परमाणु दायित्व विधेयक पर सरकार और विपक्ष में गतिरोध के बीच देश केपरमाणु प्रतिष्ठान ने बुधवार को इस विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इस प्रणाली को लेकर काफी गलतफहमियां हैं।
परमाणु संबंधी दुर्घटनाओं में क्षतिपूर्ति के लिए एक कानून लागू करने पर जोर देते हुएपरमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष श्रीकुमार बनर्जी ने कहा कि न तो भारतीय पर्यावरण संरक्षण जनदायित्व बीमा अधिनियम, 1991 और ना ही भारतीय परमाणु ऊर्जाअधिनियम में संघर्ष या रेडियोधर्मिता के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिहाज से कोई प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसलिए वर्तमान संदर्भ में यह विधेयक महत्वपूर्ण दिखाई देता है।
बनर्जी ने कहा कि वर्तमान में और निकट भविष्य में सरकारी स्वामित्व वाला भारतीयपरमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड [एनपीसीआईएल] ही केवल परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालक होगा।
विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने सोमवार को विधेयक पेश नहीं करने का फैसला किया था। बनर्जी ने कहा कि भारत में कोई कानून नहीं है जो परमाणु उद्योग द्वारा हुए नुकसान की भरपाई के लिए दायित्व तय करता हो। सरकार बहुत सावधानी पूर्वक अध्ययन के बाद विधेयक पेश करना चाहती है लेकिन दुर्भाग्य से सांसदों में इसे लेकर काफी गलतफहमियां हैं, जिनमें सुधार की जरूरत है।''
सरकार विधेयक के लिए कोशिश कर रही है, जिसकी पृष्ठभूमि में बनर्जी का बयान आया है।
देश के शीर्ष नेताओं के दृष्टिकोण का समर्थन एईसी के दो पूर्व अध्यक्षों अनिल काकोडकर और एम आर श्रीनिवासन ने भी किया है।
बनर्जी ने कहा कि परमाणु ऊर्जा विभाग विधेयक पर एक दशक से अधिक समय से कानूनी विशेषज्ञों और केंद्र के साथ काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को संचालित कर रहे 30 देशों में से भारत और पाकिस्तान को छोड़कर शेष 28 में इस तरह का विधेयक है।
उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सही समय है जब भारत के पास जल्दी ही अपना विधेयक हो। बनर्जी ने कहा कि एक राष्ट्रीय विधेयक होने पर ही हमारे लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणुऊर्जा एजेंसी की परमाणु क्षति पर पूरक हर्जाने पर समझौते के साथ सामंजस्य आसान होगा, जो अभी प्रभाव में नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि देश में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड दुर्घटना का अंाकलन करेगा
आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
ReplyDeleteलिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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