Sunday, April 4, 2010

उत्तर प्रदेश ने खड़े किए हाथ

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर साफ कह दिया है कि यदि केंद्र शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रति वाकई गंभीर है तो वह राज्य में इस कानून को लागू कराने पर आने वाला पूरा खर्च खुद वहन करे। अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश में इस अधिनियम को अमली जामा पहनाने के लिए सालाना 18,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसमें से 45 प्रतिशत यानी 8,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी राज्य पर डाली गई है। सूबे की मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह भारी-भरकम खर्च उठा पाना राज्य के लिए संभव नहीं है। इसलिए अधिनियम को प्रदेश में लागू करने पर आने वाला पूरा खर्च केंद्र सरकार खुद वहन करे। मुख्यमंत्री ने पत्र में प्रधानमंत्री को बताया है कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा के अधिकार को लागू करने के लिए 4,596 नए प्राथमिक स्कूल, 2,349 नए उच्च प्राथमिक विद्यालय और अन्य अवस्थापना सुविधाओं का विकास करना होगा जिसका अनुमानित खर्च 3,800 करोड़ है। वहीं छह से 14 वर्ष के सभी बच्चों को शिक्षा के दायरे में लाने के लिए प्राथमिक विद्यालयों में 3.25 लाख नए शिक्षकों की तैनाती करनी होगी। वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों में 67,000 नए नियमित शिक्षक और 44,000 अंशकालिक शिक्षकों को नियुक्त करना होगा। इसके मद्देनजर राज्य पर सालाना 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्ययभार आएगा। अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटें गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होगी जिसकी प्रतिपूर्ति के रूप में राज्य सरकार को हर साल लगभग 3,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इस तरह से अधिनियम को यथार्थ के धरातल पर उतारने के लिए सालाना 18,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कहा है कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार शिक्षा को समवर्ती सूची में शामिल किया गया है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी था कि अधिनियम के बारे में केंद्र राज्यों से औपचारिक विचार-विमर्श करने के साथ ही उसके क्रियान्वयन के लिए समुचित धनराशि का भी बंदोबस्त करता, जो कि नहीं किया गया। उन्होंने इस पर भी एतराज जताया है कि इस अधिनियम के बारे में केंद्र सिर्फ नीतियां बनाकर निर्देश जारी करे और उसके क्रियान्वयन की सारी जिम्मेदारी राज्यों पर हो। उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया है कि इस संबंध में राज्य सरकार ने पिछले साल पांच नवंबर को केंद्र को पत्र भेजकर समस्त धनराशि की व्यवस्था करने का अनुरोध किया था।

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