मंत्री शामिल होंगे। इसे संवैधानिक दर्जा हासिल होगा। इसकी अगुआई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करेंगे। जबकि जानी-मानी हस्तियों का चयन न्यायपालिका, प्रधानमंत्री और लोकसभा में सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता की सलाह से होगा।</span></div>
<div style="font-family: mangal; letter-spacing: -1px; line-height: 19px; word-spacing: -0.20000000298023224px;">
<div style="color: #333333; font-family: Arial, sans-serif; letter-spacing: normal; line-height: 20px; margin-bottom: 5px; text-align: left; word-spacing: 0px;">
<b style="line-height: 1.3em;">यह विधेयक न्यायिक स्वतंत्रता की जड़ पर प्रहार करता है : नरीमन</b><br />
<div style="margin-bottom: 5px;">
<span style="line-height: 1.3em;">नई दिल्ली(भाषा)। विधिवेत्ता एफएस नरीमन ने कहा कि कॉलिजियम व्यवस्था को खत्म करने वाला विधेयक न्यायिक स्वतंत्रता की जड़ पर प्रहार करता है और सुप्रीम कोर्ट इसे निरस्त कर सकता है। मालूम हो कि जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाने के लिए लाए गए इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी दे दी है। नरीमन ने कहा-‘मुझ सहित कई वकील उस दिशा में बढ़ेंगे।’ उन्होंने कहा,‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान का आधार स्तंभ है। और अगर ऐसा कुछ भी किया जाता है जो नुकसान पहुंचाता है तो यह अभिशाप है और जो लोग फैसला करते हैं वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हैं।’ नरीमन ने कहा कि वे इसकी संरचना से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। इसमें छह सदस्यों में से सिर्फ तीन न्यायाधीश हैं। साथ ही यह बहुमत की सिफारिश को नामंजूर करने के लिए दो सदस्यों को वीटो की शक्ति देता है।</span></div>
</div>
<div style="color: #333333; font-family: Arial, sans-serif; letter-spacing: normal; line-height: 20px; margin-bottom: 5px; text-align: left; word-spacing: 0px;">
<br /></div>
<br /></div>
</div>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-42909753599341976872014-07-19T07:28:00.002+05:302014-07-19T07:33:14.514+05:30ब्रिक्स विकास बैंक की स्थापना<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<strong style="color: #3a3a3a; font-family: Arial, Tahoma, Verdana; font-size: small; line-height: 20px; text-align: justify;">ब्राजील</strong><span style="color: #3a3a3a; font-family: Arial, Tahoma, Verdana; font-size: x-small; line-height: 20px; text-align: justify;"> के फोर्टेलिजा शहर में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण उपलब्धि रही ब्रिक्स विकास बैंक की स्थापना की घोषणा। यूं पहले के सम्मेलनों में इस आशय के प्रस्ताव आए, लेकिन उसे मूर्तरूप दिए जाने में अड़चनें आती रहीं। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के इस संगठन में आर्थिक रूप से सबसे अधिक संपन्न और सक्षम चीन ही है, इसलिए उसकी स्वाभाविक इच्छा थी कि उसका वर्चस्व इस बैंक पर रहे। इसके लिए उसका प्रस्ताव था कि ब्रिक्स बैंक में सदस्यों की हिस्सेदारी उनके जीडीपी के मुताबिक रहे। इस स्थिति में पलड़ा हमेशा चीन का ही भारी रहता। अन्य देशों को यह स्थिति कतई मंजूर नहींथी। इसलिए बैंक स्थापित करने का प्रस्ताव टलता रहा। लेकिन इस बार सबके बीच सहमति बनी कि सौ अरब डालर की संयुक्त पूंजी से इस बैंक को बनाया जाए।</span><br />
<span style="background-color: yellow; color: #333333; font-family: mangal, arial, verdana, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">बैंक की स्थापना का उद्देश्य सदस्य देशों के अलावा विकासशील देशों में आधारभूत संरचना के विकास के लिए क़र्ज़ देना है.</span><span style="color: #3a3a3a; font-family: Arial, Tahoma, Verdana; font-size: x-small; line-height: 20px; text-align: justify;"><span style="background-color: yellow;"> </span>बैंक का मुख्यालय चीन के शंघाई में होगा, एक क्षेत्रीय कार्यालय दक्षिण अफ्रीका में होगा, तथा इसका सबसे पहला अध्यक्ष भारत से होगा। </span><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: mangal, arial, verdana, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">ब्रिक्स देशों को एक अलग विकास बैंक की ज़रुरत क्यों पड़ी? अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसी वित्तीय संस्थाएं विकासशील देशों को उनकी ज़रुरत के हिसाब से क़र्ज़ देने में नाकाम रही हैं.</span><br />
<div style="background-color: white; color: #333333; font-family: mangal, arial, verdana, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; margin-bottom: 16px; padding: 4px 0px 0px;">
विश्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार बैंक विकासशील देशों को हर साल 40 से 60 अरब डॉलर के क़रीब क़र्ज़ देता है जबकि उन्हें विकास के लिए एक खरब डॉलर की ज़रूरत है.</div>
<div style="background-color: white; color: #333333; font-family: mangal, arial, verdana, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; margin-bottom: 16px; padding: 4px 0px 0px;">
इसके इलावा ब्रिक्स देशों को शिकायत है कि इन संस्थाओं में अमरीका और यूरोप के देशों का पलड़ा भारी रहा है. ऐसा लगता है कि अनौपचारिक रूप से विकसित देशों ने ये तय कर लिया है कि विश्व बैंक का अध्यक्ष अमरीकी होगा जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अध्यक्ष यूरोप से होगा.</div>
<div style="background-color: white; color: #333333; font-family: mangal, arial, verdana, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; margin-bottom: 16px; padding: 4px 0px 0px;">
नोबेल पुरस्कार विजेता और वित्तीय मामलों के जानकार जोजेफ़ स्टिग्लिट्ज़ कहते हैं कि ब्रिक्स बैंक एक ऐसा आइडिया है जिसके पूरा होने का समय आ गया है.</div>
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: mangal, arial, verdana, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">उनके अनुसार इस बैंक की ज़रुरत इसलिए है कि विकासशील देश अब इस बैंक से क़र्ज़ ले सकते हैं. इसके इलावा वो अमरीका और यूरोप के बजाए अब उभरते बाज़ार में निवेश कर सकते हैं जिससे विकसित देशों के वित्तीय वातावरण की अनिश्चितता से बचा जा सकता है.</span><br />
<span style="color: #3a3a3a; font-family: Arial, Tahoma, Verdana; font-size: x-small; line-height: 20px; text-align: justify;">इन तमाम बातों से महत्वपूर्ण यह है कि विश्व के कारोबार, अर्थव्यवस्था, विकासशील और पिछड़े देशों में आर्थिक दखल देने वाले वल्र्ड बैंक और इंटरनेशनल मानेटरी फंड (आईएमएफ) के बढ़ते वर्चस्व और प्रभुत्व को रोका जा सकेगा, संतुलित किया जा सकेगा। भारत जैसे विकासशील देश से अधिक इस बात को कौन समझ सकता है कि किस तरह विकास को बढ़ावा देने की आड़ में ये दोनों वित्तीय संस्थाएं तरह-तरह की शर्तों और प्रावधानों के साथ ऋण देती हैं। इस ऋण से एक ओर निर्माण के भारी-भरकम कार्य होते दिखते हैं और दूसरी ओर चुपके से देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर ऐसा प्रहार होता है कि आजीवन ऋण के चंगुल में देश फंस जाता है। फिर ऋणमुक्ति के नाम पर देश की राजनैतिक व्यवस्था में दखलंदाजी होती है, सरकारों को कठपुतली की तरह नचाया जाता है। अमरीका और यूरोप की समूची दुनिया में दादागिरी इन दो संस्थाओं के बल पर ही कायम हुई है। यह अकारण नहींहै कि विश्वबैंक का अध्यक्ष हमेशा कोई अमरीकी और आईएमएफ का अध्यक्ष कोई यूरोपीय रहता आया है। बहरहाल ब्रिक्स विकास बैंक के निर्माण से यह उम्मीद जरूर कायम हुई है कि दुनिया के विकासशील और पिछड़े देशों को वल्र्ड बैंक और आईएमएफ पर निर्भर होने की आवश्यकता नहींरहेगी। यह बैंक न केवल ब्रिक्स के सदस्य देशों वरन अन्य देशों को भी उनकी जरूरत के मुताबिक कर्ज देगा। विश्व बैंक और आईएमएफ ने आर्थिक वर्चस्व तो बनाए रखा, किंतु ढांचागत परियोजनाओं व अन्य जरूरतों के लिए जितने कर्ज की आïवश्यकता होती है, उतना वे कभी नहींदे पाए। विश्व बैंक की ही वेबसाइट बताती है कि विकासशील देशों को हर साल 40 से 60 अरब डालर के करीब कर्ज दिया जाता है, जबकि उनकी जरूरत एक खरब डालर के आसपास है। ब्रिक्स विकास बैंक विकासशील देशों की जरूरत के मुताबिक उन्हें कर्ज मुहैया कराएगा, तो विश्वबैंक और आईएमएफ पर निर्भरता कम होगी। </span><br />
<span style="color: #3a3a3a; font-family: Arial, Tahoma, Verdana; font-size: x-small; line-height: 20px; text-align: justify;">पिछले कुछ सालों से वैश्विक मंदी के कारण अमरीका व यूरोप की अर्थव्यवस्था डांवाडोल रही है, जबकि ब्रिक्स देश इस मंदी में संभले रहे। इसका कारण उनकी पारंपरिक आर्थिक नीतियां रही हैं। ब्रिक्स विकास बैंक भी कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के फेर में पड़े बिना पारंपरिक आर्थिक नीतियों को अपनाए रहेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था में आने वाले उतार-चढ़ाव में खुद को संभाले रहेगा, तो इससे न केवल उसके सदस्य देशों को लाभ होगा, बल्कि विश्व के कई मंझोले और छोटे देश भी लाभान्वित होंगे। विश्व के विकसित देशों की तरह विकासशील देशों में अधोसंरचना का विकास हो, सड़क, रेल, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग जैसे अनेक क्षेत्रों में समान रूप से बढऩे के अवसर मिलें तो मौजूदा वक्त के कई संकटों से निजात पायी जा सकती है। विश्व शांति और मानवता के विकास के लिए यह जरूरी है कि विश्व में आर्थिक असमानता निरंतर घटे। ब्रिक्स विकास बैंक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। </span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-22076951484641653212014-07-07T00:21:00.002+05:302014-07-07T00:21:48.297+05:30भारत में हर 10 में से 3 व्यक्ति गरीब: रंगराजन समिति <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br /><br />पूर्व पीएमईएसी चेयरमैन सी. रंगराजन की अध्यक्षता वाली एक समिति ने देश में गरीबी के स्तर के तेंदुलकर समिति के आकलन को खारिज कर दिया है और कहा है कि भारत में 2011-12 में आबादी में गरीबों का अनुपात कहीं ज्यादा था और 29.5 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा के नीचे थे. रंगराजन समिति के अनुसार, देश में हर 10 में से 3 व्यक्ति गरीब है.<br /><br />योजना मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को सौंपी गई रिपोर्ट में रंगराजन समिति ने सिफारिश की है कि शहरों में प्रतिदिन 47 रपये से कम खर्च करने वाले व्यक्ति को गरीब की श्रेणी में रखा जाना चाहिए, जबकि तेंदुलकर समिति ने प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 33 रुपये का पैमाना निर्धारित किया था.<br /><br />रंगराजन समिति के अनुमानों के अनुसार, 2009-10 में 38.2 प्रतिशत आबादी गरीब थी जो 2011-12 में घटकर 29.5 प्रतिशत पर आ गई. इसके विपरीत तेंदुलकर समिति ने कहा था कि 2009-10 में गरीबों की आबादी 29.8 प्रतिशत थी जो 2011-12 में घटकर 21.9 प्रतिशत रह गई.<br /><br />सितंबर, 2011 में तेंदुलकर समिति के अनुमानों की भारी आलोचना हुई थी. उस समय, इन अनुमानों के आधार पर सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा गया था कि शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति रोजाना 33 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति रोजाना 27 रुपये खर्च करने वाले परिवारों को गरीबी रेखा से उपर समझा जाए.<br /><br />सरकार ने तेंदुलकर समिति के मानकों और तरीकों की समीक्षा के लिए पिछले साल रंगराजन समिति का गठन किया था ताकि देश में गरीबों की संख्या के बारे में भ्रम दूर किया जा सके. रंगराजन समिति के अनुमान के मुताबिक, कोई शहरी व्यक्ति यदि एक महीने में 1,407 रुपये (47 रुपये प्रति दिन) से कम खर्च करता है तो उसे गरीब समझा जाए, जबकि तेंदुलकर समिति के पैमाने में यह राशि प्रति माह 1,000 रुपये (33 रुपये प्रतिदिन) थी.<br /><br />रंगराजन समिति ने ग्रामीण इलाकों में प्रति माह 972 रुपये (32 रुपये प्रतिदिन) से कम खर्च करने वाले लोगों को गरीबी की श्रेणी में रखा है, जबकि तेंदुलकर समिति ने यह राशि 816 रुपये प्रति माह (27 रुपये प्रतिदिन) निर्धारित की थी.<br /><br />रंगराजन समिति के अनुसार, 2011-12 में भारत में गरीबों की संख्या 36.3 करोड़ थी, जबकि 2009-10 में यह आंकड़ा 45.4 करोड़ था. तेंदुलकर समिति के अनुसार, 2009-10 में देश में गरीबों की संख्या 35.4 करोड़ थी जो 2011-12 में घटकर 26.9 करोड़ रह गई.<br /><br /><div style="background-color: #1f85cf;">
<br /></div>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-66642749418166146312014-06-30T19:52:00.002+05:302014-06-30T19:52:44.377+05:30BSP, NCP और CPM से छिन सकता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div class="widget code html" style="margin-bottom: 10px;">
<span id="Zedo-Ad=1581718_5_2_300_250;Domain=.zedo.com" style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background-color: white; color: black; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: 20px; orphans: auto; text-align: left; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: auto; word-spacing: 0px;"></span><span style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background-color: white; color: black; display: inline !important; float: none; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: 20px; orphans: auto; text-align: left; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: auto; word-spacing: 0px;"></span><ins style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background-color: transparent; border: none; color: black; display: inline-table; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; height: 250px; letter-spacing: normal; line-height: 20px; margin: 0px; orphans: auto; padding: 0px; position: relative; text-align: left; text-indent: 0px; text-transform: none; visibility: visible; white-space: normal; widows: auto; width: 300px; word-spacing: 0px;"></ins></div>
<br />
<div class="widget storyContent article" style="margin-bottom: 10px; margin-top: 10px;">
<div class="body " style="margin: 10px;">
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
भारतीय चुनाव आयोग ने दो हफ्ते पहले इन तीनों पार्टियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सफाई मांगी है कि लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन को मद्देनजर रखते हुए आखिर इन पार्टियों का राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा क्यों न रद्द किया जाए.</div>
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
राष्ट्रीय पार्टी होने के लिए जरूरी मापदंडों के मुताबिक एक राष्ट्रीय पार्टी को चार राज्यों में अलग-अलग छह प्रतिशत वोट मिलने चाहिए या कम से कम तीन प्रदेशों में कुल लोकसभा सीट की दो प्रतिशत, या कम से कम चार प्रदेशों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा होना चाहिए.</div>
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
आम चुनावों के बाद एनसीपी, बीएसपी और सीपीआई राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए जरूरी इन सबमें से कोई भी मापदंड पूरा नहीं करती हैं.</div>
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
इन तीनों पार्टियों को चुनाव आयोग को 27 जून तक सफाई देनी थी. अगर इन पार्टियों का राष्ट्रीय दर्जा खत्म कर दिया जाता है तो देश में सिर्फ बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआई(एम) ही राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां होंगी. इसके अलावा 1968 में जारी किए गए चुनाव चिन्ह कानून के तहत राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म होने पर कोई पार्टी पूरे देश में चुनावों के दौरान एक ही चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव नहीं लड़ सकती.</div>
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
अगर इस नियम को लागू किया गया तो बीएसपी सिर्फ उन्हीं राज्यों में हाथी चुनाव चिन्ह का प्रयोग कर पाएगी जहां उसे राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है.</div>
<div align="justify" style="line-height: 1.3em; margin: 0px 0px 5px; padding: 0px;">
<br />इसके साथ ही एनसीपी, बीएसपी और सीपीआई से राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मिलने वाली ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर ब्रॉडकास्टिंग और मतदाता सूची की फ्री कॉपियों की सुविधा भी छिन जाएगी. </div>
</div>
</div>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-53833528560284710482014-06-20T21:20:00.002+05:302014-06-20T21:20:40.548+05:30 49वां ज्ञानपीठ पुरस्कार <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">हिंदी की आधुनिक पीढ़ी के रचनाकार केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 के लिए देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। वह यह पुरस्कार पाने वाले हिंदी के 10वें लेखक हैं।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">ज्ञानपीठ की ओर से आज यहां जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, सीताकांत महापात्रा की अध्यक्षता में आज यहां हुई चयन समिति की बैठक में हिंदी के जाने माने कवि केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 का 49वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने का निर्णय किया गया।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">केदारनाथ सिंह इस पुरस्कार को हासिल करने वाले हिंदी के 10वें रचनाकार है। इससे पहले हिंदी साहित्य के जाने माने हस्ताक्षर सुमित्रनंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा, नरेश मेहता, निर्मल वर्मा, कुंवर नारायण, श्रीलाल शुक्ल और अमरकांत को यह पुरस्कार मिल चुका है। पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार मलयालम के लेखक जी शंकर कुरूप (1965) को प्रदान किया गया था।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">केदार जी का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के ग्राम चकिया में वर्ष 1934 में हुआ था। उनकी प्रमुख कृतियों में 'अभी बिल्कुल अभी', 'जमीन पक रही है', 'यहां से देखो', 'अकाल में सारस', 'बाघ', 'सृष्टि पर पहरा', 'मेरे समय के शब्द', 'कल्पना और छायावाद' और 'टॉलस्टॉय और साइकिल’ आदि शामिल हैं।</span><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><br style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;" /><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 28px;">पुरस्कार के रूप में केदारनाथ सिंह को 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की प्रतिमा प्रदान की जाएगी।</span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-32283992359773924782014-06-19T22:58:00.002+05:302014-06-19T22:58:51.074+05:30सूचीबद्ध कंपनियों में 25 फीसदी सार्वजनिक हिस्सेधारिता अनिवार्य<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white;">
बाजार नियामक सेबी ने नियमों में समानता लाने के मकसद से आज सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों में 25 फीसद सार्वजनिक हिस्सेदारी को अनिवार्य करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सार्वजनिक उपक्रमों को इस नियम को तीन साल में पूरा करना होगा। इस निर्णय से सरकार 36 उपक्रमों में अपने पास अनुपात से अधिक शेयर की बिक्री कर के करीब 60,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है। मौजूदा नियमों के अनुसार सरकारी उपक्रमों के लिए 10 फीसदी सार्वजनिक हिस्सेदारी रखना जरूरी है। वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी की सीमा 25 फीसदी है।</div>
<div style="background-color: white;">
</div>
<div style="background-color: white;">
सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने नियामक के निदेशक मंडल की बैठक के बाद कहा, 'सेबी का मानना है कि बाजार के नियम सभी प्रवर्तकों के लिए समान होने चाहिए। यह इस बात पर निर्भर नहीं होने चाहिए कि प्रवर्तक कौन है।' सेबी के निदेशक मंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इसे अधिसूचना के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा जिसके बाद नियमनों को अंतिम रूप दिया जाएगा। सेबी का मानना है कि सार्वजनिक हिस्सेदारी का नियम सरकारी व निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए अलग-अलग होना भेदभावपूर्ण है। सिन्हा ने कहा, 'प्रतिभूति अनुबंध नियमन (नियम) में भी संशोधन करना होगा जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की सभी सूचीबद्ध कंपनियां 25 फीसद सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियम का अनुपालन कर सकें।'</div>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-89702988977338215602014-06-19T22:23:00.000+05:302014-06-19T22:23:56.181+05:30वर्ल्ड फूड अवॉर्ड<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">भारत में जन्मे प्लांट साइंटिस्ट संजय राजाराम को हरित क्रांति के बाद ग्लोबल गेहूं उत्पादन में 20 करोड़ टन से ज्यादा बढ़ोतरी में योगदान देने के लिए प्रतिष्ठित वर्ल्ड फूड अवॉर्ड से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। राजाराम को यह अवॉर्ड साल 2014 के लिए दिया जाएगा, जिसके तहत उन्हें 2,50,000 डॉलर मिलेंगे। राजाराम मेक्सिको के नागरिक हैं। </span><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><strong style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">तैयार की खास किस्म</strong><br style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;" /><span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">राजाराम ने शीत और वसंत ऋतु के गेहूं की किस्मों की सफल क्रॉस-ब्रीडिंग तैयार की थी, जो खास किस्मों में आती है। ये दोनों ही किस्में सालों से एक-दूसरे से अलग थीं। दोनों के क्रॉस-ब्रीडिंग से जो किस्म तैयार की गई, उसमें ज्यादा पैदावार क्षमता है और उसका जेनेटिक आधार भी व्यापक है। राजाराम की विकसित उच्च पैदावार क्षमता वाली गेहूं की 480 से ज्यादा किस्में 6 महाद्वीपों के 51 देशों में जारी की गई और उन्हें छोटे-बड़े किसानों ने एक साथ अपनाया। </span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-31361128994786206792014-06-19T20:24:00.000+05:302014-06-19T20:24:37.839+05:30पीलीभीत बाघ अभयारण्य<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h1 class="yt" id="watch-headline-title" style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: initial; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 24px; font-weight: normal; margin: 0px 0px 5px; overflow: hidden; padding: 0px; text-overflow: ellipsis; white-space: nowrap; word-wrap: normal;">
<br /></h1>
उत्तर प्रदेश को एक और बाघ अभयारण्य मिल गया है। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित लगभग 73 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले पीलीभीत बाघ अभयारण्य के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। कॉर्बेट पार्क के उत्तराखंड में चले जाने के बाद उत्तर प्रदेश में दुधवा और अमानगढ़ बाघ अभयारण्य क्षेत्र ही बचे थे। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने पीलीभीत को नया बाघ अभयारण्य क्षेत्र घोषित कर दिया है। इसके बाद पीलीभीत देश का 45वां बाघ अभयारण्य क्षेत्र बन गया है। इससे पहले इसी वर्ष फरवरी में पीलीभीत को वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।<table></table>
उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष हुई गणना में उत्तर प्रदेश में मौजूद कुल 118 बाघों में से पीलीभीत में 30 बाघ पाए गए थे। पीलीभीत में बाघों के लगातार हो रहे प्रजनन को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इसे बाघ अभयारण्य घोषित करने की प्रक्रिया की शुरुआत की थी। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों के प्रजनन के लिए प्रदेश में पीलीभीत सबसे उपयुक्त क्षेत्र है।<table></table>
पीलीभीत को बाघ अभयारण्य घोषित किए जाने के बाद अब प्रदेश सरकार नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी मिलने वाले अनुदान की सहायता से इस क्षेत्र का विकास करेगी। पीलीभीत के जंगलों में बाघों के रहवास के लिए आदर्श परिस्थितियां मौजूद हैं। यहां न केवल बाघों के पर्याप्त पोषण के लिए शिकार मौजूद हैं, बल्कि तराई क्षेत्र की वनस्पति भी उनके रहने के लिए अनुकूल है। पीलीभीत के जंगलों में बाघों के आहार के लिए बड़ी संख्या में चीतल हिरन, जंगली सूअर, सांभर हिरन और अन्य शाकाहारी जीव पाए जाते हैं। पीलीभीत बाघ अभयारण्य का क्षेत्रफल लगभग 73,000 हेक्टेयर होगा जिसका दायरा नेपाल सीमा तक होगा।<table></table>
उल्लेखनीय है कि राज्य में दुधवा को 1987 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था जबकि अमानगढ़ को 2012 में घोषित किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार शुरुआत में बाघों के आवागमन के लिए बहराइच का कतरनियाघाट-दुधवा-पीलीभीत-अमानगढ़ क्षेत्र सबसे सुरक्षित हुआ करता था। बाद में रिहाइशी क्षेत्र के आ जाने से यह आवागमन बाधित होने लगा था। इसके बाद बड़ी में बाघों नें पीलीभीत के जंगलों को ही अपना ठिकाना बना लिया था।<table></table>
विश्व में मौजूद 2,500 बाघों में से केवल भारत में 1,706 बाघ हैं। उत्तर प्रदेश में दुधवा, अमानगढ़ और पीलीभीत के अलावा बाघों की सबसे अधिक रिहाइश बहराइच के कतरनिया घाट और श्रावस्ती के सुहेलवा के जंगलों में है।<table></table>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-57110959142942672692014-06-17T20:45:00.002+05:302014-06-17T20:45:35.575+05:30 राज्यपालों को कानूनी कवच <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; font-family: Bhaskar_WEB_Intro_Test, Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 14.399999618530273px; line-height: 22px;">
त्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। वहीं, गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल, पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल और केरल की राज्यपाल शीला दीक्षित को भी पद से इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। हालांकि, <a href="http://www.bhaskar.com/article-ht/NAT-sheila-from-kerala-punjab-patil-will-return-modi-government-change-5-latsab-4649960-NOR.html" style="color: #005686; outline: none; text-decoration: none;">शीला दीक्षित और शिवराज पाटिल ने इससे साफ इनकार किया है। </a>उत्तरप्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी के इस्तीफा पर प्रतिक्रिया देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ''अगर मैं उनकी जगह होता तो मैं भी इस्तीफा दे देता।'' लेकिन जिस तरह कुछ राज्यपालों ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया, उस पर विवाद पैदा हो गया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने राज्यपालों को कानूनी कवच दिया है, इसी के आधार पर वे इस्तीफा देने से इनकार रहे हैं। </div>
<div style="background-color: white; font-family: Bhaskar_WEB_Intro_Test, Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 14.399999618530273px; line-height: 22px;">
</div>
<div style="background-color: white; font-family: Bhaskar_WEB_Intro_Test, Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 14.399999618530273px; line-height: 22px;">
<b>क्या है कानूनी प्रावधान</b><br />बीएल सिंघल बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए फैसले के अनुसार, सिंघल ने जनहित याचिका दायर कर 2004 में सत्ता में आने वाली यूपीए सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गोवा और गुजरात के राज्यपालों को हटाए जाने पर आपत्ति ली थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया, '' राज्यपाल केंद्र सरकार और केंद्र की सत्ता में काबिज किसी पार्टी की नीतियों और विचारधारा से मुक्त हैं, इसलिए उन्हें हटाया नहीं जा सकता। केंद्र सरकार विश्वास खोने की स्थिति में भी उन्हें नहीं हटा सकती। केंद्र में सत्ता परिवर्तन भी राज्यपालों को हटाने की जमीन तैयार नहीं करती ताकि वे अपने चहेतों को राज्यपाल पद पर बैठा सकें। इसलिए ऐसे कारणों की कोई जरुरत नहीं है। ऐसे निर्णय वैध नहीं माने जाएंगे और हमेशा इनकी न्यायिक समीक्षा के रास्ते खुले रहेंगे।''</div>
<div style="background-color: white; font-family: Bhaskar_WEB_Intro_Test, Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 14.399999618530273px; line-height: 22px;">
</div>
<div style="background-color: white; font-family: Bhaskar_WEB_Intro_Test, Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 14.399999618530273px; line-height: 22px;">
कोर्ट ने कहा था कि अगर वह व्यक्ति सनकी है मनमाना है और नेक नहीं है, तो उसे प्रथम दृष्टया हटाया जाना उचित है। अगर ऐसा कोई उचित कारण नहीं है, तो कोर्ट सरकार से जवाब-तलब कर सकती है। लेकिन अगर केंद्र सरकार कारणों का खुलासा नहीं करती, तो निर्णय वापस लेने का विकल्प भारत के राष्ट्रपति को होगा। अगर केंद्र सरकार किसी भी कारण से कारणों का खुलासा नहीं करती तो निर्णय को अप्रासंगिक, मनमाना माना जाएगा और कोर्ट हस्तक्षेप करेगी। </div>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-29038971868533793072014-06-01T13:35:00.004+05:302014-06-01T13:35:38.965+05:30एसआईटी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-family: 'ARIAL UNICODE MS', mangal, raghu8; font-size: 16.799999237060547px;">स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाने का ऐलान कर दिया गया है। एसआईटी के प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एम.वी. शाह को बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज अरिजित पासायत एसआईटी के वाइस चेयरमैन होंगे। सदस्यों के रूप में सीबीआई, रॉ, आईबी, ईडी, सीबीडीटी के टॉप अफसर रहेंगे। एसआईटी यह पता लगाएगी कि देश में कितनी ब्लैक मनी है और साथ ही इसे वापस लाने के तरीकों पर सरकार को सुझाव भी देगी।</span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-26914710054485197662014-06-01T09:23:00.001+05:302014-06-01T09:23:43.931+05:30उच्चधिकार प्राप्त 9 मंत्री समूह (इजीओएम) और 21 मंत्री समूह (जीओएम) को भंग करने का एलान <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; font-family: Mangal; font-size: 14px; line-height: 20px;">
नयी दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सभी 30 मंत्री समूह और उच्चधिकार प्राप्त मंत्री समूह भंग कर दिये. लंबित मसलों पर फैसले लेने का अधिकार संबंधित मंत्रालयों व विभागों को दिया गया है.<br /><br />उच्चधिकार प्राप्त 9 मंत्री समूह (इजीओएम) और 21 मंत्री समूह (जीओएम) को भंग करने के फैसले का एलान करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होगी. साथ ही व्यवस्था में अधिक जवाबदेही आयेगी. इस फैसले के साथ ही नरेंद्र मोदी ने पिछले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की प्रशासन पर छोड़ी गयी सबसे बड़ी छाप खत्म कर दी है.<br /><strong><br />नयी व्यवस्था में क्या : </strong>पीएमओ के मुताबिक मंत्रलय व विभाग अब इजीओएम व जीओएम के समक्ष लंबित मुद्दों पर विचार करेंगे. मंत्रालय व विभाग स्तर पर ही उचित फैसला लिया जायेगा. यदि कहीं भी मंत्रलयों को कठिनाई आयेगी, तो कैबिनेट सचिवालय व पीएमओ निर्णय लेने की प्रक्रिया में मदद करेंगे.<br /><br /><strong>विवाद की स्थिति में : </strong>अब यदि कोई अंतर-मंत्रालयी विवाद होता है, तो उसे कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सचिवों की समिति द्वारा हल किया जा सकता है.<br /><strong><br />पहले की व्यवस्था : </strong> भ्रष्टाचार, अंतर राज्यीय जल विवाद, प्रशासनिक सुधार और गैस व दूरसंचार मूल्य जैसे मुद्दों पर फैसले के लिए उक्त समूहों का गठन किया गया था. इजीओएम के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल की तर्ज पर फैसले लेने का अधिकार था. जीओएम की सिफारिशें अंतिम फैसले के लिए कैबिनेट के समक्ष पेश की जाती थीं. मनमोहन सरकार के समय 10 साल तक अस्तित्व में रहे जीओएम के बारे में सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई जीओएम की बैठक ही नहीं हुई. केवल कुछ ने ही फैसले दिये. </div>
<div style="background-color: white; font-family: Mangal; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Mangal; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<strong>क्या है उद्देश्य </strong></div>
<div style="background-color: white; font-family: Mangal; font-size: 14px; line-height: 20px;">
निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाना </div>
<div style="background-color: white; font-family: Mangal; font-size: 14px; line-height: 20px;">
कैबिनेट के अधिकारों को बहाल करना </div>
<div style="background-color: white; font-family: Mangal; font-size: 14px; line-height: 20px;">
मंत्रालयों व विभागों के सशक्त बनाना </div>
<div style="background-color: white; font-family: Mangal; font-size: 14px; line-height: 20px;">
निर्णय लेने के स्तरों को कम करना </div>
<div style="background-color: white; font-family: Mangal; font-size: 14px; line-height: 20px;">
व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाना </div>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-84311319464346635752014-05-30T20:35:00.001+05:302014-05-30T20:35:31.032+05:30राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<span style="background-color: white;">प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने </span><span style="background-color: yellow;">अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है</span><span style="background-color: white;">. डोभाल आईबी के पूर्व निदेशक हैं. </span><span style="background-color: white; line-height: 1.3em;"> अजीत डोभाल 1968 में केरल कैडर से आईपीएस में चुने गए थे. और नौ साल पहल यानी साल 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के मुखिया के पद से रिटायर हुए हैं. उन्हें 37 साल का तजुर्बा तो है ही वाजपेयी सरकार में मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ के तौर पर बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार के साथ काम भी कर चुके हैं.</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
24 दिसंबर 1999 को एयर इंडिया की फ्लाइट आईसी 814 को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया और उसे कांधार ले जाया गया. भारत सरकार एक बड़े संकट में फंस गई थी. ऐसे में संकटमोचक बनकर उभरे थे अजीत डोभाल. अजीत उस वक्त वाजपेयी सरकार में एमएसी के मुखिया थे. आतंकवादियों और सरकार के बीच बातचीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई और 176 यात्रियों की सकुशल वापसी का सेहरा डोभाल के सिर बंध गया था.</div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
अजीत डोभाल ने सीमापार पलने वाले आतंकवाद को करीब से देखा है और आज भी आतंकवाद के खिलाफ उनका रुख बेहद सख्त माना जाता है.</div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
अजीत डोभाल उम्मीद का दामन नहीं छोड़ते. उन्हें आज भी लगता है मजबूत इरादे एक दिन दाऊद को सलाखों के पीछे जरूर ला खड़ा करेंगे.</div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
डोभाल की खासियत ये भी है कि वो अपने विरोधियों पर मनोवैज्ञानिक असर डालने में महारत रखते हैं. उत्तरपूर्व में मिजो नेशनल आर्मी के मुखिया लाल डेंगा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि बतौर आईबी चीफ डोभाल ने उनके 6 में 5 कमांडरों को उनके खिलाफ भड़का दिया था और यहां तक कि लाल डेंगा को अपने चीफ कमांडर को ये कहना पड़ा था कि अगर उन्होंने डोभाल की बात मानी तो उनकी छुट्टी कर दी जाएगी.</div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
मिजो नेशनल आर्मी में सेंध लगाकर उन्होंने तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का दिल जीत लिया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें महज 6 साल के करियर के बाद ही इंडियन पुलिस मेडल से सम्मानित किया था जबकि परंपरा के मुताबिक वो पुरस्कार कम से कम 17 साल की नौकरी के बाद ही मिलता था.</div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
यही नहीं राष्ट्रपति वेंकटरमन ने अजीत डोभाल को 1988 में कीर्तिचक्र से सम्मानित किया तो ये भी एक नई मिसाल बन गई. अजीत डोभाल पहले ऐसे शख्स थे जिन्हें सेना में दिए जाने वाले कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था.</div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
अजीत डोभाल की कामयाबियों की लिस्ट में आतंक से जूझ रहे पंजाब और कश्मीर में कामयाब चुनाव कराना भी शामिल है. यही नहीं उन्होंने 6 साल पाकिस्तान में भी गुजारे हैं और चीन, बांग्लादेश की सीमा के उस पार मौजूद आतंकी संगठनों और घुसपैठियों की नाक में नकेल भी डाली है.</div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
अजीत को मौत का खौफ भी नहीं सताता. 1989 के ऑपरेशन ब्लैक थंडर की जब स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए 300 सिक्योरिटी गार्ड और 800 बीएसएफ के जवानों ने धावा बोला था. कहा जाता है कि खुद अजीत डोभाल उस वक्त हरमिंदर साहब के अंदर मौजूद थे. उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी.</div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
अजीत का मानना है कि आतंक के लड़ाई के लिए एनसीटीसी यानी नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर जैसी किसी बड़ी संस्था की जरूरत है जो एक मुकम्मल लड़ाई लड़ सके.</div>
<div style="background-color: white; font-family: Helvetica, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 1.3em; margin-bottom: 5px; padding: 0px;">
<br /></div>
</div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-81634150810106790822014-05-01T12:56:00.001+05:302014-05-01T12:56:23.707+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13.714285850524902px; line-height: 16.128000259399414px;">अमेरिकी सेना की वापसी के बाद पहली बार इराक में हुए आम चुनाव में बुधवार को वोट डाले गए. हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान हुए हमलों और कुछ जगह पर मतदान केंद्रों को निशाना बनाए जाने के बावजूद मतदान केंद्रो पर सुबह से ही कतारें लगना शुरू हो गई थी. वहीं बगदाद में राशिद होटल में अति महत्वपूर्ण लोगों के लिए बने मतदान केंद्र में वोट डालने के बाद प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी ने तीसरी बार सत्ता में वापसी की उम्मीद जताई.</span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-14404725324232461332014-05-01T12:55:00.001+05:302014-05-01T12:55:26.681+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13.714285850524902px; line-height: 16.128000259399414px;">मंगल ग्रह पर पहुंचने के करीब साल भर बाद नासा के क्यूरियॉसिटी रोवर ने इस लाल ग्रह की तीसरी खुदाई को तैयार है। इसके नमूनों के विश्लेषण से इस ग्रह पर जीवन के लक्षणों के बारे में पता चल सकेगा। </span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-44958126848353603472014-05-01T12:53:00.001+05:302014-05-01T12:53:07.690+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13.714285850524902px; line-height: 16.128000259399414px;"> परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के आधार पर भारत महज छह साल में जापान को पछाड़कर दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। भारत ने वर्ष 2011 में यह मुकाम हासिल किया है। 2005 में वह 10वीं पायदान पर था। वहीं, अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहा और इसके बाद चीन दूसरे स्थान पर कायम है। बैंक के अंतरराष्ट्रीय तुलनात्मक कार्यक्रम (आईसीपी) के तहत बुधवार को जारी ताजा आंकड़ों में यह रैंकिंग दी गई है। इसके मुताबिक 2011 में भारत का जीडीपी 5.75 लाख करोड़ रुपए रहा, जबकि जापान का 4.37 लाख करोड़ रुपए था।</span></div>
Arvind Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/01303958087091676991noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8962343021268915591.post-36485121360762378552014-05-01T12:51:00.002+05:302014-05-01T12:51:35.665+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13.714285850524902px; line-height: 16.128000259399414px;">राष्ट्रपति चुनाव कराने के लिए नामीबिया की सरकार ने भारत में बने 3,400 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) खरीदे हैं। इस उपकरण का एशिया के कई देश स्वतंत्र और सहज चुनाव संपन्न कराने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि नामीबिया की सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (बीईएल) की बेंगलुरू स्थित इकाई से इवीएम की खरीद की है। इस उपकरण का दक्षिण अफ्रीकी देश में नवंबर में होने जा रहे चुनाव में इस्तेमाल होगा।</span></div>
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