बाजार नियामक सेबी ने नियमों में समानता लाने के मकसद से आज सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों में 25 फीसद सार्वजनिक हिस्सेदारी को अनिवार्य करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सार्वजनिक उपक्रमों को इस नियम को तीन साल में पूरा करना होगा। इस निर्णय से सरकार 36 उपक्रमों में अपने पास अनुपात से अधिक शेयर की बिक्री कर के करीब 60,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है। मौजूदा नियमों के अनुसार सरकारी उपक्रमों के लिए 10 फीसदी सार्वजनिक हिस्सेदारी रखना जरूरी है। वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी की सीमा 25 फीसदी है।
सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने नियामक के निदेशक मंडल की बैठक के बाद कहा, 'सेबी का मानना है कि बाजार के नियम सभी प्रवर्तकों के लिए समान होने चाहिए। यह इस बात पर निर्भर नहीं होने चाहिए कि प्रवर्तक कौन है।' सेबी के निदेशक मंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इसे अधिसूचना के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा जिसके बाद नियमनों को अंतिम रूप दिया जाएगा। सेबी का मानना है कि सार्वजनिक हिस्सेदारी का नियम सरकारी व निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए अलग-अलग होना भेदभावपूर्ण है। सिन्हा ने कहा, 'प्रतिभूति अनुबंध नियमन (नियम) में भी संशोधन करना होगा जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की सभी सूचीबद्ध कंपनियां 25 फीसद सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियम का अनुपालन कर सकें।'
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