Saturday, January 2, 2010

विशेष आर्थिक क्षेत्र का भविष्य

नई दिल्ली विशेष आर्थिक क्षेत्र का खुमार सरकार के सिर से भी उतरता दिख रहा है और कारपोरेट क्षेत्र का भी। 2009 की शुरुआत से विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के भविष्य को लेकर अनिश्चितता का जो दौर शुरु हुआ था वह अब ठोस शक्ल अख्तियार करने लगा है। केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते 11 एसईजेड परियोजनाओं को लगाने में हो रही देरी को देखते हुए इन्हें और ज्यादा समय देने से इनकार कर दिया तो राज्य सरकारों ने भी किसानों के विरोध के चलते एसईजेड प्रस्तावों को निरस्त करना शुरू कर दिया है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक समय पर काम शुरू न होने या काफी धीमी प्रगति के आधार पर आने वाले दिनों में 50 एसईजेड परियोजनाओं को नोटिस जारी हो सकता है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात सहित अन्य राज्यों में 40 ऐसी एसईजेड परियोजनाएं हैं जिनकी अधिसूचना जारी होने के बावजूद जमीन अधिग्रहण में दिक्कत आ रही है। अब जबकि राज्यों ने अपने स्तर पर किसानों के विरोध को देखते हुए एसईजेड प्रस्ताव को खारिज करना शुरू कर दिया है, आने वाले दिनों में कई स्वीकृत परियोजनाओं को ठंडे बस्ते में डालना पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक अधिकांश प्रस्तावक अब यह सूचना भेज रहे हैं कि मंदी और जमीन नहीं मिलने की वजह से वे अपनी योजना को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। हालांकि कई ऐसी स्परियोजनाएं हैं जिन पर काम शुरू हो सकता था। इनकी छंटनी की जा रही है। सौ से ज्यादा एसईजेड प्रस्तावों को वर्ष 2005-05 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन उनमें से अधिकांश अभी भी कागजों से आगे नहीं बढ़ पाये हैं। इस आधार पर लगभग 50 एसईजेड परियोजनाओं को सरकार अब और ज्यादा वक्त देने के मूड में नहीं है। राज्य सरकारों का आकर्षण भी एसईजेड को लेकर कम होता जा रहा है। किसानों के विरोध को देखते हुए हाल ही में महाराष्ट्र में वीडियोकॉन के एक प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया। दिसंबर में वाणिज्य मंत्रालय ने जिन 11 परियोजनाओं को फिर से मंजूरी लेने को कहा है उनमें रिलायंस समूह (मुकेश अंबानी) की हरियाणा स्थिति परियोजना, पोस्को इंडिया की स्टील एसईजेड, इंडिया बुल्स की एसईजेड परियोजना भी शामिल है। एसईजेड अधिनियम, 2005 के मुताबिक इस तरह की परियोजना को केवल दो बार ही समय सीमा बढ़ाने की मंजूरी दी जा सकती है। कारपोरेट जगत इस प्रावधान में संशोधन चाहता है। सरकार ने भी संकेत दिए हैं कि वह उचित समय पर इस बारे में फैसला करेगी। एसईजेड कानून बनने के बाद से अभी तक केंद्र सरकार ने 578 एसईजेड प्रस्तावों को औपचारिक और 146 एसईजेड प्रस्तावों को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दी है। इनमें से अधिकांश प्रस्तावों में जमीन अधिग्रहण को लेकर दिक्कतें चल रही हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक केवल 98 एसईजेड पर ही काम शुरू हो सका है। इनमें सात तो केंद्र सरकार स्थापित कर रही है।

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