Thursday, August 7, 2014

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक 2014

सुप्रीम कोर्ट की कॉलिजियम में मुख्य न्यायाधीश समेत सुप्रीम कोर्ट के पांच जज होते हैं। हाई कोर्ट की कॉलिजियम तीन सदस्यों पर आधारित  होती है। कॉलिजियम को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों की नियुक्तियों और तबादलों का अधिकार होता है।
गौरतलब है कि कॉलेजियम प्रणाली हटाने की 2003 में राजग 1 सरकार की कोशिशें नाकाम रही थी। उस वक्त राजग सरकार ने एक संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था लेकिन जब विधेयक स्थायी समिति के पास था उस वक्त लोकसभा भंग हो गई थी।राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक 2014 के लिए संविधान में संशोधन करना होगा।
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस संस्था में उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायपालिका का प्रतिनिधित्व करेंगे। प्रस्तावित छह सदस्यीय संस्था में दो प्रख्यात शख्सियतें होंगी और विधि मंत्री भी शामिल होंगे। न्यायपालिका की आशंका को दूर करने के लिए आयोग की संरचना को संवैधानिक दर्जा दिया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य की कोई भी सरकार साधारण विधेयक के जरिए इसकी संरचना में बदलाव नहीं कर सके।
संविधान संशोधन विधेयक के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है।
दो प्रख्यात शख्सियतों का चयन प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता या निचले सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता करेंगे। सरकार संविधान संशोधन के साथ साथ प्रस्तावित आयोग की कार्यप्रणाली की व्याख्या के लिए दूसरा विधेयक लाएगी जो उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े संविधान के अनुच्छेद क्रमश: 124 और 217 में संशोधन करेगा। 
           राष्ट्रीय नियुक्ति आयोग विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। 
प्रक्रिया के मुताबिक, संविधान संशोधन विधेयक को अब सभी राज्यों को भेजा जाएगा और राज्य विधायिकाओं में से 50 फीसद से इस पर मंजूरी लेनी पड़ेगी। यह प्रक्रिया आठ महीने तक चल सकती है। राज्यों से मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। संविधान संशोधन विधेयक के जरिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक के तहत सुप्रीम कोर्ट व देश के अन्य 24 हाई कोर्टों के जजों की नियुक्ति की जाएगी। 
इस नए विधेयक में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए छह सदस्यीय आयोग के गठन का प्रावधान है। इसके सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, दो अन्य वरिष्ठ जज, दो जानी मानी हस्तियां और केंद्रीय कानून मंत्री शामिल होंगे। इसे संवैधानिक दर्जा हासिल होगा। इसकी अगुआई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करेंगे। जबकि जानी-मानी हस्तियों का चयन न्यायपालिका, प्रधानमंत्री और लोकसभा में सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता की सलाह से होगा।
यह विधेयक न्यायिक स्वतंत्रता की जड़ पर प्रहार करता है : नरीमन
नई दिल्ली(भाषा)। विधिवेत्ता एफएस नरीमन ने कहा कि कॉलिजियम व्यवस्था को खत्म करने वाला विधेयक न्यायिक स्वतंत्रता की जड़ पर प्रहार करता है और सुप्रीम कोर्ट इसे निरस्त कर सकता है। मालूम हो कि जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाने के लिए लाए गए इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी दे दी है। नरीमन ने कहा-‘मुझ सहित कई वकील उस दिशा में बढ़ेंगे।’ उन्होंने कहा,‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान का आधार स्तंभ है। और अगर ऐसा कुछ भी किया जाता है जो नुकसान पहुंचाता है तो यह अभिशाप है और जो लोग फैसला करते हैं वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हैं।’ नरीमन ने कहा कि वे इसकी संरचना से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। इसमें छह सदस्यों में से सिर्फ तीन न्यायाधीश हैं। साथ ही यह बहुमत की सिफारिश को नामंजूर करने के लिए दो सदस्यों को वीटो की शक्ति देता है।


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