Sunday, December 13, 2009

रंगनाथ मिश्र आयोग

धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को रोजगार और तालीम में खास तवज्जो की पैरवी करने वाली रंगनाथ नाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट को संसद में पेश करने पर सरकार राजी तो हो गई है, लेकिन उसकी सिफारिशों पर अमल होने के आसार कम हैं। शायद यही वजह है कि सरकार संसद में उस रिपोर्ट के साथ कार्रवाई रिपोर्ट भी पेश करने के मूड में नहीं है। बताते हैं कि रिपोर्ट में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को पंद्रह प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई है। उसमें भी दस प्रतिशत मुसलमानों और पांच प्रतिशत बाकी अल्पसंख्यकों को देने की बात है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। अभी पिछड़ों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का कुल आरक्षण 49.5 प्रतिशत तक है। सूत्रों की मानें तो आयोग ने दो तरह का फार्मूला सुझाया है। उसके तहत या उनके लिए अलग से आरक्षण की बाबत संविधान में संशोधन किया जाए। आयोग का सुझाव है कि यदि सरकार ऐसा नहीं कर पाती तो वह पिछड़ों के 27 फीसदी आरक्षण में से ही कुछ अल्पसंख्यकों को दे, क्योंकि पिछड़े मुसलमानों की भी बड़ी संख्या है। बताते हैं कि आयोग ने इसके साथ ही अनुसूचित जाति के आरक्षण के लिए 1950 के प्रेसीडेंशियल आदेश में भी बदलाव की सिफारिश की है। जिसके तहत अभी हिंदू, सिख और बौद्ध दलितों को ही आरक्षण मिलता है। आयोग की सिफारिश पर उसमें बदलाव हुआ तो इन संप्रदायों से धर्म परिवर्तन करके इस्लाम व ईसाई धर्म अपनाने वाले भी आरक्षण के पात्र हो जाएंगे

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