Sunday, May 2, 2010
अमेरिका जापान सुरक्षा संधि
1952 में अमेरिका और जापान के बीच एक सुरक्षा संधि हुई, जिसके मुताबिक जापान की सुरक्षा का भार अमेरिका ने अपने ऊपर लिया। आम जापानियों को यह संधि पसंद नहीं थी। इस संधि के तहत अमेरिका ने जापान के 2800 सैनिक अड्डों पर 2,60,000 सैनिक तैनात कर दिए। अमेरिका और जापान के बीच सबसे महत्वपूर्ण संधि 16 जनवरी, 1960 को हुई जब जापान के प्रधानमंत्री नोबुसुके और अमेरिकी विदेश मंत्री क्रिशचन हर्टर ने एक ऐतिहासिक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसमें अमेरिका ने जापान की सुरक्षा का पूरा दायित्व अपने कंधों पर ले लिया। इस बीच विश्व राजनीति में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। वियतनाम का युद्ध हुआ, सोवियत संघ ध्वस्त हो गया, चीन एशिया का दादा बन बैठा और उत्तर कोरिया ने परमाणु बम बना लिया। इस बीच जापान में लोगों ने इस संधि का विरोध करना शुरू कर दिया। सबसे अधिक विरोध जापान के दक्षिणी द्वीप ओकिनावा में अमेरिकी सैनिक अड्डे को लेकर हो रहा है। अमेरिका ओकिनावा द्वीप को एक तरह से अपनी जागीर समझता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय प्राय: 12 हजार अमेरिकी सैनिक इस द्वीप में मारे गए थे और 37 हजार घायल हुए थे। तबसे आज तक ओकिनावा की जनता प्राय: हर महीने अमेरिकी फौज के खिलाफ प्रदर्शन कर यह मांग कर रही है कि ओकिनावा से सैनिक अड्डा हटाया जाए। हतोयामा ने लोगों की भावना की कद्र करते हुए वायदा कर दिया था कि वह जल्द से जल्द अमेरिकी सैनिक अड्डा हटा देंगे। परंतु अमेरिका इसके लिए किसी भी सूरत में तैयार नहीं है। ओकिनावा के पास एक छोटा-सा द्वीप तोकुनोशिमा है। यह ओकिनावा और एक अन्य प्रमुख द्वीप क्यूसू के बीच है। हतोयामा ने यह प्रस्ताव रखा था कि ओकिनावा के सैनिक अड्डे को हटाकर तोकुनोशिमा ले जाया जाए। वहां आबादी बहुत कम है। परंतु जैसे ही इस द्वीप के लोगों को हतोयामा के फैसले का पता चला, उन्होंने तीखा विरोध शुरू कर दिया। जब हतोयामा हाल में वहां गए थे तो 15,000 नागरिकों ने काले झंडे दिखाकर उनका विरोध किया था। अब हतोयामा पेशोपश में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस जटिल समस्या का समाधान कैसे निकाला जाए। इसमें कोई संदेह नहीं कि हतोयामा की सरकार धीरे-धीरे अमेरिका से दूरी बना रही है। परंतु संभवत: वह यह नहीं समझ पा रही है कि चीन कभी किसी पड़ोसी का दोस्त नहीं हुआ है। इसमें भी कोई संदेह नहीं कि आने वाले दिनों में अमेरिका और जापान के रिश्तों में और अधिक कड़वाहट आएगी।
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