Saturday, December 5, 2009

बच्चों को अनिवार्य व मुफ्त शिक्षा

 केंद्र सरकार ने छह से चौदह साल तक के बच्चों को अनिवार्य व मुफ्त शिक्षा के लिए संसद के पिछले सत्र में विधेयक भले ही पारित करा लिया हो, लेकिन उस पर अमल में अब भी पेंच है। केंद्र और राज्यों के बीच उसके खर्च को लेकर बंटवारे का मामला पहले की तरह अब भी नहीं सुलझा है। साफ है जब तक यह तय नहीं होगा, कानून पर अमल नहीं होगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि बच्चों को अनिवार्य व मुफ्त शिक्षा अधिकार अधिनियम के अमल पर 2011 से 2014-15 की अवधि के लिए 1,71,484 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया है, लेकिन इस खर्च को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच बंटवारे का अनुपात अभी तय नहीं हो पाया है। लिहाजा जब तक यह तय नहीं होता, कानून पर अमल नहीं हो सकता। सरकार इस विधेयक को बीते तीन-चार साल पहले से लाने की तैयारी में थी और तब भी खर्च बोझ और उसके बंटवारे को लेकर विवाद था। अब भी खास बात यह है कि उस पर फैसला नहीं हो सका है। सर्वशिक्षा अभियान के तहत केंद्र और राज्यों के बीच अभी खर्च का बंटवारा 60:40 के अनुपात में है, जो अगले साल 50:50 का हो जाएगा।

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