भारतीय चुनाव आयोग ने दो हफ्ते पहले इन तीनों पार्टियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सफाई मांगी है कि लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन को मद्देनजर रखते हुए आखिर इन पार्टियों का राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा क्यों न रद्द किया जाए.
राष्ट्रीय पार्टी होने के लिए जरूरी मापदंडों के मुताबिक एक राष्ट्रीय पार्टी को चार राज्यों में अलग-अलग छह प्रतिशत वोट मिलने चाहिए या कम से कम तीन प्रदेशों में कुल लोकसभा सीट की दो प्रतिशत, या कम से कम चार प्रदेशों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा होना चाहिए.
आम चुनावों के बाद एनसीपी, बीएसपी और सीपीआई राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए जरूरी इन सबमें से कोई भी मापदंड पूरा नहीं करती हैं.
इन तीनों पार्टियों को चुनाव आयोग को 27 जून तक सफाई देनी थी. अगर इन पार्टियों का राष्ट्रीय दर्जा खत्म कर दिया जाता है तो देश में सिर्फ बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआई(एम) ही राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां होंगी. इसके अलावा 1968 में जारी किए गए चुनाव चिन्ह कानून के तहत राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म होने पर कोई पार्टी पूरे देश में चुनावों के दौरान एक ही चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव नहीं लड़ सकती.
अगर इस नियम को लागू किया गया तो बीएसपी सिर्फ उन्हीं राज्यों में हाथी चुनाव चिन्ह का प्रयोग कर पाएगी जहां उसे राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है.
इसके साथ ही एनसीपी, बीएसपी और सीपीआई से राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मिलने वाली ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर ब्रॉडकास्टिंग और मतदाता सूची की फ्री कॉपियों की सुविधा भी छिन जाएगी.
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