रुचिका की बदौलत दुरुस्त हुआ कानून
रुचिका मामला प्रकाश में आने के बाद सरकार यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों में कानून को दुरुस्त करने में जुट गई है। इसके तहत गुरुवार से सीआरपीसी में नए संशोधन लागू कर दिए गए हैं। संशोधन के मुताबिक अब बलात्कार समेत तमाम यौन अपराधों की सुनवाई दो महीने के भीतर पूरी की जाएगी। यही नहीं, अब सभी पक्षों को अदालत के आदेश के खिलाफ अपील का अधिकार होगा। प्रभावी संशोधन शिकायतकर्ताओं के लिए बड़ी राहत साबित होंगे, क्योंकि ऐसे मामलों में अभी तक केवल राज्य ही आदेश के खिलाफ अपील दायर कर सकता था। गृह मंत्रालय से जारी बयान में कहा गया है कि पीडि़तों को अभियोजन में मदद के लिए अब वकील करने की अनुमति होगी। बलात्कार पीडि़त का बयान उसके घर में दर्ज किया जाएगा और जहां तक मुमकिन होगा, कोई महिला पुलिस अधिकारी ही माता-पिता या अभिभावक या सामाजिक कार्यकर्ता की मौजूदगी में पीडि़ता के बयान दर्ज करेगी और उसके आडियो-वीडियो बनेंगे। सीआरपीसी में कहा गया है कि राज्य सरकारें पीडि़त व्यक्ति या उसके आश्रितों को मुआवजा देने के लिए एक नियम बनाएं। पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार और स्थगन मंजूर करने या इससे इनकार करने के अदालत के अधिकार संबंधी तीन प्रावधानों धारा 5, 6 और 21-बी को फिलहाल लागू नहीं किया गया
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