सरकार ने विमान अपहरणकर्ताओं को मृत्यु दंड देने और ऐसे अपहृत विमानों को मार गिराने के प्रस्तावों को शुक्रवार को मंजूरी दे दी, जिनसे प्रमुख स्थलों को निशाना बनाने का खतरा हो।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में विमान अपहरण निरोधी कानून को और कड़ा करने के लिए उक्त संशोधनों को मंजूरी दी गई। गृह मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह ने ये सुझाव दिए थे, जिसे कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी।
न्यूयॉर्क में 11 सितंबर 2001 में अपहृत विमानों का मिसाइल की तरह इस्तेमाल करके प्रमुख स्थलों को निशाना बनाने की घटना के मद्देनजर भारत के विमान अपहरण निरोधी कानून में ऐसे संशोधन किए जाने को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वर्तमान कानून में इन संशोधनों को समाहित कर लिए जाने के बाद अब भारत में ऐसे अपहृत विमानों को मार गिराया जा सकता है, जिनसे आशंका हो कि उनका इस्तेमाल मिसाइल के रूप में किसी स्थल पर हमला करने के लिए किया जा सकता है।
संशोधनों में यह प्रावधान शामिल करने को भी मंजूरी दी गई है कि अगर भारत की धरती पर अपहरण की घटना हो या कोई अपहृत विमान आए तो उस विमान को उड़ने की अनुमति नहीं दी जाए और ऐसा किया जाए कि वह उड़ान भरने की स्थिति में ही नहीं रहे।
वर्ष 1999 में कंधार अपहरण की घटना के दौरान अपहृत विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर कुछ समय के लिए उतरा था, लेकिन तब सुरक्षा बल उसे दोबारा उड़ान भरने से रोकने में असफल रहे थे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में विमान अपहरण निरोधी कानून को और कड़ा करने के लिए उक्त संशोधनों को मंजूरी दी गई। गृह मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह ने ये सुझाव दिए थे, जिसे कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी।
न्यूयॉर्क में 11 सितंबर 2001 में अपहृत विमानों का मिसाइल की तरह इस्तेमाल करके प्रमुख स्थलों को निशाना बनाने की घटना के मद्देनजर भारत के विमान अपहरण निरोधी कानून में ऐसे संशोधन किए जाने को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वर्तमान कानून में इन संशोधनों को समाहित कर लिए जाने के बाद अब भारत में ऐसे अपहृत विमानों को मार गिराया जा सकता है, जिनसे आशंका हो कि उनका इस्तेमाल मिसाइल के रूप में किसी स्थल पर हमला करने के लिए किया जा सकता है।
संशोधनों में यह प्रावधान शामिल करने को भी मंजूरी दी गई है कि अगर भारत की धरती पर अपहरण की घटना हो या कोई अपहृत विमान आए तो उस विमान को उड़ने की अनुमति नहीं दी जाए और ऐसा किया जाए कि वह उड़ान भरने की स्थिति में ही नहीं रहे।
वर्ष 1999 में कंधार अपहरण की घटना के दौरान अपहृत विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर कुछ समय के लिए उतरा था, लेकिन तब सुरक्षा बल उसे दोबारा उड़ान भरने से रोकने में असफल रहे थे।
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