Sunday, April 4, 2010

लविवि भी खत्म करेगा औपनिवेशिक परिपाटी

कुलपति प्रो.मनोज कुमार मिश्र का कहना है कि लविवि भी दीक्षान्त समारोह के दौरान गाउन पहनने की औपनिवेशिक परिपाटी खत्म करेगा। प्रो.मिश्र ने बताया कि आईआईटी मुम्बई में इस परम्परा को खत्म किया जा चुका है और कुलाधिपति की अनुमति के बाद लविवि में भी इसका पालन किया जाएगा। उन्होंने केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्री की बात और कृत्य को प्रभावशाली बताया। उनके मुताबिक जयराम रमेश सबके बीच में गाउन न फेंकते तो शायद उनकी बात का प्रभाव गहरा न होता लेकिन अब अन्य विवि इस दिशा में सोच सकेंगे। उधर, उप्र प्राविधिक विवि के कुलपति प्रो.कृपाशंकर ने कहा कि दीक्षान्त समारोह के दौरान गाउन पहनना बेशक औपनिवेशिक है लेकिन गाउन फेंकना गलत है। पर्यावरण मंत्री को यदि यह प्रथा पसंद नहीं तो उन्हें इससे दूर ही रहना चाहिए था। कुलपति ने कहा कि लगभग बीस साल पहले आईआईटी कानपुर में एक छात्र ने गाउन पहनने से इन्कार किया था, उसकी बात को माना भी गया था। उन्होंने कहा कि गाउन पहनना दूसरे देश की संस्कृति से जुड़ी बात सही लेकिन संस्कार तो हर समाज में हैं। शादी, जनेऊ वगैरह में तमाम ऐसे मौके आते हैं जब कोई खास पोशाक पहननी होती है। इसे मुद्दा बनाना ठीक नहीं, यह तो अपनी पसंद पर निर्भर करता है। एसजीपीजीआई के निदेशक डा.आरके शर्मा कहते हैं कि किसी समारोह में यदि हम मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद हैं तो हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस समारोह के नियम और कानून का पालन करें तथा कार्यक्रम की गरिमा बनाने में सहयोग करें। इस दौरान ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे उस कार्यक्रम की गरिमा धूमिल हो। डा.राम मनोहर लोहिया विधि विवि के कुलपति प्रो.बलराज चौहान ने कहा है कि मंत्री जी ने गाउन उतार कर संस्थान के सम्मान को ठेस पहुंचाने का काम किया है। संस्थान ने उन्हें बुलाया था तो उन्हें वहां गाउन पहनना चाहिये था। क्योंकि गाउन पहली बार नहीं बल्कि हर दीक्षांत समारोहों में पहना जाता है।

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