Saturday, January 2, 2010

कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज मुहिम


साल 2020 तक अपना कार्बन एमिशन एक चौथाई तक कम करने के ऐलान पर चलते हुए भारत सरकार ने एक अहम पहल की

है। भारत ऑस्ट्रेलिया के एक बड़े कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज मुहिम का फाउंडर मेंबर बनने वाला है। कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज मुहिम में जीवाश्म ईंधन का बड़े पैमाने पर उपभोग करने वाले स्त्रोतों को टारगेट बनाया जाता है। मसलन, पावर प्लांटों में बड़ी-बड़ी चिमनियों से निकलने वाले धुएं से कार्बन डाई ऑक्साइड निकालकर और विभिन्न उपायों से इसे वायुमंडल से कहीं और ले जाना इसमें शामिल है।

इस मुहिम का ऐलान ऑस्ट्रेलियाई पीएम केविन रड ने सितंबर 2008 में किया था, जबकि सितंबर 2009 में इसे लॉन्च किया गया था। ताकि कार्बन कैप्चर और स्टोरेज के लिए ग्लोबल प्लैटफॉर्म तैयार हो सके।

इस प्रस्ताव के तहत 2020 तक दुनिया भर में कम से कम 20 इंटिग्रेटिड इंडस्ट्रियल डेमंस्ट्रेशन प्रोजेक्टों को शुरू किया जाना है। इसका मकसद सभी सरकारों, उद्योगों और रिसर्चरों को एक प्लैटफॉर्म पर लाकर कमर्शल कार्बन कैप्चर प्रोजेक्टों का विकास और उन पर निवेश करवाना है।

यही वजह है कि ऊर्जा मंत्रालय ने एक प्रस्ताव संबंधित मंत्रालयों के पास कॉमेंट्स जानने के लिए भेजा है। भारत को अगर इस नेक मुहिम में फाउंडर मेंबर की हैसियत से शामिल होना है तो उसे नवंबर 2010 से पहले समझौता ज्ञापन साइन करना होगा। हालांकि मिनिस्ट्री के इस नोट में कहीं यह संकेत नहीं है कि भारत कार्बन कैप्चर ऐंड स्टोरेज के लिए कोई डेमंस्ट्रेशन प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है।

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