२0वें कॉमनवेल्थ गेन्स में भारत दिल्ली का सुनहरा इतिहास तो नहीं दोहरा सका, लेकिन देश के एथलीन ने शानदार सफलता हासिल की। भारत 64 पदक के साथ पांचवें नंबर पर रहा और ये कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में चौथा सबसे अच्छा प्रदर्शन है।
बैडमिंटन में महिला डबल्स में सिल्वर मेडल जीतने के साथ भारत ने ग्लासगों में अपने अभियान का आखिरी मेडल जीता। ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने ही दिल्ली में गोल्ड मेडल के साथ आखिरी पदक दिलाया था। फाइनल का ये नतीजा पूरे टूर्नामेंट में दिल्ली के मुकाबले भारत के प्रदर्शन को भी दिखाता है। दिल्ली के मुकाबले भारत आधे से कम गोल्ड जीत सका। बावजूद इसके भारतीय दल ने पांचवां स्थान हासिल किया।
भारत ने 15 गोल्ड, 30 सिल्वर और 19 ब्रांज मेडल जीते। भारतीय दल ने शूटिंग में सबसे ज्यादा 17 पदक जीते। जिसमें 4 गोल्ड भी शामिल थे। भारतीय पहलवानों ने देश को सबसे ज्यादा 5 गोल्ड दिलाए। ओलंपिक पदक विजता सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त ने अपने नाम के मुताबिक प्रदर्शन किया। वहीं बॉक्सिंग में भारत ने 5 मेडल तो जीते, लेकिन एक भी गोल्ड न जीत पाने का मुक्केबाजों को मलाल भी है।
भारत की ओर से 14 खेलों में कुल 214 खिलाड़ियों ने शिरकत की, जिसमें कुछ ने अपने करिश्माई प्रदर्शन से सबको चौंका दिया। डिस्कस थ्रो में विकास गौड़ा ने 56 साल बाद भारत को एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जिताकर इतिहास रचा।
वहीं स्कवॉश में भी भारत ने गोल्ड जीतकर ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की। दीपिका पल्लीकल और जोशना चिनप्पा की जोड़ी ने पहली बार देश को स्कवॉश में गोल्ड दिलाया। बैडमिंटन में पी कश्यप ने मेंस सिंगल्स में 1982 के बाद भारत की झोली में गोल्ड डाला। दरअसल पिछली बार भारतीय दल ने करीब एक तिहाई मेडल जिन स्पर्धाओं में जीते थे वो ग्लासगो गेम्स में शामिल नहीं थे।
2010 में जहां भारतीय दल में कोच और खिलाड़ियों सहित 619 सदस्य थे, वहीं इस बार 324 लोगों का दल गया था। भारत की सबसे मजबूत दावेदारी वाले निशानेबाजी के 3 इवेंट इस बार शामिल नहीं किए गए। ग्रीको रोमन कुश्ती को इस बार शामिल नहीं किया गया था जिसमें पिछली बार भारत को 7 पदक मिले थे।
इन दोनों खेलों के अलावा तीरंदाजी और टेनिस को इस बार पूरी तरह से हटा दिया गया। ऐसे में भारत के पदकों की संख्या कम होना लाजिमी था। अगर इन सभी इवेंट को जोड़ दिया जाए तो इस बार भारत को पिछली बार की तुलना में करीब 37 पदकों का नुकसान हुआ। ऐसे में भारत के 64 पदक का प्रदर्शन भी काफी बेहतर माना जा रहा है।
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