Wednesday, February 17, 2010

परफारमेंस मॉनिटरिंग एंड इवैल्युएशन सिस्टम (पीएमईएस)

 कामकाज की रेटिंग बाबुओं से कराने पर कुछ केंद्रीय मंत्रियों की आपत्तियों के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने तेवर बदल दिए हैं। इस बदले रुख का परिचय देते हुए पीएमओ ने इससे किनारा करते हुए कहा कि मंत्रियों के कामकाज का मूल्यांकन और रेटिंग नौकरशाहों से नहीं कराया जाएगा। इसके विपरीत मंत्री ही अपने विभाग के कामकाज की अंतिम समीक्षा रिपोर्ट पर मुहर लगाएंगे। केंद्रीय मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कराने के लिए कैबिनेट सचिव के अधीन बनी नौकरशाहों की एक समिति को लेकर सरकार में ही उठे सवालों को देखते हुए पीएमओ ने मंगलवार को यह सफाई दी। गौरतलब है कि कांग्रेस के ही चार वरिष्ठ मंत्रियों गुलाम नबी आजाद, कमलनाथ, अंबिका सोनी और जयराम रमेश ने कैबिनेट सचिवालय के तंत्र के जरिए उनके कार्यो का मूल्यांकन तथा रेटिंग करने के फैसले पर सवाल उठाया है। आजाद ने तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बारे में एक पत्र भी लिखा है। अपने ही वरिष्ठ मंत्रियों की ओर से इस प्रणाली पर सवाल उठाए जाने को देखते हुए पीएमओ ने कैबिनेट सचिवालय से सफाई जारी कराई। कैबिनेट सचिवालय ने प्रधानमंत्री के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए सफाई दी है कि कामकाज की समीक्षा पूरी तरह मंत्रियों के द्वारा संचालित होगी, न कि उनकी रेटिंग की जाएगी। उसके अनुसार परफारमेंस मॉनिटरिंग एंड इवैल्युएशन सिस्टम (पीएमईएस) का मकसद विभाग की मंत्री के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करना है जिसमें एक समयबद्ध लक्ष्य तय किया गया हो। इस समिति के कामकाज के दायरे पर सफाई देते हुए पीएमओ ने कहा है कि समिति मंत्रियों या विभागों के कामकाज का मूल्यांकन नहीं करती है बल्कि मंत्रियों को अपने विभाग का इस प्रकार से मूल्यांकन करने के लिए तकनीकी समर्थन उपलब्ध कराती है। इस समिति का मुख्य काम विभिन्न विभागों के बीच समरूपता और निरंतर समन्वय सुनिश्चित करना है। इसके अलावा समिति दिशानिर्देश तय करने, रिजल्ट फ्रेमवर्क डाक्यूमेंट (आरएफडी) को समय पर जमा कराने तथा संबंधित विभागों व मंत्रियों को फीडबैक मुहैया कराने का काम करती है। सफाई में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री के निर्देश साफ हैं कि यह पूरी प्रक्रिया मंत्रियों द्वारा संचालित की जाएगी। हर मंत्री नए वित्त वर्ष में सरकार के एजेंडे और अपने विभागीय लक्ष्यों के बीच प्राथमिकता तय करेगा

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